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बजट पूर्व संवाद कार्यक्रम में सामाजिक संगठनों ने गहलोत सरकार को दिए सुझाव

गहलोत सरकार फरवरी के दूसरे सप्ताह में अपना बजट पेश करने जा रही है. बजट से पूर्व संवाद कार्यक्रम के तहत प्रिंसिपल सेक्रेटरी अखिल अरोड़ा की सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ अहम बैठक हुई. बैठक में अलग-अलग क्षेत्र से आए सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने अपने सुझाव दिए. बैठक में शामिल सभी संगठनों के प्रतिनिधियों ने कोरोना काल में निम्न वर्ग के सामने व्यवसाय का संकट खड़ा है, उस में राहत देने की बात कही. वहीं, पिछले बजट में जो घोषणा की गई थी, वो अब तक लागू नहीं हुई, इस पर भी सामाजिक संगठनों ने नाराजगी जताई.

CM Ashok Gehlot will present the budget, बजट पूर्व संवाद कार्यक्रम
सामाजिक संगठनों ने गहलोत सरकार को दिए सुझाव
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Published : Jan 24, 2021, 8:00 AM IST

जयपुर. प्रदेश की गहलोत सरकार फरवरी के दूसरे सप्ताह में अपना बजट पेश करने जा रही है. कोरोना काल के दौरान पेश होने वाले बजट में सभी वर्गों को ध्यान रखने की कोशिश सीएम अशोक गहलोत करेंगे. यही वजह है इसके लिए सरकार की ओर से अलग-अलग संस्थाओं से बजट पूर्व सुझाव लिए जा रहे हैं. इसी कड़ी में शनिवार को वित्त विभाग प्रिंसिपल सेक्रेटरी अखिल अरोड़ा ने सामाजिक संगठनों के साथ बैठक कर सुझाव लिए.

सामाजिक संगठनों ने गहलोत सरकार को दिए सुझाव

बजट से पूर्व संवाद कार्यक्रम के तहत प्रिंसिपल सेक्रेटरी अखिल अरोड़ा की सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ अहम बैठक हुई. बैठक में अलग-अलग क्षेत्र से आए सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने अपने सुझाव दिए. बैठक में शामिल सभी संगठनों के प्रतिनिधियों ने कोरोना काल में निम्न वर्ग के सामने व्यवसाय का संकट खड़ा है, उस में राहत देने की बात कही. वहीं, पिछले बजट में जो घोषणा की गई थी, वो अब तक लागू नहीं होने पर भी सामाजिक संगठनों ने नाराजगी जताई.

यह भी पढ़ेंः किसानों के समर्थन में ट्रैक्टर रैली में शामिल हो सकते हैं राहुल और प्रियंका गांधी

सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे का कहना है कि सरकार ने जो अपने पिछले बजट में घोषणा की, जिसमें जवाबदेही कानून लागू करना प्रमुख था, उसकों सरकार ने अभी तक पूरा नहीं किया. उन्होंने बताया कि जवाबदेही कानून लागू होने से अधिकारियों की जवाबदेही बढ़ जाएगी, जिससे आम जन को बड़ा फायदा मिलेगा. इसी तरह से एससी -एसटी वर्ग को दिया जाने वाला फंड व्यवस्थित नहीं है, जिसके लिए पैसा है उसको इसकी जिम्मदारी देने चाहिए. सिलिकोसिस जानलेवा बीमारी है. उन्होंने कहा कि सिलिकोसिस पीड़ितों को आर्थिक सहायता समय पर मिले, इससे ज्यादा जरूरी है कि सिलिकोसिस बीमारी होने से पहले ही रोकना. सिलिकोसिस एक जान लेवा बीमारी है, उसे रोकने के लिए पूरे साल अभियान चलाया जाना चाहिए. सभी लोगों को राशन मिलना चाहिए. प्रदेश में दिव्यांग, बुजुर्गों और विधवाओं को राशन निहीं मिल पा रहा है. रेहड़ी पटरी वालों के लिए कानून बनना चाहिए, ताकि वो आत्मनिर्भर बन सकें और उन्हें सरकार की योजनाओं का लाभ मिल सके.

