जयपुर. राजस्थान एसीबी ने एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए दुष्कर्म के प्रकरण में एफआर लगाने की एवज में 1 लाख रुपए की मांग (Additional DCP demanded 1 lakh for FR In Rape case) करने वाले निलंबित एडिशनल डीसीपी राजेंद्र त्यागी को गिरफ्तार किया (Suspended Additional DCP arrested by Rajasthan ACB) है. वर्ष 2020 में जयपुर पुलिस कमिश्नरेट में एडिशनल डीसीपी के पद पर तैनात रहते हुए राजेंद्र त्यागी ने परिवादी से रिश्वत की मांग की थी.
शिकायत पर रंगे हाथों पकड़ने के लिए एसीबी ने जाल बिछाया, लेकिन एसीबी कार्रवाई की भनक (ACB Action On Suspended DCP) लगने पर त्यागी ने परिवादी से रिश्वत राशि लेने से इनकार कर दिया था. बाद में जांच एजेंसी ने परिवादी की शिकायत को वेरिफाई किया और घूसखोरी की बात को सही माना. मई 2020 में एसीबी मुख्यालय में त्यागी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया और मुकदमा दर्ज होने के बाद राजस्थान सरकार के कार्मिक विभाग ने त्यागी को निलंबित करने के आदेश जारी किए.
सरकार ने दी स्वीकृति: राजेंद्र त्यागी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के बाद उसके खिलाफ कोर्ट में चालान पेश करने के लिए एसीबी ने राजस्थान सरकार से त्यागी के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति की मांग की. कुछ दिन पहले ही सरकार की ओर से राजस्थान एसीबी को त्यागी के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति प्रदान की गई. जिसके बाद एसीबी मुख्यालय की ओर से त्यागी को नोटिस भेजकर एसीबी मुख्यालय पेश होने के लिए कहा गया.
जयपुर से त्यागी हुआ फरार: : एसीबी डीजी बीएल सोनी ने बताया अभियोजन स्वीकृति मिलने के बाद प्रकरण की जांच कर रहे जांच अधिकारी ने त्यागी को नोटिस भेजकर पूछताछ के लिए एसीबी मुख्यालय में बुलाया तो त्यागी जांच अधिकारी के समक्ष पेश नहीं हुआ. शहर छोड़कर वो नोएडा में अपने एक परिचित के घर पर जा छिपा. सूचना मिलने पर एसीबी टीम ने त्यागी को नोएडा से गिरफ्तार कर लिया. एसीबी टीम आज दोपहर तक त्यागी को कोर्ट में पेश करेगी और प्रकरण में चालान भी पेश करेगी.
क्या है एफआर? : जब किसी मामले में जांच के दौरान साक्ष्य पर्याप्त होते हैं तो उस मामले को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 170 के अनुसार संबंधित मजिस्ट्रेट के पास भेज दिया जाता है. जांच समाप्त हो जाने पर पुलिस अधिकारी उस मामले को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 173(2) के अनुसार न्यायालय में चालान के लिए अंतिम या फाइनल रिपोर्ट प्रस्तुत कर देता है.