जयपुर. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 75 दिन बाद स्कूल फीस मामले को लेकर अपना अंतिम फैसला दे दिया है. फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने फीस एक्ट 2016 को सही मानते हुए स्कूलों को यह आदेश दिया है कि जिन स्कूलों ने सत्र 2019-20 की फीस एक्ट 2016 के अनुसार निर्धारित की थी, वे अभिभावकों को 15 फीसदी छूट देकर सत्र 2020-21 की 85 फीसदी फीस ले सकेंगे.
पढ़ें- पढ़ें- जीवन बचाने के लिए सख्ती से लागू करें रेड अलर्ट जन अनुशासन पखवाड़ा: CM गहलोत
संयुक्त अभिभावक संघ के लीगल सेल प्रमुख एडवोकेट अमित छंगाणी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार जिन स्कूल संचालक की ओर से फीस एक्ट 2016 के अनुसार सत्र 2019-20 की फीस तय की गई है, उन्हें सत्र 2020-21 की 85 फीसदी फीस लेने के का आदेश दिया गया है. वे इस फीस का भुगतान 5 अगस्त तक 6 समान किस्तों में पूर्व के अंतरिम आदेश के अनुसार ले सकेंगे.
हालांकि, कोर्ट ने यह भी साफ किया है कि स्कूल चाहे तो 15 फीसदी के अतिरिक्त छूट भी दे सकते हैं. स्कूल मैनजमेंट किसी भी छात्र को ऑनलाइन क्लास या ऑफलाइन कक्षा से फीस नहीं चुकाने पर निकाल नहीं सकेंगे और ना ही परिणाम रोका जा सकेगा. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है क कक्षा 10 और 12 के विद्यार्थियों का परिणाम भी फीस जमा नहीं करवाने पर रोक नहीं सकते. अभिभावकों या छात्र-छात्राओं से अंडरटेकिंग लेकर परीक्षा देने दिया जाएगा और परिणाम भी जारी किया जाएगा.
संयुक्त अभिभावक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 2016 फीस एक्ट को सही मानकर उसे लागू कर दिया है. जिससे अभिभावकों को राहत मिलेगी और स्कूलों की मनमानियों पर लगाम लगेगी. सुप्रीम कोर्ट ने फीस एक्ट के अनुसार फीस लेने का आदेश दिया है. उनका यह भी कहना है कि फीस एक्ट 2016 आज तक प्रदेश के स्कूलों की ओर से सही तरीके से लागू नहीं किया है. संयुक्त अभिभावक संघ इसमें निर्णय की पूर्ण विवेचना करने के बाद अभिभावकों के लिए पुनः न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगा.