जयपुर. पीड़िता को पहले शराब के नशे में देह व्यापार में धकेला और फिर उसे 5 लाख रुपए में बेचने की तैयारी थी. लेकिन अब वो उस दलदल से आजाद हो गई है. स्नेह आंगन, मानव तस्करी विरोधी टीम और Etv भारत के ऑपरेशन आजाद (operation azad of etv bharat) ने ना केवल पीड़िता को आजाद कराया, बल्कि आरोपियों को जेल की सलाखों के पीछे भी पहुंचाया. किस तरह से पीड़िता अपने घर से आई और किस तरह से जयपुर में बस स्टैंड पर गिरोह के रूप में काम कर रहे लोगों के चंगुल में फंसी सुनिये Etv Bharat पर दर्द की दास्तां खुद पीड़िता की (Story of victim pushed into prostitution in Jaipur) जुबानी.
पीड़िता ने आपबीती बताते हुए कहा कि वह अपनी जिंदगी अपने तरीके से जीना चाहती थी, उसके अपने सपने थे जिन्हें वह पूरा करना चाहती थी. घर पर हमेशा झगड़ा होता था. जिसकी वजह से उसने 3 महीने पहले अपने घर को छोड़ दिया. पीड़िता ने कहा कि मैं कोटा से जयपुर तो आ गई, लेकिन जयपुर सिंधी कैंप बस स्टैंड पर मैं इस बात को लेकर परेशान थी कि अब आगे कहां जाऊं.
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इसी बीच एक संदेश नाम का लड़का मिला और मुझ से मेरी परेशानी का कारण पूछता है. कुछ देर में मुझे वह अपने विश्वास में लेता है और कहता है कि परेशान मत हो अपने घर वापस लौट जा. जब मैंने उससे कहा कि मैं अपने घर वापस नहीं जा सकती तो उसने फिर अपनी किसी एक साथी जो भरतपुर में रहती थी, उसके नंबर दिए और उस लड़की से मेरी बात कराई.
मर्जी से गई, लेकिन मर्जी से आ नहीं पाईः पीड़िता ने कहा कि संदेश ने मुझे जिस लड़की से बात कराई उसे वह अपनी बहन बता रहा था. उस लड़की ने मुझसे कहा कि भरतपुर आ जा यहां कुछ हेल्प करती हूं. इसके बाद मैं उसके भरोसे में आ गई और भरतपुर पहुंच गई. बकौल पीड़िता तीन-चार दिन तो मैं उनके साथ उनके घर पर रही, लेकिन उसके बाद सुनीता जाटव जो उस लड़की की मां थी वह मुझे एक पुजारी के पास ले कर गई. उसने कहा कि तेरे ऊपर जो दोष है, जिसे खत्म करेंगे. पुजारी जो भी तुझे कहे उसे करना.
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पीड़िता ने कहा कि पुजारी की नियत मुझे अच्छी नहीं लगी, मेरे साथ कुछ गंदा करना चाहता था तो मैं वहां से भाग आई और घर पहुंच गई. उसके बाद मुझे सुनीता की चाल चलन समझ में आने लगे थे. लेकिन वह मुझे कभी अकेला नहीं छोड़ते थे. मैं चाह कर भी वहां से नहीं निकल पा रही थी. मेरी हालत ठीक उस तरह से हो गई थी कि मैं वहां गई तो अपनी मर्जी से थी, लेकिन वापस नहीं जा पा रही थी.
शराब के नशे में किया गंदा कामः पीड़िता ने बताया कि उसकी छोटी बेटी मुझे उसके एक दोस्त महेंद्र के पास लेकर गई. महेंद्र ने मुझे शराब पिलाई और नशे में मेरे साथ गंदा काम किया. इसके बाद फिर मुझे वह हर दिन जबरन मजबूर करके शराब पिलाते और मेरे साथ अलग-अलग लड़कों के साथ गंदा काम कराते. इस बीच मेरी तबीयत खराब हुई , जिस पर मेरा इलाज कराया गया. मैंने कई बार वहां से भागने की कोशिश भी की, लेकिन हर बार नाकामी ही हाथ लगती.
मां बन कर हैवानियत की हदें की पारः पीड़िता ने कहा कि मैंने पहले तो उस लड़की पर भरोसा करके सबसे बड़ी गलती की, जिसने मुझे भरतपुर बुलाया. उसके बाद उसकी मां पर भरोसा करके दूसरी गलती की. सुनीता हमेशा मुझसे कहती कि तू मेरी बेटी की तरह है और मैं तेरी मां हूं. तू किसी तरह से परेशान मत हो, लेकिन मुझे यह पता नहीं था कि यह मां ही मुझे इस तरह के गंदे काम में धकेल देगी. मां बनकर उसने हैवानियत की हदें पार की है. पीड़िता ने कहा कि मैं हर दिन उसके सामने रोती और कहती की मुझे यह सब नहीं करना है. मुझे यहां से जाने दो , लेकिन उन्होंने मुझे कभी भी वहां से निकलने नहीं दिया. पीड़िता ने कहा कि मैं हर दिन ईश्वर से यही दुआ करती थी कि मुझे कोई इस दलदल से बाहर निकाले.
घर नहीं जाना साहबः पीड़िता से जब Etv भारत ने पूछा कि क्या अब वह अपने घर वापस जाना चाहती है तो उसने साफ इनकार कर दिया. पीड़िता ने कहा कि साहब अब मुझे अपने घर भी नहीं जाना है , जिस घर में मेरे सपनों को पूरा करने के लिए मुझे रोका और जिसकी वजह से मैं इस घटनाक्रम में फंसी हूं , तो अब मैं अपने घर वापस नहीं जाऊंगी. मैं यहीं से अपनी जिंदगी की नई शुरुआत करूंगी.
कोई गिरोह तो काम नहीं कर रहाः पीड़िता को जिस तरह से परेशानी में देखकर संदेश नाम के लड़के ने उसे अपनी बातों में बहला-फुसलाकर भरतपुर भेजा, ऐसे में यह सवाल भी खड़े होते हैं कि कहीं ऐसा तो नहीं है कि रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड पर इस तरह का गिरोह सक्रिय है. जो इसी फिराक में रहता है कि कोई भी लड़की घर छोड़ कर आई हो, हैरान और परेशान हो उसे विश्वास में लेकर इस देह व्यापार के दलदल में भेजा जाए. जरूरी है कि पुलिस इस तरह के गिरोह पर भी पैनी नजर रखे और ठोस कार्रवाई करे.