जयपुर. शहर के परकोटे और भीड़ भरे बाजारों के बीच भूमिगत सुरंग और स्टेशनों का निर्माण जयपुर मेट्रो के लिए एक बड़ी चुनौती थी. हालांकि इस चुनौती पर पार पाया गया और बुधवार को शहर वासियों को भूमिगत मेट्रो की सौगात भी मिल गई. बड़ी चौपड़ से मानसरोवर तक चलने वाली जयपुर मेट्रो 26 मिनट में 11.3 किलोमीटर का सफर तय करेगी. शहरवासियों के लिए ये सुविधा बुधवार से ही शुरू हो गई.
6 महीने बाद बुधवार से एक बार फिर जयपुर में मेट्रो का संचालन शुरू हुआ. लेकिन खास बात ये है कि अब मेट्रो का संचालन मानसरोवर से बड़ी चौपड़ तक हो रहा है. भूमिगत मेट्रो के पहले सफर के दौरान कोरोना संक्रमण से बचाव के तमाम एहतियात बरते गए. ट्रेन में एक सीट छोड़कर एक सीट पर बैठने की व्यवस्था की गई. इसके अलावा प्रत्येक फेरे पर मेट्रो ट्रेन को सैनिटाइज करने की व्यवस्था की गई. यहां फिलहाल स्मार्ट कार्ड के जरिए ही शहरवासी सफर का लुत्फ उठा सकेंगे.
पहले सफर पर ईटीवी भारत के हमराही बने मुख्य सचेतक महेश जोशी ने कहा कि भूमिगत मेट्रो के संचालन से ना सिर्फ परकोटा वासियों को बल्कि यहां के व्यापारियों को भी फायदा होगा. चूंकि परकोटा टूरिस्ट हब है, ऐसे में यहां तक मेट्रो के संचालन से जयपुर आने वाले पर्यटक भी सुगम यात्रा कर सकेंगे. हालांकि ये काम 2018 में पूरा होना था. लेकिन 2 साल बाद जाकर ये काम पूरा हो पाया है, जिसका कसूरवार उन्होंने पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार को ठहराया.
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अब तक जयपुर मेट्रो का परिचालन दुर्घटना रहित रहा है. इसका बड़ा कारण यहां दी गई सुरक्षा व्यवस्था ही है. प्रत्येक कोच में फायर एक्सटिंग्विशर की सुविधा और फास्टेड की व्यवस्था की गई है तो वहीं प्रत्येक द्वार पर इंडिकेशन और इंस्ट्रक्शन अंकित है. साथ ही यहां लगे स्पीकर से पग-पग पर सूचनाएं प्रसारित होती हैं. इसके अलावा पूरे सफर के दौरान ट्रेन की गति को भी निर्धारित किया गया है. ईटीवी भारत ने इस सफर की सारथी रही ट्रेन ऑपरेटर शैफाली शर्मा से भी बात की.
उन्होंने बताया कि जयपुर मेट्रो द्वारा विश्व स्तरीय ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन और ऑटोमेटिक ट्रेन ऑपरेशन कैब सिगनलिंग प्रणाली का उपयोग किया जाता है, जिससे संचालन पूर्णतया सुरक्षित रहता है. उन्होंने बताया कि मेट्रो ट्रेन प्रतिदिन 178 ट्रिप चलाई जाएगी. इस दौरान अधिकतम 75 किलोमीटर प्रति घंटे और न्यूनतम 30 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार रहेगी.
बड़ी चौपड़ से चांदपोल तक करीब 2.12 किलोमीटर भूमिगत मेट्रो दौड़ेगी. इसके आगे चांदपोल से मानसरोवर तक एलिवेटेड पर 9.6 किलोमीटर का सफर तय करेगी. यहां न्यूनतम किराया 6 रुपया जबकि अधिकतम 22 रुपया रखा गया है. एक ट्रेन में तकरीबन 150 लोग यात्रा कर सकते हैं. खास बात ये है कि इस सफर के दौरान दिव्यांग लोगों के लिए भी एंट्री से एग्जिट तक सुविधा उपलब्ध कराई गई है. वहीं, ईटीवी भारत पर खबर प्रसारित होने के बाद अब भूमिगत मेट्रो स्टेशन पर मोबाइल नेटवर्क की भी व्यवस्था कर दी गई है.
जयपुर मेट्रो रेल परियोजना के फेस-1B का शिलान्यास 21 सितंबर 2013 को तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने किया था. ये फेस होने को तो महज 2.12 किलोमीटर लंबा था और यहां दो स्टेशन ही बनने थे. लेकिन इसमें 7 साल का समय बीत गया और अब जाकर शहर वासियों को भूमिगत मेट्रो की सौगात मिली है. 1126 करोड़ की लागत के इस प्रोजेक्ट से ना सिर्फ मेट्रो प्रशासन को रेवेन्यू बढ़ने की उम्मीद है. बल्कि शहरवासी और व्यापारी भी अपना-अपना फायदा देख रहे हैं. साथ ही अब फेस-2 को लेकर भी सपने संजोने लगे हैं.