ETV Bharat / city

ऑनलाइन क्लास को लेकर आ रही समस्याओं पर अब राज्य बाल संरक्षण आयोग ने लिया संज्ञान, जारी की एडवाइजरी

देश में फैले कोरोना वायरस के कारण सरकार ने स्कूलों और कोचिंग सस्थानों को भी बंद किया है. लॉकडाउन के दौरान बच्चों को ऑनलाइन क्लास के जरिए पढाया जा रहा है. ऐसे में कुछ अभिभावकों का मानना है कि ऑनलाइन क्लास से बच्चों के मन मस्तिष्क पर विपरीत असर पढ़ता है. जिसे देखते हुए राज्य बाल संरक्षण आयोग ने इस मामले को लेकर एक नई गाइडलाइन जारी की है. जिसमें निजी स्कूलों को हिदायत दी गई है कि बच्चों पर किसी तरह की दुष्प्रभाव नहीं हो.

राजस्थान की खबर, jaipur newsराजस्थान की खबर, jaipur news
राज्य बाल संरक्षण आयोग ने ऑनलाइन क्लास को लेकर जारी की गाइडलाइन
author img

By

Published : May 31, 2020, 10:46 AM IST

जयपुर. देशभर में लागू लॉकडाउन के दौरान निजी स्कूल और कोचिंग संस्थान स्कूली बच्चों को ऑनलाइन क्लास के जरिये पढ़ाई करा रहे है, लेकिन ऑनलाइन क्लास को लेकर अभिभावकों में दो मत है. कुछ अभिभावकों का मानना है कि ऑनलाइन क्लास से बच्चों के मन मस्तिष्क पर विपरीत असर पढ़ता है. साथ ही मोबाइल से पढ़ाई करने पर आंखों को खतरा होता है.

ऐसे में राज्य बाल संरक्षण आयोग ने इस पूरे मामले पर संज्ञान लेते हुए गाइडलाइन जारी की है. जिसमें निजी स्कूलों को सख्त हिदायत दी गई है कि बच्चों पर किसी भी तरह का दुष्प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए. ये गाइड लाइन 0 से 18 साल तक के बच्चों के लिए लागू की गई है.

राजस्थान की खबर, jaipur news
ऑनलाइन क्लास से बच्चों पर नहीं हो किसी तरह का दुष्प्रभाव

कोविड-19 का प्रसार रोकने की दृष्टि से और नया सत्र प्रारंभ करने के लिए प्रदेश में लॉकडाउन के दौरान विभिन्न विद्यालयों और शैक्षणिक संस्थाओं की ओर से ऑनलाइन शिक्षण कराया जा रहा है. ये विकल्प हो सकता है, लेकिन इस व्यवस्था को कक्षा कक्ष का पूर्ण रूप से विकल्प ठहराया जाना उपयुक्त नहीं है. राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने एडवाइजरी जारी करते हुए ये स्पष्ट किया है.

ये है एडवाइजरी-

  • एडवाइजरी में कहा गया है कि शिक्षण बच्चों के आयु वर्ग अनुसार उनकी क्षमता और बौद्धिक स्तर को ध्यान में रखकर कराया जाए. आरटीआई अधिनियम में भी ये स्पष्ट किया गया है कि बच्चे का शारीरिक या मानसिक उत्पीड़न ना हो इस आधार पर प्रदेश के सभी राजकीय, निजी विद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों के लिए ऑनलाइन शिक्षण कराने के दौरान विभिन्न बिंदुओं को ध्यान में रखने की हिदायत दी गई है.
  • उच्च प्राथमिक स्तर तक की कक्षाओं के विद्यार्थियों के ऑनलाइन शिक्षण के लिए अधिकतम 30 से 40 मिनट का एक सत्र हो. उसके बाद 10 से 15 मिनट का गैप रखा जाना चाहिए. प्राथमिक स्तर तक की कक्षाओं के बच्चों के लिए छोटे-छोटे रोचक ज्ञानवर्धक 10 से 15 मिनट के वीडियो/चित्रों के माध्यम से शिक्षण कराया जाए. ताकि बच्चों में ज्ञान समझ के साथ-साथ रुचि बनी रहे और आंखों को भी आराम मिल सके.
  • कविताएं/कहानियां और सामान्य अध्यापन में वीडियो के स्थान पर ऑडियो विकल्प का प्रयोग किया जाए. ऑनलाइन शिक्षा, स्थिति सामान्य होने तक के लिए एक विकल्प है. इसलिए अभिभावकों से अनुरोध किया जाए कि वो स्वयं भी अपने बच्चों के अध्ययन/अध्यापन में सक्रिय सहयोग करें.
  • बालकों को ऑनलाइन शिक्षा के तहत कक्षा स्तर अनुसार और आयु वर्ग के अनुसार ही कार्य दिया जाए. अत्यधिक गृह कार्य नहीं दिया जाए. जिससे कंप्यूटर, लैपटॉप और मोबाइल से उत्पन्न होने वाली स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा ना हो.
  • ऑनलाइन शिक्षण से सप्ताह में 2 दिन पूर्ण रूप से बच्चों को दूर रखा जाए. पढ़ाई जाने वाली विषय सामग्री का टाइम टेबल 7 दिन पहले जारी किया जाए. बालकों को गृह कार्य ऑनलाइन दिया जाए, लेकिन ये कार्य बच्चे से नोटबुक पर ऑफलाइन ही करवाया जाए. विद्यालय की ओर से ऑनलाइन कक्षा शिक्षण शुरू करने से पहले बालकों को आवश्यक रूप से संचार उपकरणों के प्रयोग के समय रखी जाने वाली सावधानियों के बारे में समझाया जाए.

