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गोविंददेव जी मंदिर में दिखे सावन के रंग, भगवान शिव ने किया नगर भ्रमण

भगवान भोलेनाथ की शोभायात्रा गौरांग महाप्रभु मंदिर से प्रारंभ होकर गोविंददेव जी मंदिर पहुंची. सावन के महीने में भगवान शिव की उपासना के बीच बुधवार को मंदिर प्रांगण में भगवान शिव को नगर भ्रमण कराया गया.

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Published : Jul 31, 2019, 9:51 PM IST

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जयपुर. राजधानी की शान कहे जाने वाले तीज महोत्सव की तैयारी जयपुर के आराध्य देव गोविंददेव जी मंदिर प्रांगण में भी शुरू हो गई है. सावन के महीने में भगवान शिव की उपासना के बीच बुधवार को मंदिर प्रांगण में भगवान शिव को नगर भ्रमण कराया गया.

गोविंद देव जी मंदिर में दिखे सावन के रंग

गोविंददेव मंदिर के प्रवक्ता व प्रबंधक मानस गोस्वामी ने बताया कि श्रावण मास के पवित्र अवसर पर गोविंददेव जी मंदिर में द्वादश ज्योतिर्लिंग की कथा का आयोजन किया जा रहा है. एक अगस्त गुरुवार को गोविंद देव मंदिर में शिवलिंग का विशेष पूजन किया जाएगा. इस अवसर पर संस्कृत विद्यालय के बच्चों को ड्रेस और शिक्षण सामग्री वितरित की जाएगी. संस्कृत को प्रोत्साहित करने के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा.

यह भी पढ़ें : हरियाली अमावस्या पर बन रहा यह विशेष योग, युवतियों को पार्वती पूजन से मिलेगा मनचाहा वर

उन्होंने बताया कि शिवलिंग का नगर भ्रमण करवाया गया है. भगवान शिव की शोभायात्रा गौरांग महाप्रभु मंदिर से प्रारंभ होकर गोविंद देव जी मंदिर पहुंची. श्रावण मास के प्रारंभ होते एकादशी के बाद ठाकुर जी के सिंहासन धारण किया जाता है और ठाकुर जी की वेशभूषा में भी परिवर्तन हो जाता है.

सिंजारे से ठाकुरजी को लहरिया की पोशाक धारण होना शुरू हो जाती है. सिंजारे के बाद से ही ठाकुर जी की धोती दुपट्टा की पोशाक बंद हो जाती है. केवल लहरिया की पोशाक धारण रहती है. तीज के पावन पर्व पर ठाकुर जी घेवर का भोग लगाया जाएगा.

एक ओर जहां सावन में भगवान शिव के जयकारों के बीच शिवभक्त कावड़ लेकर शिवालयों में पहुंच रहे हैं, वहीं अब इंतजार सिंजारा और तीज महोत्सव का है.

जयपुर. राजधानी की शान कहे जाने वाले तीज महोत्सव की तैयारी जयपुर के आराध्य देव गोविंददेव जी मंदिर प्रांगण में भी शुरू हो गई है. सावन के महीने में भगवान शिव की उपासना के बीच बुधवार को मंदिर प्रांगण में भगवान शिव को नगर भ्रमण कराया गया.

गोविंद देव जी मंदिर में दिखे सावन के रंग

गोविंददेव मंदिर के प्रवक्ता व प्रबंधक मानस गोस्वामी ने बताया कि श्रावण मास के पवित्र अवसर पर गोविंददेव जी मंदिर में द्वादश ज्योतिर्लिंग की कथा का आयोजन किया जा रहा है. एक अगस्त गुरुवार को गोविंद देव मंदिर में शिवलिंग का विशेष पूजन किया जाएगा. इस अवसर पर संस्कृत विद्यालय के बच्चों को ड्रेस और शिक्षण सामग्री वितरित की जाएगी. संस्कृत को प्रोत्साहित करने के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा.

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उन्होंने बताया कि शिवलिंग का नगर भ्रमण करवाया गया है. भगवान शिव की शोभायात्रा गौरांग महाप्रभु मंदिर से प्रारंभ होकर गोविंद देव जी मंदिर पहुंची. श्रावण मास के प्रारंभ होते एकादशी के बाद ठाकुर जी के सिंहासन धारण किया जाता है और ठाकुर जी की वेशभूषा में भी परिवर्तन हो जाता है.

सिंजारे से ठाकुरजी को लहरिया की पोशाक धारण होना शुरू हो जाती है. सिंजारे के बाद से ही ठाकुर जी की धोती दुपट्टा की पोशाक बंद हो जाती है. केवल लहरिया की पोशाक धारण रहती है. तीज के पावन पर्व पर ठाकुर जी घेवर का भोग लगाया जाएगा.

एक ओर जहां सावन में भगवान शिव के जयकारों के बीच शिवभक्त कावड़ लेकर शिवालयों में पहुंच रहे हैं, वहीं अब इंतजार सिंजारा और तीज महोत्सव का है.

Intro:जयपुर
एंकर- जयपुर की शान कहे जाने वाले तीज महोत्सव की तैयारी जयपुर के आराध्य देव गोविंद देव जी मंदिर प्रांगण में भी शुरू हो गई है। सावन के महीने में भगवान शिव की उपासना के दौर के बीच आज मंदिर प्रांगण में भगवान शिव को नगर भ्रमण कराया गया। भगवान भोलेनाथ की शोभायात्रा गौरांग महाप्रभु मंदिर से प्रारंभ होकर गोविंद देव जी मंदिर पहुंची।


Body:गोविंद देव मंदिर के प्रवक्ता व प्रबंधक मानस गोस्वामी ने बताया कि श्रावण मास के पवित्र अवसर पर गोविंद देव जी मंदिर में द्वादश ज्योतिर्लिंग की कथा का आयोजन किया जा रहा है। एक अगस्त गुरुवार को गोविंद देव मंदिर में शिवलिंग का विशेष पूजन किया जाएगा। इस अवसर पर संस्कृत विद्यालय के बच्चों को ड्रेस और शिक्षण सामग्री वितरित की जाएगी। संस्कृत को प्रोत्साहित करने के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि आज शिवलिंग का नगर भ्रमण करवाया गया है। भगवान शिव की शोभायात्रा गौरांग महाप्रभु मंदिर से प्रारंभ होकर गोविंद देव जी मंदिर पहुंची। श्रावण मास के प्रारंभ होते एकादशी के बाद ठाकुर जी के सिंहासन धारण किया जाता है। और ठाकुर जी की वेशभूषा में भी परिवर्तन हो जाता है। सिंजारे से ठाकुरजी को लहरिया की पोशाक धारण होना शुरू हो जाती है। सिंजारे के बाद से ही ठाकुर जी की धोती दुपट्टा की पोशाक बंद हो जाती है। केवल लहरिया की पोशाक धारण रहती है। तीज के पावन पर्व पर ठाकुर जी घेवर का भोग लगाया जाएगा।

जहां एक और सावन में भगवान शिव के जयकारों के बीच शिवभक्त कावड़ लेकर शिवालयों में पहुंच रहे हैं। वही अब इंतजार सिंजारा और तीज महोत्सव का है।

बाईट- मानस गोस्वामी, प्रवक्ता व प्रबंधक, गोविंद देव मंदिर
बाईट- प्रशांत शर्मा, शिक्षाविद्, संस्कृत शिक्षा








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