जयपुर. ग्रेटर नगर निगम की निलंबित महापौर डॉ सौम्या गुर्जर को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम राहत (Soumya Gurjar Gets relief from SC in suspension case) मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने 7 महीने बाद हाईकोर्ट के फैसले पर न्यायिक जांच पूरी होने तक रोक लगा दी है. कोर्ट के इस फैसले के बाद ग्रेटर नगर निगम में मेयर की कुर्सी पर पुराना चेहरा लौटने के कयास तेज हो गए हैं. इस बीच डॉ सौम्या गुर्जर के घर बीजेपी पार्षद, ग्रेटर नगर निगम के कई समिति चेयरमैन और कार्यकर्ता पहुंचे. यहां ढोल नगाड़ों के बीच जश्न का माहौल देखने को मिला. कार्यकर्ताओं ने एक दूसरे को मिठाई खिलाते हुए कहा कि सत्य परेशान हो सकता है पर पराजित नहीं.
सोमवार को ही ग्रेटर नगर निगम की कार्यवाहक महापौर शील धाभाई का कार्यकाल 60 दिन और बढ़ाया गया है. वहीं मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने निलंबित महापौर सौम्या गुर्जर को अंतरिम राहत देते हुए हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाई है. ये आदेश न्यायिक जांच पूरी होने तक प्रभावी रहेगा. सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद सौम्या गुर्जर के दोबारा कुर्सी पर बैठने के रास्ते खुले हैं. जिससे शहर बीजेपी में खुशी की लहर है.
सौम्या को शहर का असली मेयर बतायाः कोर्ट के आदेश के बाद सौम्या गुर्जर के घर पर जश्न का माहौल देखने को मिला. यहां कार्यकर्ताओं ने सौम्या गुर्जर को शहर की असली मेयर बताते हुए उन्हीं का बयान दोहराया कि सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं. ईटीवी भारत से खास बातचीत में महापौर के साथ निलंबित हुए पार्षदों ने बताया कि राज्य सरकार ने राजनीतिक द्वेषता रखते हुए जो फैसला लिया उस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई है.
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साथ ही आरोप लगाया कि जब उन्हें ये कहकर निलंबित कर दिया गया कि वो पद पर रहकर जांच प्रभावित कर सकते हैं, तो फिर निगम कमिश्नर जिनका नाम एसीबी की जांच में सामने आया है, उन्हें अब तक क्यों नहीं हटाया गया?. इस दौरान सौम्या गुर्जर के पति राजा राम गुर्जर ने इसे भगवान की लीला बताया. फैसला आने के बाद सौम्या गुर्जर अपने पुत्र के साथ करौली स्थित कैला देवी के दर्शन करने के लिए रवाना हुई. बताया जा रहा है कि आज उनके पुत्र का भी जन्मदिन है.
न्यायिक जांच के फैसले का इंतजार: हालांकि सौम्या गुर्जर कब दोबारा मेयर की कुर्सी पर बैठेंगी ये कहना मुश्किल है. क्योंकि कोर्ट के आदेशों की कॉपी मिलने के बाद सरकार की ओर से इस का रिव्यू किया जाएगा, और उसके बाद ही आगे की प्रक्रिया अपनाई जाएगी. आपको बता दें कि राज्य सरकार की ओर से न्यायिक जांच में सरकारी पक्ष और बचाव पक्ष के बयान पूरे हो चुके हैं. हालांकि अभी पार्षदों की जांच पूरी नहीं हुई है. ऐसे में दोनों मामलों की जांच पूरी होने के बाद ही न्यायिक जांच का फैसला आने की उम्मीद है.