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निलंबित मेयर सौम्या गुर्जर को HC से बड़ा झटका, याचिका खारिज कर सरकार को दिए ये आदेश

Mayor somya gurjar suspension case
Mayor somya gurjar suspension case
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Published : Jun 28, 2021, 11:26 AM IST

Updated : Jun 28, 2021, 12:17 PM IST

10:40 June 28

जयपुर ग्रेटर मेयर सौम्या गुर्जर के निलंबन का मामला

आशीष शर्मा, सौम्या गुर्जर के वकील

जयपुर. राजस्थान हाइकोर्ट (Rajasthan Highcourt) ने ग्रेटर नगर निगम की निलंबित मेयर सौम्या गुर्जर (Soumya Gurjar Suspension Case) की याचिका को खारिज कर दिया है. न्यायाधीश पंकज भंडारी और न्यायाधीश सीके सोनगरा की खंडपीठ ने यह आदेश दिए. सौम्या ने अपने निलंबन को चुनौती दी थी.

अदालत ने कहा है की निलंबन आदेश पर कोर्ट कोई दखल नहीं कर रही है. वहीं अदालत ने मामले में चल रही न्यायिक जांच को छह मई माह में पूरा करने के आदेश दिए हैं. याचिका में कहा गया है कि निगम आयुक्त की ओर से राज्य सरकार को भेजी शिकायत और दर्ज कराई गई एफआईआर में याचिकाकर्ता का नाम ही नहीं है. इसके अलावा राज्य सरकार ने वरिष्ठ आईएएस अधिकारी से जुडे प्रकरण की जांच आरएएस अधिकारी को सौंप दी और जांच अधिकारी ने याचिकाकर्ता को जवाब देने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया. वहीं जांच रिपोर्ट पर राज्य सरकार ने तत्काल न्यायिक जांच के आदेश देते हुए याचिकाकर्ता को महापौर और पार्षद पद से निलंबित कर दिया.

पढ़ेंः यहां जानें सौम्या गुर्जर निलंबन से जुड़े मामले की पूरी कहानी

याचिका में कहा गया कि नगर पालिका अधिनियम की धारा 39 में बताए गए दुर्व्यवहार के आधार पर याचिकाकर्ता को हटाया गया है, लेकिन अधिनियम में दुर्व्यवहार शब्द को परिभाषित ही नहीं किया गया है. दूसरी ओर राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि जांच अधिकारी क्षेत्रीय निदेशक स्तर की अधिकारी है. उन्होंने मामले में स्वतंत्र जांच की है। सरकार याचिकाकर्ता का पक्ष सुने बिना प्रारंभिक जांच के आधार पर कार्रवाई कर सकती है. इसके बावजूद याचिकाकर्ता को नोटिस दिया गया, लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया। याचिकाकर्ता न्यायिक जांच के दौरान अपना पक्ष रख सकती हैं. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने याचिका को खारिज कर किया.

यह है मामला

गौरतलब है कि निगम कार्यालय में 4 जून को सौम्या गुर्जर और आयुक्त यज्ञमित्र शहर में सफाई करने वाली कंपनी के बकाया भुगतान के संबंध में चर्चा कर रहे थे. यज्ञमित्र का आरोप है कि उन्हें कोरोना नियंत्रण की बैठक के लिए कलेक्टर ऑफिस जाना था, लेकिन सौम्या गुर्जर की मौजूदगी में पारस जैन सहित अन्य पार्षदों ने उन्हें बैठक में जाने से रोका और मारपीट भी की.

आयुक्त यज्ञमित्र की ओर से मामले में राज्य सरकार को शिकायत भेजते हुए ज्योति नगर थाने में एफआईआर भी दर्ज कराई गई. वहीं, राज्य सरकार ने प्रकरण की जांच क्षेत्रीय निदेशक स्तर के आरएएस अधिकारी को सौंपी. जिसने अपने जांच के बाद सौम्या गुर्जर और पार्षदों को दोषी माना. जांच रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार ने 6 जून को इन्हें महापौर और पार्षद पद से निलंबित करते हुए प्रकरण की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए थे. राज्य सरकार के इस निर्णय को सौम्या गुर्जर ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. 

