जयपुर. जिला ग्रामीण एसपी कार्यालय के बाहर बुधवार को प्रदेश की पहली फुली ऑटोमेटिक सैनिटाइजिंग टनल की शुरुआत की गई. फुली ऑटोमेटिक होने के साथ ही इस टनल की खासियत यह भी है कि इसमें एक विशेष किस्म के केमिकल का प्रयोग सैनिटाइजिंग के लिए किया जा रहा है. जिसका निर्माण अमेरिका की कंपनी के द्वारा किया गया है और जो मनुष्य के साथ-साथ प्रकृति पर भी कोई विपरीत प्रभाव नहीं डालता है. दिल्ली स्थित एम्स हॉस्पिटल में भी अमेरिका के इसी केमिकल का प्रयोग सैनिटाइजिंग के लिए किया जा रहा है.
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कोरोना वायरस को मारने में कारगर है सोपी कंटेंट वाला केमिकल...
ऑटोमेटिक सैनिटाइजिंग टनल में जिस अमेरिकन केमिकल का प्रयोग किया जा रहा है उसके बारे में जानकारी देते हुए कंपनी के प्रतिनिधि मृदुल ने बताया, कि कोरोना वायरस की जो संरचना है वह फैटी एसिड की तरह है. जिसे मारने के लिए और खत्म करने के लिए सोपी कंटेंट वाले केमिकल की जरूरत होती है. जिसे ध्यान में रखते हुए कंपनी के द्वारा ईपीए अप्रूव्ड केमिकल का निर्माण किया गया.
केमिकल को एक निश्चित अनुपात में पानी के साथ मिलाकर सैनिटाइजिंग टनल में से गुजरने वाले व्यक्ति पर छिड़काव किया जाता है और जैसे ही केमिकल किसी भी सतह के संपर्क में आता है तो वह झाग में परिवर्तित हो जाता है. यही कारण है, कि यह केमिकल कोरोना वायरस को खत्म करने में काफी कारगर है.
प्रदेश में पहली बार किया गया टनल में सेंसर का प्रयोग...
जयपुर जिला ग्रामीण एसपी कार्यालय के बाहर लगाई गई ऑटोमेटिक सैनिटाइजिंग टनल प्रदेश की ऐसी पहली सैनिटाइजिंग टनल है, जिसमें सेंसर का प्रयोग किया गया है. इस टनल में वेट सेंसर लगाए गए हैं और जैसे ही कोई व्यक्ति इस टनल के अंदर प्रवेश करता है सेंसर एक्टिव हो जाते हैं और ऑटोमेटिक सैनिटाइजर का छिड़काव होना शुरू हो जाता है.
टनल के अंदर से जैसे ही व्यक्ति बाहर निकलता है वैसे ही सेंसर के द्वारा सैनिटाइजर के छिड़काव को बंद कर दिया जाता है. जिसके चलते सैनिटाइजिंग टनल को चालू और बंद करने में मैन पावर की बचत होती है और इसके साथ ही समय भी बचता है.