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निलंबित मेयर सौम्या गुर्जर की याचिका 14 जून तक टली...ये हैं कारण - सौम्या गुर्जर की याचिका 14 जून तक टली

राजस्थान हाईकोर्ट ने ग्रेटर नगर निगम की निलंबित मेयर सौम्या गुर्जर की याचिका पर पांच घंटे मैराथन सुनवाई के बाद 14 जून तक टाल दी है. खंडपीठ ने कहा है कि प्रकरण की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश की अनुमति लेकर सुबह नौ बजे सुनवाई के लिए रखा जाए.

सौम्या गुर्जर की याचिका 14 जून तक टली, Saumya Gurjar's petition adjourned till June 14
सौम्या गुर्जर की याचिका 14 जून तक टली
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Published : Jun 11, 2021, 8:34 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने ग्रेटर नगर निगम की निलंबित मेयर सौम्या गुर्जर की याचिका पर पांच घंटे मैराथन सुनवाई के बाद प्रकरण की सुनवाई 14 जून तक टाल दी है. न्यायाधीश पंकज भंडारी और न्यायाधीश सीके सोनगरा की अवकाशकालीन खंडपीठ ने कहा है कि प्रकरण की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश की अनुमति लेकर सुबह नौ बजे सुनवाई के लिए रखा जाए.

सौम्या गुर्जर की याचिका 14 जून तक टली

याचिका में कहा गया है कि निगम आयुक्त की ओर से राज्य सरकार को भेजी शिकायत और दर्ज कराई गई एफआईआर में याचिकाकर्ता का नाम ही नहीं है. इसके अलावा राज्य सरकार ने वरिष्ठ आईएएस अधिकारी से जुड़े प्रकरण की जांच आरएएस अधिकारी को सौंप दी और जांच अधिकारी ने याचिकाकर्ता को जवाब देने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया.

पढ़ें- प्रॉपर्टी कारोबारी की ऑफिस पर दिनदहाड़े हमला कर 18 लाख की डकैती, 5 लोग घायल

वहीं जांच रिपोर्ट पर राज्य सरकार ने तत्काल न्यायिक जांच के आदेश देते हुए याचिकाकर्ता को महापौर और पार्षद पद से निलंबित कर दिया. राज्य सरकार निलंबन की कार्रवाई कर सकती है, लेकिन इसके लिए तय प्रक्रिया का पालन करना जरूरी है. याचिका में कहा गया कि नगर पालिका अधिनियम की धारा 39 में बताए गए दुर्व्यवहार के आधार पर याचिकाकर्ता को हटाया गया है, लेकिन अधिनियम में दुर्व्यवहार को परिभाषित नहीं किया गया है.

दूसरी ओर राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि जांच अधिकारी क्षेत्रीय निदेशक स्तर की अधिकारी है. सरकार याचिकाकर्ता का पक्ष सुने बिना प्रारंभिक जांच के आधार पर कार्रवाई कर सकती है. इसके बावजूद याचिकाकर्ता को नोटिस दिया गया, लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया.

याचिकाकर्ता न्यायिक जांच के दौरान अपना पक्ष रख सकती हैं. अदालती समय पूरा होने पर कोर्ट ने मामले की सुनवाई सोमवार तक टाल दी. अदालत ने कहा कि ग्रीष्मावकाश के चलते उनकी खंडपीठ शुक्रवार तक ही मुकदमें सुन रही है. ऐसे में प्रकरण को सूचीबद्ध करने से पहले मुख्य न्यायाधीश की अनुमति ली जाए. कार्यवाहक महापौर शील धाबाई की ओर से उनके अधिवक्ता ने कहा कि वे इस याचिका में उठाए गए बिंदुओं का समर्थन करती हैं.

लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे अविवाहित प्रेमी जोड़े पर राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे अविवाहित प्रेमी जोड़े को सुरक्षा देने से जुड़े मामले में कहा है कि दो वयस्कों के बीच संबंध अनैतिक और असामाजिक हो सकता है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसलों और संविधान के प्रावधानों के अनुसार उनके जीवन और स्वतंत्रता को भी संरक्षित किया जाना चाहिए.

इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता जोड़े को कहा है कि याचिका की कॉपी संबंधित थानाधिकारी को पेश करें और थानाधिकारी उन्हें सुरक्षा देने के लिए उचित कदम उठाए. अदालत ने स्पष्ट किया है कि अदालती आदेश किसी अन्य सिविल या आपराधिक मामले के अनुसंधान में रुकावट नहीं बनेगा. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे युवक-युवती की याचिका पर दिए.

