जयपुर. रोजी-रोटी अधिकार अभियान के तहत विभिन्न समाजिक संगठनों की ओर से लॉकडाउन में भूख से हुई मौतों के विरोध में राष्ट्रीय शोक दिवस मनाया. राशन व्यवस्था, प्रवासी व्यक्तियों को खाद्यान्न सहायता तथा स्वतः जोड़ी जाने वाली श्रेणी के व्यक्तियों को खाद्य सुरक्षा का लाभ देने के संबंध में मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन कलेक्टर दिया गया.
ज्ञापन में बताया गया कि खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने ऐसे लोगो के सर्वे का आदेश जारी किया जो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना में चयनित नहीं है, तथा लॉकडाउन के दौरान प्रभावित हुए हैं. उसके लिए अलग से श्रेणियां बनाई गई है. अन्य राज्यों से आने वाले प्रवासियों का विवरण फॉर्म नंबर 4 में लिया गया था. यह सूचना जिला स्तर पर तैयार की जा रही है, लेकिन इसमें भी राशन प्राप्त करने के लिए जन आधार कार्ड अनिवार्य किया गया है.
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इसके अतिरिक्त जिन लोगो के काम धंधे बंद हुए हैं, और जो बेरोजगार हुए उन्हें ई-मित्र पर जाकर अपना पंजीयन कराना है. अथवा बीएलओ को मोबाइल ऐप पर पंजीयन करना है. तभी उन्हें खाद्य सुरक्षा का लाभ दिया जाएगा. संगठनों ने आरोप लगाया कि कई लोगों को तो उसकी जानकारी ही नहीं है. ज्ञापन में आरोप लगाया गया ई-मित्र वाले पंजीयन के लिए मनमाना शुल्क वसूल कर रहे हैं. कई जगह ई मित्रों के सर्वर भी नहीं चल रहे हैं.
सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि राशन वितरण की व्यवस्था में जोड़े जाने वाली श्रेणियों के सभी लोगों को जोड़ा जाए. इसे यूनिवर्सल बनाया जाए. एनएफएसए में वर्णित श्रेणियों, सामाजिक सुरक्षा पेंशन धारी, नरेगा में 2009- 10 के बाद 100 दिन मजदूरी करने वाला, श्रम विभाग में पंजीकृत निर्माण श्रमिक आदि को भी खाद्य सुरक्षा योजना में समावेशन किया जाए. इसके अतिरिक्त भूमिहीन व सीमांत कृषक, कच्ची बस्ती में निवास करने वाले सर्वेक्षित परिवार, कचरा बीनने वाले परिवार, घुमंतु परिवार आदि 20 प्रकार की श्रेणियां है, उन सभी को भी सर्वप्रथम खाद्य सुरक्षा में शामिल किया जाए.
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सरकार ने उक्त आदेश में कहा है कि मई व जून माह में ही राशन वितरण किया जाएगा. संगठनों ने मांग की कि यदि कोई प्रवासी समय रहते पंजीयन नहीं करा पाया है, तो उन्हें जून माह के बाद भी राशन दिया जाए.
प्रधानमंत्री के नाम भी दिया ज्ञापन
प्रधानमंत्री को दिए गए ज्ञापन में मांग की गई कि हर नागरिक को 10 किलो अनाज, दाल और तेल दिया जाए. बेरोजगार श्रमिक के लिए 30 जून तक परिवहन मुफ्त हो. श्रमिक को मार्च, अप्रैल और मई के पूरा वेतन दिया जाए. सभी श्रम कानूनों की पूरी पालना हो, कोई भी श्रम कानून निरस्त नहीं किया जाए. हर नागरिक किसान, मजदूर एवं बेरोजगार के खाते में टैक्स देने वाले को छोड़कर सभी के खाते में 7000 रुपये डाले जाए. लॉकडाउन के दौरान किसी भी तरह से मजदूर व अन्य परिवार की मौत हुई हो तो उसके परिवार को कम 5 लाख रुपये दिए जाए.
नरेगा के तहत कम से कम 240 दिन का रोजगार दिया जाए. छोटी बच्चियों ने बैनर व तख्तियां लेकर कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन भी किया और सभी लोगों को खाद्य सुरक्षा देने और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के साथ ही उनकी सुरक्षा की मांग की गई.