जयपुर. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने ग्रेटर नगर निगम जयपुर की निलंबित मेयर सौम्या गुर्जर (Somya Gurjar) के निलंबन मामले में राज्य सरकार, नगर निगम और ग्रेटर निगम (Greater Municipal Corporation) की कार्यवाहक मेयर शील धाभाई (Sheel Dhabhai) से 24 अगस्त तक जवाब देने के लिए कहा है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने यह निर्देश सौम्या गुर्जर (Somya Gurjar) की एसएलपी पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए दिया.
सौम्या गुर्जर (Somya Gurjar) ने एसएलपी में हाईकोर्ट के 28 जून के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें उनकी याचिका खारिज कर दी थी. सौम्या की ओर से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने बहस करते हुए कहा कि नगर निगम कमिश्नर की ओर से मामले में दर्ज कराई गई FIR में ऐसा कोई गंभीर आधार नहीं है, जिस पर राज्य सरकार प्रार्थिया को मेयर के पद से निलंबित करती. इसके अलावा एसएलपी में नगर पालिका अधिनियम की धारा 39 (1) (d) की संवैधानिक वैधता को भी चुनौती देते हुए कहा कि पूर्व मेयर का निलंबन गलत किया है. इसलिए निलंबन आदेश पर रोक लगाई जाए.
इसके जवाब में राज्य सरकार (Rajasthan Government) ने कहा कि प्रार्थिया पूर्व मेयर का निलंबन राजनीतिक द्वेषता से नहीं किया है. राज्य सरकार ने भाजपा से जुड़ी महिला को कार्यवाहक मेयर बनाया है. कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनकर मामले में राज्य सरकार सहित संबंधित पक्षकारों से 24 अगस्त तक जवाब देने के लिए कहा.
गौरतलब है कि निगम आयुक्त से मारपीट और अभद्रता को लेकर आयुक्त की ओर से राजस्थान सरकार (Rajasthan Government) को शिकायत भेजी गई थी. राज्य सरकार ने शिकायत पर कार्रवाई करते हुए सौम्या गुर्जर (Somya Gurjar) सहित याचिकाकर्ता पार्षदों को निलंबित कर मामले को न्यायिक जांच के लिए भेज दिया था.
बता दें, 4 जून को तत्कालीन महापौर सौम्या गुर्जर (Somya Gurjar) के चेंबर से विवाद की शुरुआत हुई थी. निगमायुक्त यज्ञमित्र सिंह देव ने चेंबर में खुद के साथ मारपीट होने और बदसलूकी करने का आरोप लगाया था. साथ ही इसकी शिकायत राजस्थान सरकार (Rajasthan Government) से करते हुए तीन पार्षदों के खिलाफ ज्योति नगर थाने में मामला भी दर्ज कराया था. इसके बाद सरकार ने पूरे प्रकरण की जांच करते हुए महापौर और तीन पार्षदों को दोषी मानते हुए निलंबित कर दिया था.
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सौम्या गुर्जर (Somya Gurjar) ने राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) के फैसले को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में भी चुनौती दे रखी है. हाईकोर्ट ने सौम्या की ओर से लगाई गई याचिका खारिज कर दी थी और उनके निलंबन को बरकरार रखते हुए गहलोत सरकार को निर्देश दिया था कि इस मामले की न्यायिक जांच 6 महीने में पूरा कर कोर्ट को अवगत कराया जाए.