जयपुर. दौसा जिले के सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों के सरकारी आवास पर चल रही मेडिकल की दुकानों के मामले में राज्य मानवाधिकार आयोग ने प्रसंज्ञान लिया है. औषधि नियंत्रण संगठन नोटिस देकर इस मामले में जवाब तलब करेगा. राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष जस्टिस महेश चंद्र शर्मा ने इसके लिए एक आदेश जारी किया है. उन्होंने कहा कि भोली-भाली जनता को पढ़े-लिखे चिकित्सक अपना निवाला बना रहे हैं.
आयोग ने कहा कि सरकारी डॉक्टर अवैध कारोबार कर रहे हैं. इससे जनता को ही नहीं बल्कि सरकार को भी नुकसान हो रहा है. जो मानव के हितों के भी विपरीत है. राज्य सरकार के चिकित्सकों का यह कर्तव्य एवं दायित्व है कि रोगी मानव कि निष्काम भाव से सेवा करें. राज्य सरकार की तरफ से चलाई जा रही निशुल्क दवा योजना पर भी ऐसे डॉक्टरों की नजर हो सकती है. आयोग ने कहा है कि हो सकता डॉक्टर अवैध तरीके से दवाइयों कि दुकान चला रहे हों. ऐसे में डॉक्टर राज्य सरकार की योजनाओं की क्रियान्वयन में बाधा उत्पन्न करते हैं और आम आदमी तक लाभ नहीं पहुंचने देते जबकि राज्य सरकार ने ज्यादातर दवाइयां मुफ्त कर रखी हैं.
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पिछले दिनों संभागीय आयुक्त डॉ. समित शर्मा के निरीक्षण में दौसा में सरकारी डॉक्टरों की निजी जांच लैब संचालकों से मिलीभगत सहित कई खामियां मिली थी. इसके बाद शर्मा के निर्देश पर औषधि संगठन के अधिकारियों ने डॉक्टरों के सरकारी आवास पर स्थित मेडिकल स्टोर पर छापा मारा. जांच में सामने आया कि चिकित्सक विशेष की पर्चियों से घरों में संचालित मेडिकल की दुकानों व जांच लैबों पर ही प्रतिमाह लाखों का कारोबार हो जाता है.
सरकारी डॉक्टरों द्वारा मेडिकल स्टोर संचालकों के साथ मिलीभगत कर लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से यह गलत कार्य किया जा रहा है. रिश्तेदारों के नाम पर भी दौसा में सरकारी डॉक्टर मेडिकल स्टोर का संचालन कर रहे हैं. इस आदेश की प्रतिलिपि अतिरिक्त मुख्य सचिव, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, निदेशक, (जन स्वास्थ्य) चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सेवाएं, संभागीय आयुक्त, जिला कलेक्टर, जिला पुलिस अधीक्षक तथा औषधि नियंत्रक, राजस्थान को नोटिस जारी किया जाए एवं उपरोक्त सभी आयोग को तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे कि उनके द्वारा इस संबंध में क्या कार्रवाई की गई. उनके द्वारा की गई कार्रवाई की सम्पूर्ण रिपोर्ट आगामी तारीख पेशी से पूर्व आयोग के समक्ष प्रस्तुत करनी होगी.