जयपुर. राज्य मानवाधिकार आयोग ने सीकर के खंडेला कस्बे में वकील के आत्मदाह करने के मामले में स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया (State human rights commission took cognizance) है. इस मामले में आयोग ने मुख्य सचिव, डीजीपी, सीकर कलेक्टर और एसपी से 15 दिन में तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है. आयोग ने यह आदेश प्रकरण में प्रकाशित समाचारों पर स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लेते हुए दिए.
आयोग ने अपने आदेश में कहा कि तथ्यों से जाहिर होता है कि उपखंड अधिकारी, खंडेला विधि विरुद्ध काम करते थे और उन्होंने अधिवक्ता हंसराज को वकालत बर्बाद करने की धमकी दी थी. इसके अलावा एसडीएम की शह पर खंडेला थानाधिकारी ने भी हंसराज को धमकी दी थी. विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया था कि एसडीएम और थानाधिकारी के प्रताड़ित करने और धमकाने के चलते अधिवक्ता ने खुद को जिंदा जला दिया था.
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अधिवक्ता हंसराज ने अपने सुसाइड नोट में दोनों अधिकारियों को अपनी मौत के लिए जिम्मेदार बताया है. सुसाइड नोट में आरोप लगाया गया कि न सिर्फ एसडीएम राकेश कुमार उसके साथ अभद्र व्यवहार करते है, बल्कि स्थगन आदेश की फाइलों में पैसों की मांग भी करते हैं. इसके अलावा थानाधिकारी धासीराम ने एडवोकेट को घर जाकर धमकी दी कि एसडीएम के खिलाफ कार्रवाई की तो वह उसे बंद कर देगा और मुकदमा लगाकर परिवार बर्बाद कर देगा.