जयपुर. कांग्रेस सरकार हो या बीजेपी सरकार, प्रदेश में बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने को लेकर सत्ता पक्ष हमेशा विपक्ष के निशाने पर ही रही है. राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार दोनों एक दूसरे पर लगातार जुबानी हमला करती रहती है. प्रदेश के मुख्यमंत्री रोजगार के मामले को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर हमेशा तीखा हमला बोलते रहे हैं.
वहीं, प्रदेश की गहलोत सरकार भी अपने डेढ़ साल के कार्यकाल में 75 हजार नौकरी प्रतिवर्ष देने की घोषणा को पूरा नहीं कर पाई है. सरकार डेढ़ साल में महज 60 हजार का आंकड़ा भी नहीं छू पाई. हालांकि सरकार ने 1 लाख 27 हजार से अधिक नोकरी देने का रोडमैप जरूर बना लिया है.
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प्रदेश की गहलोत सरकार ने सत्ता संभालने के साथ अपने पहले बजट में प्रतिवर्ष 75 हजार नौकरी देने की घोषणा की. लेकिन पहले वित्त वर्ष में सरकार इन आंकड़ों से काफी दूर रही. हालांकि, नियुक्ति देने में आंकड़ा जरूर कम है, लेकिन 53 हजार के करीब भर्तियां प्रक्रिया में है. इस वर्ष भी सरकार 16 हजार से ज्यादा नियुक्तियां दे चुकी है.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत संभवतः सोमवार को विधानसभा में कोरोना काल मे दी गई नौकरियों का बखान कर सकते हैं. इसको लेकर सचिवालय में छुट्टी के दिन भी आंकड़ों का गणित तैयार करने में अधिकारी लगे रहे. अब पहले जरा उन आंकड़ों पर नजर डाल लेते हैं जो कोरोना काल के दौरान सरकार की तरफ से इस वित्तीय वर्ष में दी गई या दी जाने वाली है.
वर्ष 2020-21 के आंकड़े
- कोरोना काल में भी सरकार ने दी 16 हजार नौकरियां
- 12 हजार एलडीसी को नियुक्ति
- 1890 कृषि प्रवेशक को नियुक्ति
- 1200 प्रयोगशाला सहायक को नियुक्ति
- 180 महिला सुपरवाइजर को नियुक्ति
- 12 हजार 300 नियुक्तियां अगले तीन महीने में दी जाएगी.
- 9322 शिक्षा विभाग सेकेंड ग्रेड का कलेंडर जारी हो चुका है. इनकी काउंसलिंग 22 अगस्त से 5 सितम्बर तक होगी.
सरकार पिछले वित्तीय वर्ष की इस वित्तीय वर्ष में नियुक्ति दे कर आंकड़ों का जाल बुन रही हो, लेकिन बेरोजगारों ने सरकार के सामने बाहरी राज्यों के बेरोजगारों को शामिल करने पर सवाल उठा दिया है. बेरोजगार महासंघ के अध्यक्ष उपेन यादव ने कहा कि सरकार अन्य राज्यों की तर्ज पर बाहरी राज्यों से आने वाकई बेरोजगारों को प्रदेश की नौकरियों में शामिल करने पर रोक लगानी चाहिए.
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पिछली विधानसभा में विपक्ष ने प्रदेश सरकार 75 हजार भर्तियों की घोषणा पर एक वर्ष में कितने पदों पर भर्ती की पर सवाल उठाया था. विपक्ष की ओर से उठाए गए सवालों पर मंत्री बीडी कल्ला ने जवाब देते हुए कहा था कि यह सही है कि सरकार ने अपने बजट में 75 हजार नियुक्तियां देने की घोषणा की थी. घोषणाओं की क्रियान्वति करते हुए अब तक 35 हजार 209 पदों पर नियुक्तियां दी जा चुकी है, जबकि 30,757 पदों के लिए परिणाम जारी की जा चुकी हैं.
सरकार ने डेढ़ साल में क्या किया है...
- सरकार ने अब तक 1,27,000 नौकरियों का रोड मैप तैयार किया है, इनमें से 53 हजार दी जा चुकी है.
- 61 हजार से अधिक नियुक्ति प्रक्रियाधीन है.
- 16 हजार से अधिक अभ्यर्थियों के परीक्षा परिणाम जारी हो चुके हैं.
- 7 हजार से अधिक पदों पर भर्ती के लिए परीक्षा हो चुकी है, लेकिन परिणाम बाकी है.
- 21 हजार से अधिक भर्तियों के विज्ञापन प्रकाशित हो चुके हैं.
- 10 हजार से अधिक पदों पर भर्ती अभी कैबिनेट कमेटी के सामने विचाराधीन है.
- 31 हजार से अधिक रीट भर्ती सितंबर में प्रस्तावित है.
कोई भी सरकार हो युवाओं की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहती. ऐसे में गहलोत सरकार ने भी हर साल रोजगार के बेहतर आंकड़ों के साथ इस वर्ग को लुभाने की तैयारी में कोई कमी नहीं रखना चाहती है, लेकिन बेरोजगार है कि सरकार के इस प्रयास से खुश होने को तैयार नहीं है.
पिछली सरकार ने अपने पूरे 5 साल के कार्यकाल में 2,06,764 पदों की नियुक्तियां निकाली. लेकिन इसमें भी 1,04,482 पदों पर नियुक्ति दे पाई. पूर्ववर्ती सरकार ने अपने आखिरी 1 वर्ष के कार्यकाल में एक लाख से अधिक पदों को लेकर विज्ञापन जारी किए. लेकिन विज्ञापन जारी करने से नियुक्तियां नहीं होती है. सरकार जब नियुक्ति दे दी थी तभी उसकी गणना की जाती है.
बीडी कल्ला ने कहा कि हमारी सरकार 1 लाख 19 हजार से अधिक पदों पर कुल नियुक्तियां देने जा रही है. हालांकि सरकार की तरफ से जो एक लाख नियुक्तियां देने का आंकड़ा दिया जा रहा है वो आगे भविष्य का आंकड़ा है. लेकिन पिछ्ले बजट में सीएम अशोक गहलोत ने जो 75 हजार पदों पर नियुक्ति एक साल में देने की घोषणा की थी, वो मात्र आधे आंकड़े यानि 35,209 पदों पर ही अटक गई.