पढ़ें- अलविदाः भंवर लाल शर्मा के वो किस्से जिन्हें हम ता उम्र याद रखेंगे....

  • संचार उपकरणों के दुष्प्रभाव के बारे में भी बालकों को बार-बार सचेत किया जाए. लॉकडाउन के दौरान आकाशवाणी और दूरदर्शन की ओर से प्रसारित किए जाने वाले कक्षा स्तर के अनुसार शिक्षा कार्यक्रमों को सुनने देखने के लिए प्रेरित किया जाए. यदि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अध्ययन करवाया जा रहा है तो बालकों को छोटे-छोटे समूह बनाकर अध्यापन करवाया जाए.
  • बालकों के अभिभावकों की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए उपकरण विशेष/ऐप विशेष क्रय करने के लिए बाध्य नहीं करें. एक कक्षा के सभी अध्यापक पारस्परिक सामंजस्य से अध्ययन सामग्री का समय विभाग चक्र इस तरह बनाएं कि बालकों को रुचि पूर्ण होने के साथ-साथ उन्हें तनाव महसूस ना हो. विद्यालय के प्रधानाचार्य की ओर से सभी शिक्षकों को उक्त बिंदुओं के पालनार्थ आवश्यक दिशा निर्देश प्रदान किए जाएं.
  • ऑनलाइन शिक्षण में सुबह 9 बजे से पहले और शाम 4 बजे के बाद कोई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग बच्चों को सम्मिलित करते हुए नहीं की जाए. ग्रीष्मावकाश में बच्चे रूचि के अनुसार सीखते हैं, परिवार के साथ समय बिताते हैं. ऐसे में इस बात का भी ध्यान रखा जाए कि ऑनलाइन शिक्षण अवकाश की अवधि को प्रभावित ना करें. हर 15 दिन के अंतराल में मॉक टेस्ट का आयोजन किया जा सकता है, ताकि विद्यार्थियों ने जो पढ़ा है उसका आंकलन हो जाए.
  • जयपुर वर्चुअल क्लासेस का आयोजन भी विकल्प के रूप में किया जा सकता है. जिन विद्यार्थियों को वीडियो सेशन देखने में समस्या होती है, उन्हें विकल्प उपलब्ध करवाया जाए. ऑनलाइन शिक्षण के प्रारंभ और अंत में शिक्षक की ओर से योग, ध्यान और शारीरिक स्वास्थ्य से भी बच्चों को अवगत कराए जाने को भी एडवाइजरी में शामिल किया गया है.

जयपुर. देशभर में लागू लॉकडाउन के दौरान निजी स्कूल और कोचिंग संस्थान स्कूली बच्चों को ऑनलाइन क्लास के जरिये पढ़ाई करा रहे है, लेकिन ऑनलाइन क्लास को लेकर अभिभावकों में दो मत है. कुछ अभिभावकों का मानना है कि ऑनलाइन क्लास से बच्चों के मन मस्तिष्क पर विपरीत असर पढ़ता है. साथ ही मोबाइल से पढ़ाई करने पर आंखों को खतरा होता है.

ऐसे में राज्य बाल संरक्षण आयोग ने इस पूरे मामले पर संज्ञान लेते हुए गाइडलाइन जारी की है. जिसमें निजी स्कूलों को सख्त हिदायत दी गई है कि बच्चों पर किसी भी तरह का दुष्प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए. ये गाइड लाइन 0 से 18 साल तक के बच्चों के लिए लागू की गई है.

राजस्थान की खबर, jaipur news
ऑनलाइन क्लास से बच्चों पर नहीं हो किसी तरह का दुष्प्रभाव

कोविड-19 का प्रसार रोकने की दृष्टि से और नया सत्र प्रारंभ करने के लिए प्रदेश में लॉकडाउन के दौरान विभिन्न विद्यालयों और शैक्षणिक संस्थाओं की ओर से ऑनलाइन शिक्षण कराया जा रहा है. ये विकल्प हो सकता है, लेकिन इस व्यवस्था को कक्षा कक्ष का पूर्ण रूप से विकल्प ठहराया जाना उपयुक्त नहीं है. राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने एडवाइजरी जारी करते हुए ये स्पष्ट किया है.

