जयपुर. दुष्कर्म पीड़ित और दुर्घटना में मृतक के आश्रितों को नौकरी देने के मामले में राज्य मानव अधिकार आयोग ने सख्ती दिखाई है. आयोग ने मुख्य सचिव डीबी गुप्ता से पूछा कि दुष्कर्म पीड़ित को किस नियम के तहत नौकरी दी जा सकती है. वहीं दुर्घटना में मृतक के आश्रितों को भी किस नियम के तहत हर्जाना और नौकरी का लाभ दिया जाता हैं. आयोग ने प्रदेश में पिछले दिनों हुई दुष्कर्म की घटना और दुर्घटनाओं के आंकड़े देते हुए राज्य सरकार से कहा है कि एक पीड़ित परिवार को सरकार द्वारा नौकरी दी जा रही है और दूसरे पीड़ित परिवार को नहीं.
मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश टाटिया ने मुख्य सचिव को सरकार से जवाब लेकर आयोग को अवगत कराने के निर्देश दिए. आयोग ने मुख्य सचिव से 9 जुलाई तक आयोग को रिपोर्ट पेश करने को कहा है. आयोग ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से आयोग के समक्ष जो जवाब प्रस्तुत किया जाए, वह मुख्य सचिव राजस्थान सरकार द्वारा अनुमोदित तथा उच्च अधिकारी से हस्ताक्षरित होना चाहिए. राज्य सरकार से रिपोर्ट प्राप्त होने पर आयोग आगे की कार्रवाई करेगा.
दरअसल, थानागाजी में सामूहिक दुष्कर्म की पीड़िता को राज्य सरकार ने पुलिस नौकरी देने और टोंक के नगर फोर्ट में ट्रैक्टर ड्राइवर की दुर्घटना में मौत मामले में मृतक के आश्रितों को हर्जाना और सरकारी नौकरी देने के मामले पर मानव अधिकार आयोग ने सरकार से पूछा कि सरकार द्वारा किन नियमों के आधार पर पीड़ित परिवारों को नौकरी दी जा रही है.