जयपुर. राजस्थान विधानसभा में बुधवार को हर कोई उस समय चौंक गया जब विपक्ष और सत्तपक्ष के विधायकों के आचरण पर विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने गंभीर टिप्पणी करते हुए यहां तक कह दिया कि 'मैं खुद को प्रताड़ित महसूस कर रहा हूं'.
विधानसभा अध्यक्ष की इस गंभीर टिप्पणी से विधायकों के सदन में आचरण पर इतने गंभीर सवाल खड़े हो गए कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी दखल देना पड़ा और उन्हें कहना पड़ा कि सत्ता पक्ष और विपक्ष को सदन की गरिमा बनाए रखना चाहिए और अगर स्पीकर को यह कहना पड़ जाए कि वह खुद को प्रताड़ित महसूस कर रहे हैं तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है.
दरअसल, विधानसभा में हंगामे की शुरुआत प्रश्नकाल के दौरान ही कोटा के जेके लोन अस्पताल में शिशुओं की मौत से जुड़ा सवाल होने पर हो गई थी. भाजपा विधायक वेल में आ गए और नारेबाजी शुरु कर दी. उस समय सत्तापक्ष के विधायकों ने राजेंद्र राठौड़ के स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए मैं शर्मिंदा हूं वाले बयान के अखबार की कतरन सदन में लहराई.
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इसी दौरान नीमकाथाना से कांग्रेस के विधायक सुरेश मोदी नारेबाजी कर रहे भाजपा विधायको के पास पहुंच गए और उन्होंने वही कतरन उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ को दिखाई. जिसे भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी ने फाड़कर संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल के पास फेंक दिया. थोड़ी देर के लिए मामला शांत हो गया लेकिन शून्यकाल शुरु होते ही नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने यह मामला उठाया.
कटारिया ने कहा कि जिस तरह एक विधायक विपक्ष के पास पेपर लेकर वेल में आए, उससे भविष्य में आपस में भिड़ंत हो गई तो सदन की गरिमा तार-तार हो सकती है. इसके बाद अध्यक्ष ने कहा कि जिस तरह सदन में आचरण हुआ है वह गरिमा के अनुरुप नहीं है, जिस तरह नीमकाथाना विधायक वेल में आए यह सही परंपरा नही हैं.
इस पर संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि यह भी नहीं हो कि जो कागज दिया जाए उसे फाड़ दिया जाए. फटे कागज के टुकड़े अब भी पड़े हैं, केवल हमें ही प्रताड़ित नहीं किया जाए. इस पर अध्यक्ष ने कहा न मैं आपको और न विपक्ष को प्रताड़ित कर रहा हूं, मैं तो खुद को प्रताड़ित महसूस कर रहा हूं.
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अध्यक्ष की इस गंभीर टिप्पणी के बाद सीएम अशोक गहलोत ने दखल देते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सदन में अध्यक्ष खुद को प्रताड़ित महसूस करें. हमें सदन की गरिमा का ध्यान रखना चाहिए. विपक्ष की असहमति का हम सबको सम्मन करना चाहिए. लेकिन केवल राजनीति के लिए मुद्दा न हों, दोनों पक्ष सदन की गरिमा का ध्यान रखें.
यह पहली बार नहीं है कि विधानसभा अध्यक्ष ने विधायकों के आचरण पर सवाल उठाए हों. विधानसभा में वेल में आकर हंगामा करने और अध्यक्ष के निर्देशों की अवहेलना करना विधायकों में एक तरह की प्रवृति बन चुकी है. विधानसभा अध्यक्ष की गंभीर टिप्पणी इसी की तरफ इशारा करती है कि सदन में विधायक गरिमा के अनुकूल आचरण नहीं कर रहे.