ये है एडवाइजरी-

  • एडवाइजरी में कहा गया है कि शिक्षण बच्चों के आयु वर्ग अनुसार उनकी क्षमता और बौद्धिक स्तर को ध्यान में रखकर कराया जाए. आरटीआई अधिनियम में भी ये स्पष्ट किया गया है कि बच्चे का शारीरिक या मानसिक उत्पीड़न ना हो इस आधार पर प्रदेश के सभी राजकीय, निजी विद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों के लिए ऑनलाइन शिक्षण कराने के दौरान विभिन्न बिंदुओं को ध्यान में रखने की हिदायत दी गई है.
  • उच्च प्राथमिक स्तर तक की कक्षाओं के विद्यार्थियों के ऑनलाइन शिक्षण के लिए अधिकतम 30 से 40 मिनट का एक सत्र हो. उसके बाद 10 से 15 मिनट का गैप रखा जाना चाहिए. प्राथमिक स्तर तक की कक्षाओं के बच्चों के लिए छोटे-छोटे रोचक ज्ञानवर्धक 10 से 15 मिनट के वीडियो/चित्रों के माध्यम से शिक्षण कराया जाए. ताकि बच्चों में ज्ञान समझ के साथ-साथ रुचि बनी रहे और आंखों को भी आराम मिल सके.
  • कविताएं/कहानियां और सामान्य अध्यापन में वीडियो के स्थान पर ऑडियो विकल्प का प्रयोग किया जाए. ऑनलाइन शिक्षा, स्थिति सामान्य होने तक के लिए एक विकल्प है. इसलिए अभिभावकों से अनुरोध किया जाए कि वो स्वयं भी अपने बच्चों के अध्ययन/अध्यापन में सक्रिय सहयोग करें.
  • बालकों को ऑनलाइन शिक्षा के तहत कक्षा स्तर अनुसार और आयु वर्ग के अनुसार ही कार्य दिया जाए. अत्यधिक गृह कार्य नहीं दिया जाए. जिससे कंप्यूटर, लैपटॉप और मोबाइल से उत्पन्न होने वाली स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा ना हो.
  • ऑनलाइन शिक्षण से सप्ताह में 2 दिन पूर्ण रूप से बच्चों को दूर रखा जाए. पढ़ाई जाने वाली विषय सामग्री का टाइम टेबल 7 दिन पहले जारी किया जाए. बालकों को गृह कार्य ऑनलाइन दिया जाए, लेकिन ये कार्य बच्चे से नोटबुक पर ऑफलाइन ही करवाया जाए. विद्यालय की ओर से ऑनलाइन कक्षा शिक्षण शुरू करने से पहले बालकों को आवश्यक रूप से संचार उपकरणों के प्रयोग के समय रखी जाने वाली सावधानियों के बारे में समझाया जाए.

पढ़ें- अलविदाः भंवर लाल शर्मा के वो किस्से जिन्हें हम ता उम्र याद रखेंगे....

  • संचार उपकरणों के दुष्प्रभाव के बारे में भी बालकों को बार-बार सचेत किया जाए. लॉकडाउन के दौरान आकाशवाणी और दूरदर्शन की ओर से प्रसारित किए जाने वाले कक्षा स्तर के अनुसार शिक्षा कार्यक्रमों को सुनने देखने के लिए प्रेरित किया जाए. यदि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अध्ययन करवाया जा रहा है तो बालकों को छोटे-छोटे समूह बनाकर अध्यापन करवाया जाए.
  • बालकों के अभिभावकों की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए उपकरण विशेष/ऐप विशेष क्रय करने के लिए बाध्य नहीं करें. एक कक्षा के सभी अध्यापक पारस्परिक सामंजस्य से अध्ययन सामग्री का समय विभाग चक्र इस तरह बनाएं कि बालकों को रुचि पूर्ण होने के साथ-साथ उन्हें तनाव महसूस ना हो. विद्यालय के प्रधानाचार्य की ओर से सभी शिक्षकों को उक्त बिंदुओं के पालनार्थ आवश्यक दिशा निर्देश प्रदान किए जाएं.
  • ऑनलाइन शिक्षण में सुबह 9 बजे से पहले और शाम 4 बजे के बाद कोई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग बच्चों को सम्मिलित करते हुए नहीं की जाए. ग्रीष्मावकाश में बच्चे रूचि के अनुसार सीखते हैं, परिवार के साथ समय बिताते हैं. ऐसे में इस बात का भी ध्यान रखा जाए कि ऑनलाइन शिक्षण अवकाश की अवधि को प्रभावित ना करें. हर 15 दिन के अंतराल में मॉक टेस्ट का आयोजन किया जा सकता है, ताकि विद्यार्थियों ने जो पढ़ा है उसका आंकलन हो जाए.
  • जयपुर वर्चुअल क्लासेस का आयोजन भी विकल्प के रूप में किया जा सकता है. जिन विद्यार्थियों को वीडियो सेशन देखने में समस्या होती है, उन्हें विकल्प उपलब्ध करवाया जाए. ऑनलाइन शिक्षण के प्रारंभ और अंत में शिक्षक की ओर से योग, ध्यान और शारीरिक स्वास्थ्य से भी बच्चों को अवगत कराए जाने को भी एडवाइजरी में शामिल किया गया है.
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.