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Rajasthan Vidhan sabha: बैठकें 306 से घटकर 119 पर पहुंची... स्पीकर सीपी जोशी की चिंता के पीछे यह है कारण - Rajasthan Hindi news

लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं को लेकर देश में कांग्रेस और विपक्षियों के बीच बहस लगातार जारी है. इस बीच राजस्थान के स्पीकर सीपी जोशी ने विधायिका की गिरती परंपरा और कम होती बैठकों (Rajasthan Vidhan sabha) पर सवाल उठाकर नई चर्चा छेड़ दी है. सीपी जोशी बयानों के बीच अपनी सरकार पर भी सवाल उठाने से पीछे नहीं हटते.

Rajasthan VidhanSabha
राजस्थान विधानसभा
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Published : Aug 2, 2022, 10:33 PM IST

जयपुर. देश में लोकतंत्र को लेकर कांग्रेस और विपक्षी दलों की ओर से एक बहस छिड़ी हुई है. लेकिन इस (Lowering number of meetings in Rajasthan Vidhan Sabha) बहस के बीच राजस्थान के स्पीकर सीपी जोशी लगातार विधायिका की गिरती परंपराओं पर चिंता जता रहे हैं. इस बीच वो अपनी सरकार पर भी सवाल खड़े करने से नही चूकते. स्पीकर सीपी जोशी की इस चिंता का कारण है विधानसभा में लगातार कम होती बैठकें.

स्पीकर सीपी जोशी लगातार कार्यपालिका के डिक्टेटर होने की बात छेड़, यह कहते हुए दिखाई देते हैं कि एग्जीक्यूटिव ( कार्यपालिका) नहीं चाहती कि विधानसभा के सत्र आयोजित हों. यही कारण है की अब सरकारें भले ही कोई भी बनती हो, लेकिन विधानसभा में बहस करने से बच रही हैं. यह बात पूरे देश की विधानसभाओं के लिए तो लागू होती है, लेकिन जोशी राजस्थान विधानसभा के स्पीकर हैं, ऐसे में उनकी सबसे ज्यादा चिंता राजस्थान को लेकर है.

पढ़ें. राजस्थान विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान विधायकों ने उठाए ये मुद्दे...जानिये मंत्रियों ने क्या दिए जवाब

राजस्थान में पहली विधानसभा में 1952 से 1957 तक राजस्थान में 287 विधानसभा की बैठकें हुई थी. वहीं दूसरी विधानसभा में 1957 से 1961 तक अब तक कि सर्वाधिक 306 विधान सभा की बैठकें आयोजित हुई थी. लेकिन उसके बाद से लगातार विधानसभा में होने वाली बैठकों का सिलसिला कम होता जा रहा है. ऐसे घटती गई विधानसभा में बैठकों की संख्या:

Rajasthan VidhanSabha
स्पीकर सीपी जोशी

15 वीं विधानसभा- 2018 से वर्तमान

201932 बैठकें
202029 बैठकें
202126 बैठकें
2022 में अब तक25 बैठकें
कुल 112 बैठकें

14वीं विधानसभा- 2013 से 2018 मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे

201430 बैठकें
201531 बैठकें
201625 बैठकें
201729 बैठकें
201824 बैठकें
कुल 139 बैठकें

13वीं विधानसभा- 2008 से 2013 मुख्यमंत्री अशोक गहलोत

200926 बैठकें
201031 बैठकें
201119 बैठकें
201225 बैठकें
201322 बैठकें
कुल119 बैठकें

पढ़े. Digital Museum In Jaipur: राजस्थान के 70 साल का इतिहास संजोए है डिजिटल म्यूजियम, विधानसभा में 16 जुलाई को होगा लोकार्पण

12वीं विधानसभा- 2003 से 2008 मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे

200429 बैठकें
200528 बैठकें
200630 बैठकें
200725 बैठकें
200828 बैठकें
कुल140 बैठकें

11वीं विधानसभा-1998 से 2003 मुख्यमंत्री अशोक गहलोत

199933 बैठकें
200030 बैठकें
200132 बैठकें
200223 बैठकें
200325 बैठकें
कुल143 बैठकें

10वीं विधानसभा

19933 बैठकें
199436 बैठकें
199533 बैठकें
199626 बैठकें
199719 बैठकें
199824 बैठकें
कुल141 बैठकें

9वीं विधानसभा

199030 बैठकें
199125 बैठकें
199240 बैठकें
कुल95 बैठकें

8वीं विधानसभा

198529 बैठकें
198643 बैठकें
198743 बैठकें
198833 बैठकें
198932 बैठकें
19901 बैठक
कुल180 बैठकें

पढ़ें.Digital Museum in Rajasthan Assembly : राजस्थान के गौरवशाली इतिहास को प्रदर्शित करेगा डिजिटल म्यूजियम... विधानसभा अध्यक्ष ने ली समीक्षा बैठक

7 वीं विधानसभा

198028 बैठकें
198137 बैठकें
198234 बैठकें
198333 बैठकें
198436 बैठकें
कुल 168 बैठकें