पढ़ें- झालाना लेपर्ड सफारी पर्यटकों के लिए शुरू, पहले दिन 28 पर्यटकों ने की सफारी

अदालत ने कहा कि राजस्थान पुलिस एक्ट, 2007 की धारा 29 के तहत पुलिसकर्मी का यह कर्तव्य है कि वह नागरिकों के जीवन और स्वतंत्रता को संरक्षण दे. याचिका में कहा था कि दोनों याचिकाकर्ता वयस्क और अविवाहित हैं. उनके एक साथ रहने पर परिजन राजी नहीं है और उन्हें धमकियां दी जा रही हैं. इससे उनके जीवन और स्वतंत्रता को खतरा है. इसलिए पुलिस को निर्देश दिए जाए कि वह उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करे.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने ग्रेटर नगर निगम की निलंबित मेयर सौम्या गुर्जर की याचिका पर पांच घंटे मैराथन सुनवाई के बाद प्रकरण की सुनवाई 14 जून तक टाल दी है. न्यायाधीश पंकज भंडारी और न्यायाधीश सीके सोनगरा की अवकाशकालीन खंडपीठ ने कहा है कि प्रकरण की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश की अनुमति लेकर सुबह नौ बजे सुनवाई के लिए रखा जाए.

सौम्या गुर्जर की याचिका 14 जून तक टली

याचिका में कहा गया है कि निगम आयुक्त की ओर से राज्य सरकार को भेजी शिकायत और दर्ज कराई गई एफआईआर में याचिकाकर्ता का नाम ही नहीं है. इसके अलावा राज्य सरकार ने वरिष्ठ आईएएस अधिकारी से जुड़े प्रकरण की जांच आरएएस अधिकारी को सौंप दी और जांच अधिकारी ने याचिकाकर्ता को जवाब देने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया.

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वहीं जांच रिपोर्ट पर राज्य सरकार ने तत्काल न्यायिक जांच के आदेश देते हुए याचिकाकर्ता को महापौर और पार्षद पद से निलंबित कर दिया. राज्य सरकार निलंबन की कार्रवाई कर सकती है, लेकिन इसके लिए तय प्रक्रिया का पालन करना जरूरी है. याचिका में कहा गया कि नगर पालिका अधिनियम की धारा 39 में बताए गए दुर्व्यवहार के आधार पर याचिकाकर्ता को हटाया गया है, लेकिन अधिनियम में दुर्व्यवहार को परिभाषित नहीं किया गया है.

दूसरी ओर राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि जांच अधिकारी क्षेत्रीय निदेशक स्तर की अधिकारी है. सरकार याचिकाकर्ता का पक्ष सुने बिना प्रारंभिक जांच के आधार पर कार्रवाई कर सकती है. इसके बावजूद याचिकाकर्ता को नोटिस दिया गया, लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया.

याचिकाकर्ता न्यायिक जांच के दौरान अपना पक्ष रख सकती हैं. अदालती समय पूरा होने पर कोर्ट ने मामले की सुनवाई सोमवार तक टाल दी. अदालत ने कहा कि ग्रीष्मावकाश के चलते उनकी खंडपीठ शुक्रवार तक ही मुकदमें सुन रही है. ऐसे में प्रकरण को सूचीबद्ध करने से पहले मुख्य न्यायाधीश की अनुमति ली जाए. कार्यवाहक महापौर शील धाबाई की ओर से उनके अधिवक्ता ने कहा कि वे इस याचिका में उठाए गए बिंदुओं का समर्थन करती हैं.

लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे अविवाहित प्रेमी जोड़े पर राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे अविवाहित प्रेमी जोड़े को सुरक्षा देने से जुड़े मामले में कहा है कि दो वयस्कों के बीच संबंध अनैतिक और असामाजिक हो सकता है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसलों और संविधान के प्रावधानों के अनुसार उनके जीवन और स्वतंत्रता को भी संरक्षित किया जाना चाहिए.

इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता जोड़े को कहा है कि याचिका की कॉपी संबंधित थानाधिकारी को पेश करें और थानाधिकारी उन्हें सुरक्षा देने के लिए उचित कदम उठाए. अदालत ने स्पष्ट किया है कि अदालती आदेश किसी अन्य सिविल या आपराधिक मामले के अनुसंधान में रुकावट नहीं बनेगा. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे युवक-युवती की याचिका पर दिए.

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अदालत ने कहा कि राजस्थान पुलिस एक्ट, 2007 की धारा 29 के तहत पुलिसकर्मी का यह कर्तव्य है कि वह नागरिकों के जीवन और स्वतंत्रता को संरक्षण दे. याचिका में कहा था कि दोनों याचिकाकर्ता वयस्क और अविवाहित हैं. उनके एक साथ रहने पर परिजन राजी नहीं है और उन्हें धमकियां दी जा रही हैं. इससे उनके जीवन और स्वतंत्रता को खतरा है. इसलिए पुलिस को निर्देश दिए जाए कि वह उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करे.

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