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थानागाजी दुष्कर्म पीड़िता को नौकरी देने पर घिरी गहलोत सरकार, आयोग ने पूछा- किस नियम के आधार पर दी नौकरी

दुष्कर्म पीड़िता को नौकरी देने और दुर्घटना में मृतक के आश्रितों को हर्जाना और नौकरी देने को लेकर राज्य मानव अधिकार आयोग ने जवाब मांगा है. आयोग ने मुख्य सचिव से पूछा कि किस नियम के तहत हर्जाना और नौकरी का लाभ दिया जाता है.

राज्य मानव अधिकार आयोग ने दुष्कर्म पीड़िता को नौकरी देने को लेकर सरकार से मांगा जवाब
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Published : Jun 7, 2019, 8:23 PM IST

जयपुर. दुष्कर्म पीड़ित और दुर्घटना में मृतक के आश्रितों को नौकरी देने के मामले में राज्य मानव अधिकार आयोग ने सख्ती दिखाई है. आयोग ने मुख्य सचिव डीबी गुप्ता से पूछा कि दुष्कर्म पीड़ित को किस नियम के तहत नौकरी दी जा सकती है. वहीं दुर्घटना में मृतक के आश्रितों को भी किस नियम के तहत हर्जाना और नौकरी का लाभ दिया जाता हैं. आयोग ने प्रदेश में पिछले दिनों हुई दुष्कर्म की घटना और दुर्घटनाओं के आंकड़े देते हुए राज्य सरकार से कहा है कि एक पीड़ित परिवार को सरकार द्वारा नौकरी दी जा रही है और दूसरे पीड़ित परिवार को नहीं.

राज्य मानव अधिकार आयोग ने दुष्कर्म पीड़िता को नौकरी देने को लेकर सरकार से मांगा जवाब

मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश टाटिया ने मुख्य सचिव को सरकार से जवाब लेकर आयोग को अवगत कराने के निर्देश दिए. आयोग ने मुख्य सचिव से 9 जुलाई तक आयोग को रिपोर्ट पेश करने को कहा है. आयोग ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से आयोग के समक्ष जो जवाब प्रस्तुत किया जाए, वह मुख्य सचिव राजस्थान सरकार द्वारा अनुमोदित तथा उच्च अधिकारी से हस्ताक्षरित होना चाहिए. राज्य सरकार से रिपोर्ट प्राप्त होने पर आयोग आगे की कार्रवाई करेगा.

दरअसल, थानागाजी में सामूहिक दुष्कर्म की पीड़िता को राज्य सरकार ने पुलिस नौकरी देने और टोंक के नगर फोर्ट में ट्रैक्टर ड्राइवर की दुर्घटना में मौत मामले में मृतक के आश्रितों को हर्जाना और सरकारी नौकरी देने के मामले पर मानव अधिकार आयोग ने सरकार से पूछा कि सरकार द्वारा किन नियमों के आधार पर पीड़ित परिवारों को नौकरी दी जा रही है.

जयपुर. दुष्कर्म पीड़ित और दुर्घटना में मृतक के आश्रितों को नौकरी देने के मामले में राज्य मानव अधिकार आयोग ने सख्ती दिखाई है. आयोग ने मुख्य सचिव डीबी गुप्ता से पूछा कि दुष्कर्म पीड़ित को किस नियम के तहत नौकरी दी जा सकती है. वहीं दुर्घटना में मृतक के आश्रितों को भी किस नियम के तहत हर्जाना और नौकरी का लाभ दिया जाता हैं. आयोग ने प्रदेश में पिछले दिनों हुई दुष्कर्म की घटना और दुर्घटनाओं के आंकड़े देते हुए राज्य सरकार से कहा है कि एक पीड़ित परिवार को सरकार द्वारा नौकरी दी जा रही है और दूसरे पीड़ित परिवार को नहीं.

राज्य मानव अधिकार आयोग ने दुष्कर्म पीड़िता को नौकरी देने को लेकर सरकार से मांगा जवाब

मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश टाटिया ने मुख्य सचिव को सरकार से जवाब लेकर आयोग को अवगत कराने के निर्देश दिए. आयोग ने मुख्य सचिव से 9 जुलाई तक आयोग को रिपोर्ट पेश करने को कहा है. आयोग ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से आयोग के समक्ष जो जवाब प्रस्तुत किया जाए, वह मुख्य सचिव राजस्थान सरकार द्वारा अनुमोदित तथा उच्च अधिकारी से हस्ताक्षरित होना चाहिए. राज्य सरकार से रिपोर्ट प्राप्त होने पर आयोग आगे की कार्रवाई करेगा.

