जयपुर. सुप्रीम कोर्ट ने रीट लेवल वन में बीएड अभ्यर्थियों को शामिल करने को लेकर अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया है. साथ ही अदालत ने मामले की सुनवाई छह सप्ताह बाद तय की है. अदालत ने कहा है कि दी जाने वाली नियुक्तियां एसएलपी के निर्णयाधीन रहेंगी. जस्टिस विनीत सारन और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की खंडपीठ ने यह आदेश बीएड अभ्यर्थी देवेश शर्मा और एनसीटीई की विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.
मामले के अनुसार एनसीटीई ने 28 जून 2018 को अधिसूचना जारी (NCTE released the notification on 28 June 2018 ) कर तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती लेवल वन में (third grade teacher recruitment level one ) बीएड अभ्यर्थियों को इस शर्त पर पात्र माना था कि संबंधित अभ्यर्थी को नियुक्ति के दो साल में छह माह का ब्रिज कोर्स पास करना जरूरी होगा. हाईकोर्ट ने गत 25 नवंबर को इस अधिसूचना को असंवैधानिक करार देते हुए निरस्त कर दिया था. इस आदेश के खिलाफ बीएड अभ्यर्थी और एनसीटीई ने एसएलपी दायर कर कहा कि उन्हें रीट भर्ती के लेवल वन में नियमानुसार शामिल किया गया था.
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हाईकोर्ट ने अधिसूचना को गलत रद्द किया है. ऐसे में नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए. जिसका विरोध करते हुए बीएड अभ्यर्थियों की ओर से अधिवक्ता विज्ञान शाह ने कहा कि एनसीटीई ने अपनी अधिसूचना को केन्द्र सरकार के निर्देश पर जारी किया था. जबकि केन्द्र सरकार को आरटीई एक्ट व एनसीटीई एक्ट के तहत इस तरह का निर्देश देने का कोई अधिकार नहीं है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार करते हुए दी जाने वाली नियुक्तियों को एसएलपी के अधीन करते हुए मामले की सुनवाई छह सप्ताह बाद तय की है.