जयपुर. साइबर ठग नए-नए तरीकों से लोगों को अपने जाल में फंसा कर अपनी ठगी का शिकार बनाने में लगे हुए हैं. अब ठगों ने कोरोना वैकेसीन के नाम पर ठगी करना शुरू कर दिया है. जैसे ही सरकार की ओर से कोरोना की वैक्सीन का डिस्ट्रीब्यूशन शुरू किया गया, वैसे ही वैक्सीन के रजिस्ट्रेशन के नाम पर साइबर ठगों ने लोगों को अपना शिकार बनाना शुरू कर दिया. साइबर ठग जनता को कोरोना वैक्सीन के रजिस्ट्रेशन का झांसा देकर तमाम निजी जानकारियां इकट्ठा कर रहे हैं और फिर उन तमाम जानकारियों को डीप वेब पर अन्य हैकर्स को बेच दिया जा रहा है. इसके साथ ही कोरोना वैक्सीन के रजिस्ट्रेशन के नाम पर भी लोगों से राशि हड़पी जा रही है.
कोरोना वैक्सीन के रजिस्ट्रेशन के नाम पर साइबर ठग विभिन्न सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जरिए आमजन को टारगेट कर रहे हैं. वैक्सिन के रजिस्ट्रेशन के लिए एक लिंक भेज रहे हैं. जैसे ही व्यक्ति साइबर ठगों के झांसे में आकर लिंक पर क्लिक कर अपनी तमाम निजी जानकारी भरता है, वैसे ही उसकी तमाम निजी जानकारी डीप वेब पर अन्य हैकर्स को मोटे दाम पर बेच दी जाती है. इसके साथ ही रजिस्ट्रेशन के नाम पर पेटीएम के माध्यम से शुल्क भी वसूला जाता है. इस प्रकार से साइबर ठगों की ओर से लोगों को अपनी ठगी का शिकार बनाया जा रहा है. इस पूरे प्रकरण में ठगी गई राशि काफी कम होती है. जिसके चलते लोग पुलिस में इसकी शिकायत भी दर्ज नहीं करवा रहे हैं लेकिन इसमें ठगे गए लोगों का दायरा काफी अधिक होता है. जिसके चलते साइबर ठगों के खातों में एक मोटी धनराशि जमा हो जाती है.
इस प्रकार से बनाते हैं साइबर ठग लोगों को अपना शिकार
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि कोरोना वैक्सीन के रजिस्ट्रेशन के नाम पर साइबर ठग लोगों को अपनी ठगी का शिकार बनाने के लिए विभिन्न सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जरिए गूगल डॉक्स का एक लिंक भेजते हैं. सरकार द्वारा वैक्सीन का रजिस्ट्रेशन कराने का हवाला देकर लिंक साझा किया जाता है. जैसे ही व्यक्ति उस लिंक पर क्लिक करता है तो एक फॉर्म जनरेट होता है जिसमें उस व्यक्ति का मोबाइल नंबर, आधार कार्ड, पिन कार्ड सहित तमाम निजी जानकारियां मांगी जाती है. जैसे ही व्यक्ति यह तमाम निजी जानकारियां उस फॉर्म पर भरने के बाद फॉर्म को सबमिट करता है तो उसकी तमाम निजी जानकारी डीप वेब पर सार्वजनिक कर दी जाती है.
पेटीएम के जरिए मांगी जाती है रजिस्ट्रेशन राशि
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि व्यक्ति से रजिस्ट्रेशन के नाम पर तमाम निजी जानकारी हासिल करने के बाद वैक्सीन के रजिस्ट्रेशन के लिए एक शुल्क भरने के लिए कहा जाता है. इसके लिए 200 से लेकर 500 रुपए प्रति व्यक्ति रजिस्ट्रेशन शुल्क वसूला जाता है, जोकि पेटीएम के माध्यम से भरने को कहा जाता है.
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साइबर ठग पेटीएम के माध्यम से लोगों से रुपए ठगते हैं क्योंकि पेटीएम कि नॉन रिवर्सिबल पॉलिसी होती है. जिसके चलते ठगी गई राशि को वापस प्राप्त नहीं किया जा सकता. इस प्रकार से हजारों की संख्या में लोगों को ठगी का शिकार बना लिया जाता है.
ऐसे करें अपना बचाव:
निजी जानकारी साझा करने से पहले जांचें वेबसाइट का डोमेन
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि सरकार की तरफ से जितनी भी योजनाएं लागू की जाती हैं. उन सब की जानकारी सरकार की ऑफिशियल वेबसाइट पर आमजन के लिए साझा की जाती है. वहीं साइबर ठग जिन वेबसाइट के माध्यम से लोगों को निजी जानकारी साझा करने के लिए कहते हैं, वह तमाम वेबसाइट फर्जी होती हैं या फिर सरकारी वेबसाइट से मिलती जुलती नाम की होती हैं. इसके लिए यूजर को उस वेबसाइट का डोमेन आवश्यक जांचना चाहिए.
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सरकार की ओर से किसी भी योजना की जानकारी जिस सरकारी वेबसाइट पर दी जाती है. उसके डोमेन के अंत में .gov.in या .nic.in अवश्य होगा. वहीं साइबर ठग की ओर से जिन वेबसाइट के माध्यम से लोगों को निजी जानकारी साझा करने के लिए कहा जाता है, उन वेबसाइट के डोमेन के अंत में .com, .org, .net या .cn होगा. इन चीज पर विशेष ध्यान देकर लोग ठगी का शिकार होने से बच सकते हैं.
पेटीएम के जरिए नहीं करें कोई पेमेंट
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट आयुष भारद्वाज ने बताया कि साइबर ठग कोरोना वैक्सीन के रजिस्ट्रेशन के लिए लोगों से पेटीएम के जरिए रजिस्ट्रेशन शुल्क वसूल रहे हैं. वहीं दूसरी ओर सरकार द्वारा अब तक वैक्सिनेशन से संबंधित किसी भी तरह का शुल्क नहीं वसूला जा रहा है और साथ ही पेटीएम के माध्यम से किसी भी तरह का कोई पेमेंट नहीं करने के लिए कहा जा रहा है. ऐसे में आमजन को सतर्क रहना चाहिए और यदि पेटीएम के माध्यम से कोई उनसे कोरोना वैक्सीन के रजिस्ट्रेशन के नाम पर शुल्क वसूल रहा है तो उस से बच कर रहना चाहिए.