दरअसल, थानागाजी में सामूहिक दुष्कर्म की पीड़िता को राज्य सरकार ने पुलिस नौकरी देने और टोंक के नगर फोर्ट में ट्रैक्टर ड्राइवर की दुर्घटना में मौत मामले में मृतक के आश्रितों को हर्जाना और सरकारी नौकरी देने के मामले पर मानव अधिकार आयोग ने सरकार से पूछा कि सरकार द्वारा किन नियमों के आधार पर पीड़ित परिवारों को नौकरी दी जा रही है.

Intro:
जयपुर

सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता को नौकरी देने का मामला , मानव अधिकार आयोग ने दिखाई सख्ती , सरकार से पूछा किन नियमों के तहत दी गई दुष्कर्म पीड़ित को नौकरी , दुष्कर्म पीड़ता और दुर्घटना में मर्तकनके आश्रितों को लाभ देने में सरकार की दोहरी निति क्यों

एंकर:- दुष्कर्म पीड़िता और दुर्घटना में मृतक के आश्रितों को नोकरी देने के मामले में राज्य मानव अधिकार आयोग ने शक्ति दिखाइ है , राज्य मानव अधिकार आयोग ने मुख्य सचिव डीबी गुप्ता से पूछा है कि वह यह बताएं कि दुष्कर्म पीड़ितों को किस नियम के तहत नौकरी दी जा सकती है , और दुर्घटना में मृतक के आश्रितों को भी किस नियम के तहत हर्जाना ओर नोकरी का लाभ दिया जाता है , मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश टाटिया ने मुख्य सचिव को सरकार से जवाब लेकर आयोग को अवगत कराने के निर्देश दिए , मानव अधिकार आयोग ने मुख्य सचिव से 9 जुलाई तक आयोग को रिपोर्ट पेश करने को कहा है , यहां तक कि आयोग ने कहा है कि जो राज्य सरकार की ओर से आयोग के समक्ष जो जवाब प्रस्तुत किया जाए वह मुख्य सचिव राजस्थान सरकार द्वारा अनुमोदित तथा उच्च अधिकारी से हस्ताक्षरित होना चाहिए ही , इस विषय पर राज्य मानव अधिकार आयोग किसी विभाग के मत और विभाग से रिपोर्ट नहीं चाह रहा है जो भी रिपोर्ट आयोग को दी जाए वह राज्य सरकार की ओर से राज्य की रिपोर्ट प्राप्त होने के आधार पर ही दी जाए ताकिआयोग आगे की कार्रवाई करेगा , दरअसल अलवर जिले के थानागाजी में सामूहिक दुष्कर्म की पीड़िता को राज्य की गहलोत सरकार ने पुलिस नौकरी देने और टोंक जिले के नगर फोर्ट में ट्रैक्टर ड्राइवर की दुर्घटना में मौत होने पर मृतक के आश्रितों को हर्जाना और सरकारी नौकरी देने के मामले पर मानव अधिकार आयोग ने सरकार से पूछा है कि आखिर कार सरकार के नियमों और आदेश के आधार पर इस तरह से पीड़ित परिवारों को नौकरी दी जा रही है , आयोग ने प्रदेश में पिछड़ों दिनों हुई दुष्कर्म की घटना और दुर्घटनाओं के आंकड़े देते हुए राज्य सरकार से कहा है कि एक परिवार को तो सरकार नौकरी दे रही है और दूसरे पीड़ित परिवार को नौकरी नहीं दी जा रही है इस सरकार का किस तरह का रवैया है कि एक पीड़ित परिवार को तो लाभ दिया जा रहा है और दूसरे परिवार को या पीड़िता को लाभ नहीं मिल रहा है आयोग ने इस पूरे मामले पर सरकार की तरफ से जवाब लेकर मुख्य सचिव को 9 जुलाई तक रिपोर्ट पेश करने को कहा है ।


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