6वीं विधानसभा

197730 बैठकें
197845 बैठकें
197940 बैठकें
कुल115 बैठकें

5वीं विधानसभा

197237 बैठकें
197344 बैठकें
197437 बैठकें
197537 बैठकें
197640 बैठकें
19776 बैठकें
कुल 201 बैठकें

चौथी विधानसभा-

196738 बैठकें
196858 बैठकें
196942 बैठकें
197056 बैठकें
197147 बैठकें
कुल241 बैठकें

तीसरी विधानसभा

196250 बैठकें
196351 बैठकें
196468 बैठकें
196552 बैठकें
196747 बैठकें
कुल268 बैठकें

दूसरी विधानसभा

195735 बैठकें
195879 बैठकें
195990 बैठकें
196057 बैठकें
196145 बैठकें
कुल306 बैठकें

पहली विधानसभा

195234 बैठकें
195339 बैठकें
195484 बैठकें
195553 बैठकें
195673 बैठकें
19574 बैठकें
कुल 287 बैठकें

वसुंधरा सरकार में हुई 119 बैठकेंः 2013 से 2018 के कार्यकाल में पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार के समय विधानसभा में अब तक की सबसे कम 5 साल में 119 बैठकें हुई. हालांकि इस बार अब तक 112 बैठकें विधानसभा में हो चुकी हैं और 1 साल बाकी है. ऐसे में वसुंधरा राजे का दूसरा कार्यकाल विधानसभा की सबसे कम बैठकों के मामले में इतिहास में सबसे आगे दिखाई देगा. लेकिन वर्तमान गहलोत कार्यकाल में भी विधानसभा की बैठकें बुलाने में कोई खास प्रदर्शन नहीं हो सका है.

पढे़ं. Rajasthan Vidhansabha Elections: दिल्ली-पंजाब मॉडल पर राजस्थान में सभी सीटों पर लड़ेगी चुनाव 'आप'- जायसवाल

ब्यूरोक्रेसी के हावी होने का भी एक कारण यह भीः राजनीति के जानकारों का कहना है कि स्पीकर सीपी जोशी की चिंता निरर्थक नहीं है. क्योंकि जहां पहले यह कहा जाता था की मुख्यमंत्री तो दूर की बात है, मंत्री और विधायक भी पहले ब्यूरोक्रेसी पर हावी रहते थे. लेकिन अब लगातार यह बात सुनने को मिलती है कि चाहे विधायक हो या फिर किसी विभाग का मंत्री ब्यूरोक्रेसी उस पर हावी रहती है. स्पीकर सीपी जोशी लगातार यह सवाल खड़े कर रहे हैं. क्योंकि विधायक विधानसभा कि बैठकें कम होने के चलते नियम कायदे नहीं सीख पाता है और उसे ज्यादा जानकारी भी नहीं हो पाती है. इसी के चलते कानून बनाने का काम भी विधानसभा में सही तरीके से नहीं हो पाता है. राजनीति के जानकारों का कहना है कि जब विधानसभा में चर्चा नहीं होती है तो कानून ब्यूरोक्रेसी के अनुसार ही तैयार भी होते हैं और पास भी हो जाते हैं.

जयपुर. देश में लोकतंत्र को लेकर कांग्रेस और विपक्षी दलों की ओर से एक बहस छिड़ी हुई है. लेकिन इस (Lowering number of meetings in Rajasthan Vidhan Sabha) बहस के बीच राजस्थान के स्पीकर सीपी जोशी लगातार विधायिका की गिरती परंपराओं पर चिंता जता रहे हैं. इस बीच वो अपनी सरकार पर भी सवाल खड़े करने से नही चूकते. स्पीकर सीपी जोशी की इस चिंता का कारण है विधानसभा में लगातार कम होती बैठकें.

स्पीकर सीपी जोशी लगातार कार्यपालिका के डिक्टेटर होने की बात छेड़, यह कहते हुए दिखाई देते हैं कि एग्जीक्यूटिव ( कार्यपालिका) नहीं चाहती कि विधानसभा के सत्र आयोजित हों. यही कारण है की अब सरकारें भले ही कोई भी बनती हो, लेकिन विधानसभा में बहस करने से बच रही हैं. यह बात पूरे देश की विधानसभाओं के लिए तो लागू होती है, लेकिन जोशी राजस्थान विधानसभा के स्पीकर हैं, ऐसे में उनकी सबसे ज्यादा चिंता राजस्थान को लेकर है.

