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राजस्थान उपचुनाव 2021: बीजेपी पर हावी रही गुटबाजी, कांग्रेस ने मारी उपचुनाव की बाजी - Rajasthan Legislative Assembly by election latest news

राजस्थान विधानसभा उपचुनाव में राजसमंद सीट पर भाजपा ने अपना वर्चस्व कायम रखा तो सुजानगढ़ और सहाड़ा की सीट पर कांग्रेस ने अपनी सत्ता को कायम रखा. इन चुनावों में पूर्व विधायकों के परिजन ही जनता का भरोसा जीतने में कामयाब रहे या फिर यूं कहें कि उन सीटों पर सद्भावना के जरिए अपनी-अपनी लाज को बचा पाए.

Rajasthan by election,  Rajasthan Legislative Assembly by election latest news
बीजेपी पर हावी रही गुटबाजी
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Published : May 2, 2021, 8:49 PM IST

जयपुर. राजस्थान में हाल ही में हुए 3 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव में राजसमंद सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने अपना वर्चस्व कायम रखा तो सुजानगढ़ और सहाड़ा की सीट पर कांग्रेस ने अपनी सत्ता को कायम रखा. इन चुनावों में कांग्रेस पार्टी ने मास्टर भंवरलाल के निधन के बाद खाली हुई सुजानगढ़ सीट और कैलाश त्रिवेदी की मृत्यु के बाद खाली हुई सीट सहाड़ा पर कब्जा बरकरार रखा है.

उपचुनाव परिणाम को लेकर विशेष चर्चा-1

पढ़ें- राजस्थान उपचुनाव के नतीजे: ना कांग्रेस जीती ना भाजपा हारी...सहानूभूति की पतवार से नैया पार

सद्भावना के जरिए बचा पाए लाज

इन विधानसभा सीटों पर मास्टर भंवरलाल के बेटे मनोज मेघवाल और कैलाश त्रिवेदी की पत्नी गायत्री त्रिवेदी ने जीत हासिल की. वहीं, किरण माहेश्वरी के निधन के बाद रिक्त हुई सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने उनकी बेटी दीप्ति महेश्वरी को जीत हासिल करवा कर दो दशक से ज्यादा का वर्चस्व इस सीट पर बरकरार रखा है. खास बात यह रही कि इन चुनावों में पूर्व विधायकों के परिजन ही जनता का भरोसा जीतने में कामयाब रहे या फिर यूं कहें कि उन सीटों पर सद्भावना के जरिए अपनी-अपनी लाज को बचा पाए.

पढ़ें- सहाड़ा विधानसभा सीट फिर कांग्रेस की झोली में, गायत्री देवी बोली- जनता ने दिया ऐतिहासिक आशीर्वाद

ईटीवी भारत पर विशेष चर्चा

इस विषय पर हुई एक विशेष चर्चा में ईटीवी भारत पर भारतीय जनता पार्टी के नेता मनीष पारीक और कांग्रेस पार्टी के नेता आरसी चौधरी ने भाग लिया. मनीष पारीक ने कहा कि कोरोना काल में जिस उम्मीद के साथ वोटिंग होनी थी, वो इन सीटों पर नहीं हो पाई इस कारण से भारतीय जनता पार्टी 2 सीटों पर कांग्रेस के समक्ष मजबूत रूप से चुनौती नहीं रख पाई. साथ ही पारीक ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने उनके खिलाफ मैदान में उतर कर वोट बैंक को नुकसान पहुंचाया है.

उपचुनाव परिणाम को लेकर विशेष चर्चा-2

पढ़ें- विधानसभा उपचुनाव 2021: राजसमंद में भाजपा ने बचाया अपना गढ़, दीप्ति किरण माहेश्वरी की जीत

जनमत कांग्रेस के साथ है...

वहीं, आरसी चौधरी ने बताया कि भारतीय जनता पार्टी को अहसास होना चाहिए कि जनमत कांग्रेस के साथ है क्योंकि भारतीय जनता पार्टी महज 35 फीसदी वोट हासिल करने में कामयाब रह सकी है. भाजपा के मुकाबले सत्ताधारी पार्टी को 50 फीसदी से ज्यादा वोट मिले हैं. हालांकि, मनीष पारीक ने यह कहा कि उनकी पार्टी ने जनता की पसंद के प्रत्याशियों को ही चुनकर मैदान में उतारा था और इसमें किसी तरह का विरोधाभास नहीं था. कांग्रेस ने कहा कि भाजपा की हार के पीछे कहीं ना कहीं इनके अंदर की गुटबाजी बड़ा कारण रही है.

पढ़ें-Rajasthan Byelection Result: सुजानगढ़ में चली सहानुभूति की लहर, मनोज मेघवाल 35611 वोटों से जीते

यह चुनाव परीक्षा की घड़ी थी...

चुनाव परिणाम की समीक्षा करते हुए ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता पीयूष शर्मा ने दोनों दलों की गुटबाजी का जिक्र करते हुए बताया कि कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दोनों के लिए यह चुनाव परीक्षा की घड़ी था. अजय माकन के साथ-साथ गोविंद सिंह डोटासरा इन नतीजों के जरिए खुद को पार्टी के भीतर साबित करने में कामयाब रहे हैं.

उपचुनाव परिणाम को लेकर विशेष चर्चा-3

पढ़ें- SPECIAL : उपचुनाव में ऐतिहासिक 'सहानुभूति'...तीनों सीटों पर दिवंगत विधायकों के परिजन जीते, राजस्थान के इतिहास में पहली बार हुआ

पूनिया का कद हुआ हल्का...

