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Old Age Day : बच्चों की बेहतर परवरिश के लिए जरूरी है बुजुर्गों का साया..ओल्ड एज डे ने बदली रवायत, लेकिन सम्मान तलाश रहे बुजुर्ग

वरिष्ठ मनोचिकित्सक शिव गौतम कहते हैं कि बुजुर्गों का सम्मान हर दिन होना चाहिए. हर साल 1 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस (World Elders Day) या अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस (International Day Of Older Persons) मनाया जाता है.

वरिष्ठ मनोचिकित्सक शिव गौतम ओल्ड एज डे
वरिष्ठ मनोचिकित्सक शिव गौतम ओल्ड एज डे
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Published : Oct 1, 2021, 9:56 PM IST

जयपुर. एक अक्टूबर यानी अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस. दुनियाभर में वृद्धजनों के सम्मान और देखभाल के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस मनाया जाता है. बच्चों को बुजुर्गों का सम्मान करना सिखाया जाना चाहिए.

वर्तमान में घरों में बुजुर्गों के सम्मान, बुजुर्गों का महत्व, ओल्ड एज होम में बुजुर्गों की बढ़ती तादाद, इन्हीं तमाम विषयों पर Etv भारत ने बात की सीनियर मनोचिकित्सक शिव गौतम और उनके परिवार के साथ.

ओल्ड एज डे पर विशेष चर्चा मनोचिकित्सक के परिवार के साथ (भाग 1)

शिव गौतम कहते हैं कि बुजुर्गों का सम्मान हर पल, हर दिन होना चाहिए, लेकिन इसके लिए अगर एक दिन तय कर दिया गया है तो इस दिन चिंतन जरूर करना चाहिए. हर साल 1 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस (World Elders Day) या अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस (International Day Of Older Persons) मनाया जाता है.

मनुस्मृति का हवाला देते हुए गौतम ने कहा कि बुजुर्गों को प्रणाम करने से 4 चीजें हासिल होती हैं- विद्या, बुद्धि, यश और बल. संयुक्त परिवार की परंपरा में बुजुर्ग मुखिया होते थे, वे अपने अनुभव से फैसले लेते थे, लेकिन पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव के कारण अब संयुक्त परिवार टूट रहे हैं. एकल परिवार बढ़ रहे हैं और औपचारिकता निभाने के लिए फादर्ड डे, मदर्ड डे, ओल्ड एड डे आदि का प्रचलन बढ़ गया है.

शिव गौतम ने कहा कि घर में बुजुर्ग होते हैं तो बच्चों को अकेलापन नहीं लगता है. वे बच्चों के दोस्त की तरह व्यवहार करते हैं. उनके साथ खेल सकते हैं, पढ़ सकते हैं, माता-पिता अगर दोनों नौकरीपेशा हों तो बच्चे बुजुर्गों के साये में सुरक्षित रह सकते हैं. घर में दादा-दादी हों तो बच्चों के लिए सुखद अनुभव होता है. वे अपनी हर बात दादा-दादी से शेयर कर सकते हैं.

पढ़ें- प्रशासन गांव के संग अभियान का बहिष्कार का एलान, 11 हजार से ज्यादा सरपंच अभियान में नहीं होंगे शामिल

बुजुर्गों को आया नहीं समझें

राजश्री गौतम कहती हैं कि वर्तमान में बुजुर्गों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं हो रहा है. बुजुर्गों को जरूरत के सामान की तरह रखा जा रहा है. एकल परिवार और संस्कार इसके पीछे मूल वजह हैं. नौकरी या शिक्षा के लिए बच्चे विदेश चले जाते हैं और माता-पिता को अकेला छोड़ जाते हैं. बुजुर्गों की जरूरत होने पर ही वे उनके पास आते हैं या उन्हें अपने पास ले जाते हैं, लेकिन जरूरत पूरी होने पर फिर वे उन्हें अकेला कर देते हैं.

ओल्ड एज डे पर विशेष चर्चा मनोचिकित्सक के परिवार के साथ (भाग 2)

बुजुर्गों से मिलते हैं संस्कार

डॉ. महिमा गौतम कहती हैं कि बच्चों को यह सिखाना चाहिए कि वे बड़ों का आदर करें, बच्चे जब अपने माता-पिता को बुजुर्गों का अपमान करते देखते हैं तो उनमें भी वही संस्कार पैदा हो जाता है. बच्चे जब ये देखते हैं कि माता-पिता अपने बुजुर्गों का सम्मान कर रहे हैं, उनकी केयर कर रहे हैं तो वे भी अपने माता-पिता की केयर करते हैं.

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 14 अक्टूबर 1990 में वृद्धजनों के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस घोषित किए जाने की बात रखी थी. जिसके बाद 1 अक्टूबर को अंर्तराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के रूप में मनाया जाने लगा. दुनियाभर में रह रहे वृद्धों के साथ होने वाले भेदभाव, अपमानजनक व्यवहार, उपेक्षा और अन्याय पर रोक लगाने के उद्देश्य से इस दिवस को मनाया जाता है. इस दिन खासतौर पर कई स्वयंसेवा संस्था विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए देशभर में वृद्धजनों के साथ हो रहे अन्याय को सबके सामने रखकर लोगों में उनके प्रति सम्मान को जगाने के जागरुकता अभियान चलाती हैं.