पढ़ें. राजस्थान विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान विधायकों ने उठाए ये मुद्दे...जानिये मंत्रियों ने क्या दिए जवाब

राजस्थान में पहली विधानसभा में 1952 से 1957 तक राजस्थान में 287 विधानसभा की बैठकें हुई थी. वहीं दूसरी विधानसभा में 1957 से 1961 तक अब तक कि सर्वाधिक 306 विधान सभा की बैठकें आयोजित हुई थी. लेकिन उसके बाद से लगातार विधानसभा में होने वाली बैठकों का सिलसिला कम होता जा रहा है. ऐसे घटती गई विधानसभा में बैठकों की संख्या:

Rajasthan VidhanSabha
स्पीकर सीपी जोशी

15 वीं विधानसभा- 2018 से वर्तमान

201932 बैठकें
202029 बैठकें
202126 बैठकें
2022 में अब तक25 बैठकें
कुल 112 बैठकें

14वीं विधानसभा- 2013 से 2018 मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे

201430 बैठकें
201531 बैठकें
201625 बैठकें
201729 बैठकें
201824 बैठकें
कुल 139 बैठकें

13वीं विधानसभा- 2008 से 2013 मुख्यमंत्री अशोक गहलोत

200926 बैठकें
201031 बैठकें
201119 बैठकें
201225 बैठकें
201322 बैठकें
कुल119 बैठकें

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12वीं विधानसभा- 2003 से 2008 मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे

200429 बैठकें
200528 बैठकें
200630 बैठकें
200725 बैठकें
200828 बैठकें
कुल140 बैठकें

11वीं विधानसभा-1998 से 2003 मुख्यमंत्री अशोक गहलोत

199933 बैठकें
200030 बैठकें
200132 बैठकें
200223 बैठकें
200325 बैठकें
कुल143 बैठकें

10वीं विधानसभा

19933 बैठकें
199436 बैठकें
199533 बैठकें
199626 बैठकें
199719 बैठकें
199824 बैठकें
कुल141 बैठकें

9वीं विधानसभा

199030 बैठकें
199125 बैठकें
199240 बैठकें
कुल95 बैठकें

8वीं विधानसभा

198529 बैठकें
198643 बैठकें
198743 बैठकें
198833 बैठकें
198932 बैठकें
19901 बैठक
कुल180 बैठकें

पढ़ें.Digital Museum in Rajasthan Assembly : राजस्थान के गौरवशाली इतिहास को प्रदर्शित करेगा डिजिटल म्यूजियम... विधानसभा अध्यक्ष ने ली समीक्षा बैठक

7 वीं विधानसभा

198028 बैठकें
198137 बैठकें
198234 बैठकें
198333 बैठकें
198436 बैठकें
कुल 168 बैठकें

6वीं विधानसभा

197730 बैठकें
197845 बैठकें
197940 बैठकें
कुल115 बैठकें

5वीं विधानसभा

197237 बैठकें
197344 बैठकें
197437 बैठकें
197537 बैठकें
197640 बैठकें
19776 बैठकें
कुल 201 बैठकें

चौथी विधानसभा-

196738 बैठकें
196858 बैठकें
196942 बैठकें
197056 बैठकें
197147 बैठकें
कुल241 बैठकें

तीसरी विधानसभा

196250 बैठकें
196351 बैठकें
196468 बैठकें
196552 बैठकें
196747 बैठकें
कुल268 बैठकें

दूसरी विधानसभा

195735 बैठकें
195879 बैठकें
195990 बैठकें
196057 बैठकें
196145 बैठकें
कुल306 बैठकें

पहली विधानसभा

195234 बैठकें
195339 बैठकें
195484 बैठकें
195553 बैठकें
195673 बैठकें
19574 बैठकें
कुल 287 बैठकें

वसुंधरा सरकार में हुई 119 बैठकेंः 2013 से 2018 के कार्यकाल में पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार के समय विधानसभा में अब तक की सबसे कम 5 साल में 119 बैठकें हुई. हालांकि इस बार अब तक 112 बैठकें विधानसभा में हो चुकी हैं और 1 साल बाकी है. ऐसे में वसुंधरा राजे का दूसरा कार्यकाल विधानसभा की सबसे कम बैठकों के मामले में इतिहास में सबसे आगे दिखाई देगा. लेकिन वर्तमान गहलोत कार्यकाल में भी विधानसभा की बैठकें बुलाने में कोई खास प्रदर्शन नहीं हो सका है.

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ब्यूरोक्रेसी के हावी होने का भी एक कारण यह भीः राजनीति के जानकारों का कहना है कि स्पीकर सीपी जोशी की चिंता निरर्थक नहीं है. क्योंकि जहां पहले यह कहा जाता था की मुख्यमंत्री तो दूर की बात है, मंत्री और विधायक भी पहले ब्यूरोक्रेसी पर हावी रहते थे. लेकिन अब लगातार यह बात सुनने को मिलती है कि चाहे विधायक हो या फिर किसी विभाग का मंत्री ब्यूरोक्रेसी उस पर हावी रहती है. स्पीकर सीपी जोशी लगातार यह सवाल खड़े कर रहे हैं. क्योंकि विधायक विधानसभा कि बैठकें कम होने के चलते नियम कायदे नहीं सीख पाता है और उसे ज्यादा जानकारी भी नहीं हो पाती है. इसी के चलते कानून बनाने का काम भी विधानसभा में सही तरीके से नहीं हो पाता है. राजनीति के जानकारों का कहना है कि जब विधानसभा में चर्चा नहीं होती है तो कानून ब्यूरोक्रेसी के अनुसार ही तैयार भी होते हैं और पास भी हो जाते हैं.

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