ETV Bharat / city

SPECIAL: मानवता का सच्चा सिपाही, मां की मौत के बाद भी CORONA मरीजों की देखभाल के लिए पहुंच गया अस्पताल - एसएमएस के राममूर्ति मीणा

विश्व भर में तेजी से फैल रही कोरोना महामारी से हमारे चिकित्सक 24 घंटे जंग लड़ रहे हैं. सभी का एक ही उद्देश्य है, कोरोना को हराना. लेकिन हम आपको जयपुर के एक ऐसे सच्चे कर्मवीर की कहानी बता रहे हैं, जिन्होंने अपनी मां के निधन होने के बाद उनके अंतिम दर्शन भी नहीं किए और जुटे रहे अपने काम में, क्योंकि उनकी जरूरत उनके देश को इस वक्त ज्यादा है.

sms warrior rammurti meena, ram murti meena of sms, एसएमएस के राममूर्ति मीणा, राममूर्ति मीणा
एसएमएस हॉस्पिटल का सच्चा कर्मवीर
author img

By

Published : Apr 7, 2020, 5:09 PM IST

Updated : Apr 7, 2020, 7:14 PM IST

जयपुर. संकट की इस घड़ी में कोरोना वारियर्स अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर देशसेवा में जुटे हुए हैं. जयपुर में लगातार कोरोना वायरस के मामलों में वृद्धि हो रही है. ऐसे में जिले के सवाई मानसिंह अस्पताल में चिकित्सक नर्सिंग कर्मी और अस्पताल से जुड़ा स्टाफ 24 घंटे अपने काम में जुटा हुआ है. लेकिन अस्पताल में कार्यरत एक नर्सिंग इंचार्ज राममूर्ति मीणा ने ये साबित कर दिखाया है कि देश सेवा ही सर्वोपरि है, और वे सच्चे कोरोना वॉरियर हैं.

2 महीने से कोरोना पीड़ितों की कर रहे देखभाल...

दरअसल, राममूर्ति मीणा SMS अस्पताल के कोरोना आइसोलेशन के आईसीयू प्रभारी हैं. राममूर्ति करौली जिले के गांव रानौली के रहने वाले हैं. मीणा लगातार पिछले 2 महीने से कोरोना से पीड़ित मरीजों की सेवा करने में लगे हुए हैं.

एसएमएस हॉस्पिटल का सच्चा कर्मवीर

यह भी पढ़ें- कोरोना LIVE : महाराष्ट्र में 900 के करीब हुए रोगी, देश में 114 मौतें

मां के निधन से पहुंचा गहरा धक्का

राममूर्ति की माता का कुछ दिन पहले ही निधन हो गया. जिनकी उम्र 93 साल थी. राममूर्ति मीणा पर मां की मौत का गहरा धक्का लगा क्योंकि जिस मां ने उन्हें पाल-पोस कर बड़ा किया, उसी मां की अंतिम घड़ी में वह उनके पास मौजूद नहीं थे.

ऐसे में दिल पर पत्थर रखते हुए राममूर्ति मीणा ने एक बड़ा निर्णय लिया और दाह संस्कार में शामिल ना होकर अस्पताल में रहकर ही मरीजों की सेवा की. अपनी मां की अंत्येष्टि और अंतिम दर्शन उन्होंने मोबाइल पर वीडियो कॉल के जरिए ही किया.

कर्म को धर्म से बड़ा माना

ईटीवी भारत से बात करते हुए राममूर्ति मीणा कहते हैं कि उन्हें काफी दुख हुआ. जब उन्होंने मां के देहांत की खबर सुनी. लेकिन उनके कंधों पर एक बड़ी जिम्मेदारी थी. जिस समय पूरा विश्व एक ऐसी बीमारी से जूझ रहा है. जिसका कोई इलाज नहीं है, तो मैंने मां के देहांत से ऊपर अपने फर्ज को रखा. अपने फर्ज को बड़ा माना और अस्पताल में रहकर ही मरीजों की सेवा करने का निर्णय लिया. उनका यह त्याग देश के सभी कोरोना वॉरियर्स के लिए एक प्रेरणा बन गया है.