जबकि इसी मुकाबले में अगर भारतीय जनता पार्टी की बात की जाए तो सतीश पूनिया का पार्टी के अंदर कद इन चुनाव परिणाम के बाद कहीं ना कहीं हल्का हुआ है क्योंकि इस चुनाव से पहले सतीश पूनिया ना तो पार्टी के भीतर की बगावत को रोकने में कामयाब रहे और ना ही वसुंधरा राजे के गुट को संतुष्ट कर पाए. ऐसे में राजसमंद का चुनाव परिणाम भी भाजपा के लिहाज से बेहतर नहीं कहा जा सकता है क्योंकि भारतीय जनता पार्टी का सुरक्षित गढ़ होने के बावजूद भी बीजेपी प्रत्याशी यहां से महज 5310 मतों से जीत हासिल करने में कामयाब रही है.

जयपुर. राजस्थान में हाल ही में हुए 3 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव में राजसमंद सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने अपना वर्चस्व कायम रखा तो सुजानगढ़ और सहाड़ा की सीट पर कांग्रेस ने अपनी सत्ता को कायम रखा. इन चुनावों में कांग्रेस पार्टी ने मास्टर भंवरलाल के निधन के बाद खाली हुई सुजानगढ़ सीट और कैलाश त्रिवेदी की मृत्यु के बाद खाली हुई सीट सहाड़ा पर कब्जा बरकरार रखा है.

उपचुनाव परिणाम को लेकर विशेष चर्चा-1

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सद्भावना के जरिए बचा पाए लाज

इन विधानसभा सीटों पर मास्टर भंवरलाल के बेटे मनोज मेघवाल और कैलाश त्रिवेदी की पत्नी गायत्री त्रिवेदी ने जीत हासिल की. वहीं, किरण माहेश्वरी के निधन के बाद रिक्त हुई सीट पर भारतीय जनता पार्टी ने उनकी बेटी दीप्ति महेश्वरी को जीत हासिल करवा कर दो दशक से ज्यादा का वर्चस्व इस सीट पर बरकरार रखा है. खास बात यह रही कि इन चुनावों में पूर्व विधायकों के परिजन ही जनता का भरोसा जीतने में कामयाब रहे या फिर यूं कहें कि उन सीटों पर सद्भावना के जरिए अपनी-अपनी लाज को बचा पाए.

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ईटीवी भारत पर विशेष चर्चा

इस विषय पर हुई एक विशेष चर्चा में ईटीवी भारत पर भारतीय जनता पार्टी के नेता मनीष पारीक और कांग्रेस पार्टी के नेता आरसी चौधरी ने भाग लिया. मनीष पारीक ने कहा कि कोरोना काल में जिस उम्मीद के साथ वोटिंग होनी थी, वो इन सीटों पर नहीं हो पाई इस कारण से भारतीय जनता पार्टी 2 सीटों पर कांग्रेस के समक्ष मजबूत रूप से चुनौती नहीं रख पाई. साथ ही पारीक ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने उनके खिलाफ मैदान में उतर कर वोट बैंक को नुकसान पहुंचाया है.

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जनमत कांग्रेस के साथ है...

वहीं, आरसी चौधरी ने बताया कि भारतीय जनता पार्टी को अहसास होना चाहिए कि जनमत कांग्रेस के साथ है क्योंकि भारतीय जनता पार्टी महज 35 फीसदी वोट हासिल करने में कामयाब रह सकी है. भाजपा के मुकाबले सत्ताधारी पार्टी को 50 फीसदी से ज्यादा वोट मिले हैं. हालांकि, मनीष पारीक ने यह कहा कि उनकी पार्टी ने जनता की पसंद के प्रत्याशियों को ही चुनकर मैदान में उतारा था और इसमें किसी तरह का विरोधाभास नहीं था. कांग्रेस ने कहा कि भाजपा की हार के पीछे कहीं ना कहीं इनके अंदर की गुटबाजी बड़ा कारण रही है.

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यह चुनाव परीक्षा की घड़ी थी...

चुनाव परिणाम की समीक्षा करते हुए ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता पीयूष शर्मा ने दोनों दलों की गुटबाजी का जिक्र करते हुए बताया कि कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दोनों के लिए यह चुनाव परीक्षा की घड़ी था. अजय माकन के साथ-साथ गोविंद सिंह डोटासरा इन नतीजों के जरिए खुद को पार्टी के भीतर साबित करने में कामयाब रहे हैं.

उपचुनाव परिणाम को लेकर विशेष चर्चा-3

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पूनिया का कद हुआ हल्का...

जबकि इसी मुकाबले में अगर भारतीय जनता पार्टी की बात की जाए तो सतीश पूनिया का पार्टी के अंदर कद इन चुनाव परिणाम के बाद कहीं ना कहीं हल्का हुआ है क्योंकि इस चुनाव से पहले सतीश पूनिया ना तो पार्टी के भीतर की बगावत को रोकने में कामयाब रहे और ना ही वसुंधरा राजे के गुट को संतुष्ट कर पाए. ऐसे में राजसमंद का चुनाव परिणाम भी भाजपा के लिहाज से बेहतर नहीं कहा जा सकता है क्योंकि भारतीय जनता पार्टी का सुरक्षित गढ़ होने के बावजूद भी बीजेपी प्रत्याशी यहां से महज 5310 मतों से जीत हासिल करने में कामयाब रही है.

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