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State Consumer Commission: इलाज में लापरवाही पर चिकित्सक और अस्पताल पर 40 लाख रुपए का हर्जाना - State Consumer Commission imposed a fine

राज्य उपभोक्ता आयोग (state consumer commission) ने इलाज में लापरवाही के चलते महिला की मौत के मामले में अलवर के विजय हॉस्पिटल और डॉ. विजयपाल सिंह पर 40 लाख 42 हजार रुपए का हर्जाना लगाया है.

State Consumer Commission imposed a fine
इलाज में लापरवाही पर चिकित्सक और अस्पताल पर 40 लाख रुपए का हर्जाना
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Published : Nov 24, 2021, 8:45 PM IST

जयपुर. राज्य उपभोक्ता आयोग (state consumer commission) ने इलाज में लापरवाही के चलते महिला की मौत के मामले में अलवर के विजय हॉस्पिटल (Vijay Hospital) और डॉ. विजयपाल सिंह पर 40 लाख 42 हजार रुपए का हर्जाना लगाया है. इसके साथ ही आयोग ने परिवाद व्यय के तौर पर 25 हजार रुपए अतिरिक्त अदा करने के आदेश देते हुए हर्जाना राशि पर परिवाद दायर करने की तिथि से नौ फीसदी ब्याज भी देने को कहा है.

आयोग ने यह आदेश विक्रम सिंह और अन्य के परिवाद पर दिए. परिवाद में कहा गया कि उसकी पत्नी कुसुम के पेट में दर्द होने पर 7 सितंबर 2015 को डॉ. विजयपाल को दिखाया था. चिकित्सक ने पेट में पथरी बताते हुए ऑपरेशन की बात कही. सर्जन चिकित्सक ने मरीज को भूखे पेट स्वयं ही एनेस्थीसिया दे दिया. जबकि वह एनेस्थीसिया विशेषज्ञ नहीं था. वहीं भूखे पेट रहने के चलते मरीज की हालत बिगड़ गई.

पढ़ें. Rajasthan High Court: दौसा कलेक्टर को हाईकोर्ट ने किया जमानती वारंट से तलब

इसके अलावा अस्पताल में आईसीयू की सुविधा भी नहीं थी. जिसके चलते अंतिम क्षणों में मरीज को दूसरे अस्पताल भेजा गया. जहां उसे मृत घोषित कर दिया. परिवाद में कहा गया कि चिकित्सक की लापरवाही के चलते मरीज की मौत हुई है.

जयपुर. राज्य उपभोक्ता आयोग (state consumer commission) ने इलाज में लापरवाही के चलते महिला की मौत के मामले में अलवर के विजय हॉस्पिटल (Vijay Hospital) और डॉ. विजयपाल सिंह पर 40 लाख 42 हजार रुपए का हर्जाना लगाया है. इसके साथ ही आयोग ने परिवाद व्यय के तौर पर 25 हजार रुपए अतिरिक्त अदा करने के आदेश देते हुए हर्जाना राशि पर परिवाद दायर करने की तिथि से नौ फीसदी ब्याज भी देने को कहा है.

आयोग ने यह आदेश विक्रम सिंह और अन्य के परिवाद पर दिए. परिवाद में कहा गया कि उसकी पत्नी कुसुम के पेट में दर्द होने पर 7 सितंबर 2015 को डॉ. विजयपाल को दिखाया था. चिकित्सक ने पेट में पथरी बताते हुए ऑपरेशन की बात कही. सर्जन चिकित्सक ने मरीज को भूखे पेट स्वयं ही एनेस्थीसिया दे दिया. जबकि वह एनेस्थीसिया विशेषज्ञ नहीं था. वहीं भूखे पेट रहने के चलते मरीज की हालत बिगड़ गई.

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इसके अलावा अस्पताल में आईसीयू की सुविधा भी नहीं थी. जिसके चलते अंतिम क्षणों में मरीज को दूसरे अस्पताल भेजा गया. जहां उसे मृत घोषित कर दिया. परिवाद में कहा गया कि चिकित्सक की लापरवाही के चलते मरीज की मौत हुई है.

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