जयपुर. राजस्थान में खनिज खनन और खनिज ब्लॉक की नीलामी में अन्य राज्यों में उपयोग में लाये जा रहे श्रेष्ठ प्रावधानों और प्रक्रियाओं को प्रदेश की परिस्थितियों के अनुसार अध्ययन कर अपनाया जाएगा. मंगलवार को ACS माइंस डॉ. सुबोध अग्रवाल ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ओड़िसा, कर्नाटक और छत्तीसगढ़ की अध्ययन रिपोर्ट देखी.
इस रिपोर्ट में शुरुआती तौर पर यह पाया गया कि राजस्थान में अन्य प्रदेशों की तुलना में कई व्यवस्थाएं और प्रावधान बेहतर हैं. राजस्थान के लिए मंगवाई गई ओड़िसा, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की अध्ययन रिपोर्ट का उपयोग राज्य सरकार प्रदेश में तैयार की जा रही नई खनिज नीति के नियमों के सरलीकरण और विभागीय पुनः संरचना के प्रस्ताव में भी काम में लेगी.
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश में खनिज खोज कार्य में तेजी लाकर और नए खनिज ब्लॉक तैयार कर नीलामी काम को गति दी जाएगी. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में माइंस निदेशक के.बी. पांडेय ने कहा कि ज्यादातर प्रदेशों में प्रदेश खनिज निगम से खनन के साथ ही एक्सप्लोरेशन किया जा रहा है. वहीं निजी संस्थाओं क्रिसिल, एसबीआई कैब आदि की सेवाएं भी ली जा रही हैं.
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गौरतलब है कि SME धर्मेंद्र गौड़ और ME आसिफ अंसारी ने छत्तीसगढ़ में, SME अनिल खिमसेरा, ME भीलवाड़ा लक्ष्मीनारायण और SG भीलवाड़ा एनपी सिंह ने कर्नाटक में, ADG एनके कोठ्यारी और ME विजिलेंस जयपुर जिनेश हुमड़ और निर्देशक खान के.बी. पांड्या, SM जोधपुर कृष्ण शर्मा और जियोलॉजिस्ट राजकुमार मीणा ने मध्य प्रदेश का दौरा कर अपनी अध्ययन रिपोर्ट तैयार की है.
नई खनन नीति के लिए ओड़िसा, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की व्यवस्था का अध्ययन करने गई यह टीम अपने अध्ययन की रिपोर्ट विभाग को सौंप चुकी है. अब इस रिपोर्ट के आधार पर राजस्थान में दूसरे राज्यों की बेहतर व्यवस्थाओं को अपनाया जाएगा.