जयपुर. एक अक्टूबर यानी अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस. दुनियाभर में वृद्धजनों के सम्मान और देखभाल के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस मनाया जाता है. बच्चों को बुजुर्गों का सम्मान करना सिखाया जाना चाहिए.

वर्तमान में घरों में बुजुर्गों के सम्मान, बुजुर्गों का महत्व, ओल्ड एज होम में बुजुर्गों की बढ़ती तादाद, इन्हीं तमाम विषयों पर Etv भारत ने बात की सीनियर मनोचिकित्सक शिव गौतम और उनके परिवार के साथ.

ओल्ड एज डे पर विशेष चर्चा मनोचिकित्सक के परिवार के साथ (भाग 1)

शिव गौतम कहते हैं कि बुजुर्गों का सम्मान हर पल, हर दिन होना चाहिए, लेकिन इसके लिए अगर एक दिन तय कर दिया गया है तो इस दिन चिंतन जरूर करना चाहिए. हर साल 1 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस (World Elders Day) या अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस (International Day Of Older Persons) मनाया जाता है.

मनुस्मृति का हवाला देते हुए गौतम ने कहा कि बुजुर्गों को प्रणाम करने से 4 चीजें हासिल होती हैं- विद्या, बुद्धि, यश और बल. संयुक्त परिवार की परंपरा में बुजुर्ग मुखिया होते थे, वे अपने अनुभव से फैसले लेते थे, लेकिन पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव के कारण अब संयुक्त परिवार टूट रहे हैं. एकल परिवार बढ़ रहे हैं और औपचारिकता निभाने के लिए फादर्ड डे, मदर्ड डे, ओल्ड एड डे आदि का प्रचलन बढ़ गया है.

शिव गौतम ने कहा कि घर में बुजुर्ग होते हैं तो बच्चों को अकेलापन नहीं लगता है. वे बच्चों के दोस्त की तरह व्यवहार करते हैं. उनके साथ खेल सकते हैं, पढ़ सकते हैं, माता-पिता अगर दोनों नौकरीपेशा हों तो बच्चे बुजुर्गों के साये में सुरक्षित रह सकते हैं. घर में दादा-दादी हों तो बच्चों के लिए सुखद अनुभव होता है. वे अपनी हर बात दादा-दादी से शेयर कर सकते हैं.

पढ़ें- प्रशासन गांव के संग अभियान का बहिष्कार का एलान, 11 हजार से ज्यादा सरपंच अभियान में नहीं होंगे शामिल

बुजुर्गों को आया नहीं समझें

राजश्री गौतम कहती हैं कि वर्तमान में बुजुर्गों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं हो रहा है. बुजुर्गों को जरूरत के सामान की तरह रखा जा रहा है. एकल परिवार और संस्कार इसके पीछे मूल वजह हैं. नौकरी या शिक्षा के लिए बच्चे विदेश चले जाते हैं और माता-पिता को अकेला छोड़ जाते हैं. बुजुर्गों की जरूरत होने पर ही वे उनके पास आते हैं या उन्हें अपने पास ले जाते हैं, लेकिन जरूरत पूरी होने पर फिर वे उन्हें अकेला कर देते हैं.

ओल्ड एज डे पर विशेष चर्चा मनोचिकित्सक के परिवार के साथ (भाग 2)

बुजुर्गों से मिलते हैं संस्कार

डॉ. महिमा गौतम कहती हैं कि बच्चों को यह सिखाना चाहिए कि वे बड़ों का आदर करें, बच्चे जब अपने माता-पिता को बुजुर्गों का अपमान करते देखते हैं तो उनमें भी वही संस्कार पैदा हो जाता है. बच्चे जब ये देखते हैं कि माता-पिता अपने बुजुर्गों का सम्मान कर रहे हैं, उनकी केयर कर रहे हैं तो वे भी अपने माता-पिता की केयर करते हैं.

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 14 अक्टूबर 1990 में वृद्धजनों के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस घोषित किए जाने की बात रखी थी. जिसके बाद 1 अक्टूबर को अंर्तराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के रूप में मनाया जाने लगा. दुनियाभर में रह रहे वृद्धों के साथ होने वाले भेदभाव, अपमानजनक व्यवहार, उपेक्षा और अन्याय पर रोक लगाने के उद्देश्य से इस दिवस को मनाया जाता है. इस दिन खासतौर पर कई स्वयंसेवा संस्था विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए देशभर में वृद्धजनों के साथ हो रहे अन्याय को सबके सामने रखकर लोगों में उनके प्रति सम्मान को जगाने के जागरुकता अभियान चलाती हैं.

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