जयपुर. वैशाख मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी विकट गणेश चतुर्थी पर्व मनाया गया. इस दिन सुहागिनों ने भगवान गणेश की पूजा की. साथ ही उनका व्रत रख रात में चांद को अर्घ्य देकर व्रत पूरा किया गया.
कहा जाता है कि भगवान गणेश विघ्नहर्ता है और सभी की मनोकामनाएं पूरी करते हैं. इसलिए इस दिन व्रत रखने से सभी प्रकार के संकटो से मुक्ति मिलती है.
वैशाख पर्व पर सुहागिनों ने पहले स्नानादि करके नए वस्त्र पहने और फिर भगवान गणेश को आसन पर विराजमान किया. जैसे कि 10 अप्रैल की रात 9.31 बजे से प्रारंभ हुई चतुर्थी तिथि जो कि 11 अप्रैल शाम 7.01 बजे तक शुभ मुहूर्त में विधिविधान से आराधना की गई.
पढ़ें. जोधपुर में रेलवे वर्कशॉप में बनाई गई सैनिटाइज टनल, स्टेशन और अस्पतालों को कराएंगे उपलब्ध
फिर भगवान गणेश के 'ॐ चतुराय नमः, ॐ गजाननाय नमः ॐ विघ्नराजाय नमः, ॐ प्रसन्नात्मने नमः' मंत्रो का जाप किया. साथ ही गणपति बप्पा को पूजा के समय शमी की पत्तियां अर्पित कर उनको प्रसन्न किया.
वहीं उनको 21 दुर्वा चढ़ाकर 21 लड्डुओं का भोग लगाया. फिर अंत मे गणेश जी की आरती की गई. बाद में प्रसाद ब्राह्मणों और परिजनों में बांट दिया गया. ऐसे में चतुर्थी के दिन सुबह से व्रत रखी सुहागिनों ने चंद्रमा का रात 10.31 बजे अर्घ्य देकर गणेश जी का स्मरण किया. उनसे अपनी मनोकामनाएं व्यक्त की.
सबसे आखिर में महिलाओं ने स्वयं भोजन ग्रहण कर व्रत पूर्ण किया. कहा जाता है कि, इससे भक्तों के बिगड़े काम बनेंगे और कार्यो में सफलता प्राप्त होगी. साथ ही सभी की मनोकामनाएं पूर्ण होगी.