जयपुर. राज्य सरकार ने पहली से पांचवी, दसवीं और बारहवीं के सिलेबस में कोई बदलाव नहीं किया है. इसके बावजूद पाठ्य पुस्तक मंडल की ओर से पुराने पाठ्यक्रम वाली किताबों को भी अब तक बुक डिपो तक नहीं पहुंचाया गया है. यही वजह है कि जो छात्र इस लॉकडाउन पीरियड में पढ़ाई करने के लिए किताबें लेने बुक डिपो तक पहुंच रहे हैं, उन्हें निराशा हाथ लग रही है.
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालयों से सरकारी स्कूलों के लिए मिली किताबों की डिमांड और पुस्तक विक्रेताओं से मिली डिमांड के आधार पर पाठ्य पुस्तक मंडल ने इस बार करीब छह करोड़ किताबें छपवाई है. इसमें से 4.50 करोड़ किताबों का वितरण सरकारी स्कूलों में होगा. जबकि बाकी किताबें पुस्तक विक्रेताओं को दी जाएगी. 6 करोड़ किताबों में से 2.44 करोड़ किताबें संग्रहण केंद्रों तक पहुंच गई. वहीं शेष किताब में प्रिंटिंग प्रेस में ही है.
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कोरोना संक्रमण के चलते राज्य सरकार के निर्देश पर सरकारी स्कूल 30 जून तक बंद रहेंगे. वहीं पाठ्यपुस्तक मंडल ने पुस्तक विक्रेताओं तक भी आरबीएसई की किताबें नहीं पहुंचाई है. जिसका खामियाजा उन छात्रों को भुगतना पड़ रहा है, जो इस लॉकडाउन पीरियड में अपनी पढ़ाई पर फोकस करना चाहते हैं. ईटीवी भारत शहर के प्रमुख पुस्तक विक्रेताओं के पास पहुंचा तो सामने आया कि राज्य सरकार ने NCERT का पाठ्यक्रम लागू किया है.
किताब दुकानों से मायूस लौट रहे छात्र
पाठ्यपुस्तक मंडल ने पुस्तक विक्रेताओं से जो ऑर्डर जनवरी महीने में लिया था, वो किताबें उन तक नहीं पहुंचाई है. मंडल ना तो पहली से पांचवीं की किताबें उपलब्ध करवा रहा है, ना 10वीं और 12वीं की किताबें दे रहा है. जबकि इनके कोर्स में तो बदलाव भी नहीं हुआ है. वहीं 10वीं और 12वीं बोर्ड के एग्जाम होने के चलते बड़ी संख्या में छात्र किताबों के लिए पहुंच रहे हैं, लेकिन यहां से उन्हें निराश होकर लौटना पड़ा रहा है.
जानकारी के अनुसार कक्षा 6,7, 8, 9 और 11 में एनसीआरटी का पाठ्यक्रम लागू किया गया है. ऐसे में छात्रों को दिल्ली एनसीईआरटी की किताबें तो उपलब्ध कराई जा रही है, लेकिन हैरानी की बात ये है कि आखिर पाठ्य पुस्तक मंडल पुराने पाठ्यक्रम वाली किताबों को उपलब्ध क्यों नहीं करा रहा है.