जयपुर. कोरोना संक्रमित मरीजों का एसएमएस अस्पताल में इलाज करवाने को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी. जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. सोमवार को प्रदेश सरकार ने कोर्ट को अपना जवाब दे दिया है.
हाईकोर्ट में सरकार ने कहा कि एसएमएस अस्पताल में कोरोना मरीजों का इलाज नहीं किया जा सकता. प्रदेश में कुल मरीजों के सिर्फ पांच फीसदी ही कोरोना संक्रमित मरीज हैं और इनमें से भी सिर्फ 2 फीसदी मरीजों को ही भर्ती की जरूरत है. ऐसे में गैर कोविड मरीजों के इलाज में हितों को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने विशेषज्ञों की राय से एसएमएस अस्पताल को कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित नहीं रखा है. इसके अलावा एसएमएस अस्पताल की बजाए आरयूएचएस, जयपुरिया और ईएसआई अस्पताल को पूरी तरह से कोरोना मरीजों के इलाज के लिए समर्पित किया गया है. राज्य सरकार के जवाब को रिकॉर्ड पर लेते हुए मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 2 सप्ताह के लिए टाल दी है.
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सभी कोरोना मरीजों को वेंटिलेटर और ऑक्सीजन की जरूरत नहीं...
राज्य सरकार की तरफ से जवाब में कहा गया कि सभी कोरोना संक्रमित मरीजों को वेंटिलेटर और ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत नहीं है. प्रदेश में कोरोना मरीजों के इलाज की बेहतर सुविधा है. याचिका में वेंटिलेटर और बेड की कमी की बात गलत कही गई है. जयपुर के आरयूएचएस अस्पताल में 10 अक्टूबर तक 62 वेंटिलेटर थे, जिसमें से 29 ही काम में आ रहे हैं. इसके अलावा 84 निजी अस्पतालों को भी मरीजों के इलाज के लिए आरक्षित रखा गया है और इनमें 9 हजार से अधिक बेड उपलब्ध हैं.