यह भी पढ़ें- गहलोत सरकार 3 चरणों में खत्म करेगी Lockdown, शुरुआती चरण में इन्हें मिलेगी छूट

उन्होंने यह भी कहा कि यदि वह अस्पताल छोड़कर मां के अंतिम संस्कार में शामिल होते, तो अन्य लोगों को भी संक्रमण का खतरा हो सकता था. ऐसे में उन्होंने अपना फर्ज निभाया. दरअसल, सवाई मानसिंह अस्पताल में जितने भी कोरोना वॉरियर्स मरीजों की सेवा कर रहे हैं, उन्हें अस्पताल में स्थित धर्मशाला में ही रखा जा रहा है. ताकि अन्य लोगों में संक्रमण फैलने का खतरा नहीं हो.

जयपुर. संकट की इस घड़ी में कोरोना वारियर्स अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर देशसेवा में जुटे हुए हैं. जयपुर में लगातार कोरोना वायरस के मामलों में वृद्धि हो रही है. ऐसे में जिले के सवाई मानसिंह अस्पताल में चिकित्सक नर्सिंग कर्मी और अस्पताल से जुड़ा स्टाफ 24 घंटे अपने काम में जुटा हुआ है. लेकिन अस्पताल में कार्यरत एक नर्सिंग इंचार्ज राममूर्ति मीणा ने ये साबित कर दिखाया है कि देश सेवा ही सर्वोपरि है, और वे सच्चे कोरोना वॉरियर हैं.

2 महीने से कोरोना पीड़ितों की कर रहे देखभाल...

दरअसल, राममूर्ति मीणा SMS अस्पताल के कोरोना आइसोलेशन के आईसीयू प्रभारी हैं. राममूर्ति करौली जिले के गांव रानौली के रहने वाले हैं. मीणा लगातार पिछले 2 महीने से कोरोना से पीड़ित मरीजों की सेवा करने में लगे हुए हैं.

एसएमएस हॉस्पिटल का सच्चा कर्मवीर

यह भी पढ़ें- कोरोना LIVE : महाराष्ट्र में 900 के करीब हुए रोगी, देश में 114 मौतें

मां के निधन से पहुंचा गहरा धक्का

राममूर्ति की माता का कुछ दिन पहले ही निधन हो गया. जिनकी उम्र 93 साल थी. राममूर्ति मीणा पर मां की मौत का गहरा धक्का लगा क्योंकि जिस मां ने उन्हें पाल-पोस कर बड़ा किया, उसी मां की अंतिम घड़ी में वह उनके पास मौजूद नहीं थे.

ऐसे में दिल पर पत्थर रखते हुए राममूर्ति मीणा ने एक बड़ा निर्णय लिया और दाह संस्कार में शामिल ना होकर अस्पताल में रहकर ही मरीजों की सेवा की. अपनी मां की अंत्येष्टि और अंतिम दर्शन उन्होंने मोबाइल पर वीडियो कॉल के जरिए ही किया.

कर्म को धर्म से बड़ा माना

ईटीवी भारत से बात करते हुए राममूर्ति मीणा कहते हैं कि उन्हें काफी दुख हुआ. जब उन्होंने मां के देहांत की खबर सुनी. लेकिन उनके कंधों पर एक बड़ी जिम्मेदारी थी. जिस समय पूरा विश्व एक ऐसी बीमारी से जूझ रहा है. जिसका कोई इलाज नहीं है, तो मैंने मां के देहांत से ऊपर अपने फर्ज को रखा. अपने फर्ज को बड़ा माना और अस्पताल में रहकर ही मरीजों की सेवा करने का निर्णय लिया. उनका यह त्याग देश के सभी कोरोना वॉरियर्स के लिए एक प्रेरणा बन गया है.

यह भी पढ़ें- गहलोत सरकार 3 चरणों में खत्म करेगी Lockdown, शुरुआती चरण में इन्हें मिलेगी छूट

उन्होंने यह भी कहा कि यदि वह अस्पताल छोड़कर मां के अंतिम संस्कार में शामिल होते, तो अन्य लोगों को भी संक्रमण का खतरा हो सकता था. ऐसे में उन्होंने अपना फर्ज निभाया. दरअसल, सवाई मानसिंह अस्पताल में जितने भी कोरोना वॉरियर्स मरीजों की सेवा कर रहे हैं, उन्हें अस्पताल में स्थित धर्मशाला में ही रखा जा रहा है. ताकि अन्य लोगों में संक्रमण फैलने का खतरा नहीं हो.

Last Updated : Apr 7, 2020, 7:14 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.