10:40 June 28

जयपुर ग्रेटर मेयर सौम्या गुर्जर के निलंबन का मामला

आशीष शर्मा, सौम्या गुर्जर के वकील

जयपुर. राजस्थान हाइकोर्ट (Rajasthan Highcourt) ने ग्रेटर नगर निगम की निलंबित मेयर सौम्या गुर्जर (Soumya Gurjar Suspension Case) की याचिका को खारिज कर दिया है. न्यायाधीश पंकज भंडारी और न्यायाधीश सीके सोनगरा की खंडपीठ ने यह आदेश दिए. सौम्या ने अपने निलंबन को चुनौती दी थी.

अदालत ने कहा है की निलंबन आदेश पर कोर्ट कोई दखल नहीं कर रही है. वहीं अदालत ने मामले में चल रही न्यायिक जांच को छह मई माह में पूरा करने के आदेश दिए हैं. याचिका में कहा गया है कि निगम आयुक्त की ओर से राज्य सरकार को भेजी शिकायत और दर्ज कराई गई एफआईआर में याचिकाकर्ता का नाम ही नहीं है. इसके अलावा राज्य सरकार ने वरिष्ठ आईएएस अधिकारी से जुडे प्रकरण की जांच आरएएस अधिकारी को सौंप दी और जांच अधिकारी ने याचिकाकर्ता को जवाब देने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया. वहीं जांच रिपोर्ट पर राज्य सरकार ने तत्काल न्यायिक जांच के आदेश देते हुए याचिकाकर्ता को महापौर और पार्षद पद से निलंबित कर दिया.

पढ़ेंः यहां जानें सौम्या गुर्जर निलंबन से जुड़े मामले की पूरी कहानी

याचिका में कहा गया कि नगर पालिका अधिनियम की धारा 39 में बताए गए दुर्व्यवहार के आधार पर याचिकाकर्ता को हटाया गया है, लेकिन अधिनियम में दुर्व्यवहार शब्द को परिभाषित ही नहीं किया गया है. दूसरी ओर राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि जांच अधिकारी क्षेत्रीय निदेशक स्तर की अधिकारी है. उन्होंने मामले में स्वतंत्र जांच की है। सरकार याचिकाकर्ता का पक्ष सुने बिना प्रारंभिक जांच के आधार पर कार्रवाई कर सकती है. इसके बावजूद याचिकाकर्ता को नोटिस दिया गया, लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया। याचिकाकर्ता न्यायिक जांच के दौरान अपना पक्ष रख सकती हैं. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने याचिका को खारिज कर किया.

यह है मामला

गौरतलब है कि निगम कार्यालय में 4 जून को सौम्या गुर्जर और आयुक्त यज्ञमित्र शहर में सफाई करने वाली कंपनी के बकाया भुगतान के संबंध में चर्चा कर रहे थे. यज्ञमित्र का आरोप है कि उन्हें कोरोना नियंत्रण की बैठक के लिए कलेक्टर ऑफिस जाना था, लेकिन सौम्या गुर्जर की मौजूदगी में पारस जैन सहित अन्य पार्षदों ने उन्हें बैठक में जाने से रोका और मारपीट भी की.

आयुक्त यज्ञमित्र की ओर से मामले में राज्य सरकार को शिकायत भेजते हुए ज्योति नगर थाने में एफआईआर भी दर्ज कराई गई. वहीं, राज्य सरकार ने प्रकरण की जांच क्षेत्रीय निदेशक स्तर के आरएएस अधिकारी को सौंपी. जिसने अपने जांच के बाद सौम्या गुर्जर और पार्षदों को दोषी माना. जांच रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार ने 6 जून को इन्हें महापौर और पार्षद पद से निलंबित करते हुए प्रकरण की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए थे. राज्य सरकार के इस निर्णय को सौम्या गुर्जर ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. 

Last Updated : Jun 28, 2021, 12:17 PM IST
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