यह भी पढ़ेंः Ground Report : सरकार बदली, मंत्री बदले, निगम का बोर्ड भी बदला, लेकिन नहीं बदली चौमूं हाउस सर्किल की परिस्थितियां

वहीं, सामाजिक कार्यकर्ता कविता श्रीवास्तव ने कहा कि बैठक में महिलाओं के अधिकारों, उनके सुरक्षा के बुनियादी मुद्दों पर सरकार को ध्यान देना होगा. खास कर कोरोना में छोटे वर्ग के लोगों को नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई के लिए मजबूत निर्णय लेना होगा. सरकार को इस दिशा में कदम उठाते हुए काम करना होगा. खाद्य सामग्री पर भी विशेष जोर देने की जरूरत है. बैठक में और भी सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपने सुझाव दिए. इस दौरान वित्त सचिव बजट पृथ्वी भी मौजूद रहे.

जयपुर. प्रदेश की गहलोत सरकार फरवरी के दूसरे सप्ताह में अपना बजट पेश करने जा रही है. कोरोना काल के दौरान पेश होने वाले बजट में सभी वर्गों को ध्यान रखने की कोशिश सीएम अशोक गहलोत करेंगे. यही वजह है इसके लिए सरकार की ओर से अलग-अलग संस्थाओं से बजट पूर्व सुझाव लिए जा रहे हैं. इसी कड़ी में शनिवार को वित्त विभाग प्रिंसिपल सेक्रेटरी अखिल अरोड़ा ने सामाजिक संगठनों के साथ बैठक कर सुझाव लिए.

सामाजिक संगठनों ने गहलोत सरकार को दिए सुझाव

बजट से पूर्व संवाद कार्यक्रम के तहत प्रिंसिपल सेक्रेटरी अखिल अरोड़ा की सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ अहम बैठक हुई. बैठक में अलग-अलग क्षेत्र से आए सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने अपने सुझाव दिए. बैठक में शामिल सभी संगठनों के प्रतिनिधियों ने कोरोना काल में निम्न वर्ग के सामने व्यवसाय का संकट खड़ा है, उस में राहत देने की बात कही. वहीं, पिछले बजट में जो घोषणा की गई थी, वो अब तक लागू नहीं होने पर भी सामाजिक संगठनों ने नाराजगी जताई.

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सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे का कहना है कि सरकार ने जो अपने पिछले बजट में घोषणा की, जिसमें जवाबदेही कानून लागू करना प्रमुख था, उसकों सरकार ने अभी तक पूरा नहीं किया. उन्होंने बताया कि जवाबदेही कानून लागू होने से अधिकारियों की जवाबदेही बढ़ जाएगी, जिससे आम जन को बड़ा फायदा मिलेगा. इसी तरह से एससी -एसटी वर्ग को दिया जाने वाला फंड व्यवस्थित नहीं है, जिसके लिए पैसा है उसको इसकी जिम्मदारी देने चाहिए. सिलिकोसिस जानलेवा बीमारी है. उन्होंने कहा कि सिलिकोसिस पीड़ितों को आर्थिक सहायता समय पर मिले, इससे ज्यादा जरूरी है कि सिलिकोसिस बीमारी होने से पहले ही रोकना. सिलिकोसिस एक जान लेवा बीमारी है, उसे रोकने के लिए पूरे साल अभियान चलाया जाना चाहिए. सभी लोगों को राशन मिलना चाहिए. प्रदेश में दिव्यांग, बुजुर्गों और विधवाओं को राशन निहीं मिल पा रहा है. रेहड़ी पटरी वालों के लिए कानून बनना चाहिए, ताकि वो आत्मनिर्भर बन सकें और उन्हें सरकार की योजनाओं का लाभ मिल सके.

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वहीं, सामाजिक कार्यकर्ता कविता श्रीवास्तव ने कहा कि बैठक में महिलाओं के अधिकारों, उनके सुरक्षा के बुनियादी मुद्दों पर सरकार को ध्यान देना होगा. खास कर कोरोना में छोटे वर्ग के लोगों को नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई के लिए मजबूत निर्णय लेना होगा. सरकार को इस दिशा में कदम उठाते हुए काम करना होगा. खाद्य सामग्री पर भी विशेष जोर देने की जरूरत है. बैठक में और भी सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपने सुझाव दिए. इस दौरान वित्त सचिव बजट पृथ्वी भी मौजूद रहे.

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