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SMS अस्पताल ने फिर रचा इतिहास, बिना पैर काटे निकाली पेल्विस हड्डी के कैंसर की गांठ

राजधानी के एसएमएस अस्पताल के चिकित्सकों ने एक 61 साल के व्यक्ति का बिना पैर काटे 8 किलो का ट्यूमर निकाला है. ये दुर्लभ ऑपरेशन अस्पताल के अधीक्षक डॉ. डीएस मीणा के निर्देश में अस्थि रोग विभाग, रेडियोलॉजी और एनेस्थिसिया विभाग के संयुक्त प्रयास से किया गया.

Jaipur news, जयपुर की खबर
बिना पैर काटे निकाली पेल्विस हड्डी के कैंसर की गांठ
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Published : Feb 17, 2020, 11:29 PM IST

जयपुर. राजधानी के सवाई मानसिंह अस्पताल के चिकित्सकों ने एक दुर्लभ ऑपरेशन को अंजाम दिया है. अस्पताल के चिकित्सकों ने दावा किया है, कि बिना पैर काटे 8 किलो का ट्यूमर निकालने का अब तक का यह पहला मामला है. वहीं, ऑपरेशन के बाद मरीज की हालत स्थिर हैं. ये दुर्लभ ऑपरेशन अस्थि रोग विभाग, रेडियोलॉजी और एनेस्थीसिया विभाग के संयुक्त प्रयास से 61 साल के अलवर निवासी हरिश्चंद्र का किया गया है.

बिना पैर काटे निकाली पेल्विस हड्डी के कैंसर की गांठ

चिकित्सकों ने जानकारी देते हुए बताया, कि मरीज की पिछले 30 सालों से बढ़ रही पेल्विस हड्डी के कैंसर की गांठ निकालकर उसे नया जीवनदान दिया गया है. अस्पताल के अधीक्षक डॉ. डीएस मीणा के निर्देश में इस जटिल ऑपरेशन को अंजाम दिया गया.

पढ़ें- तीसरी संतान दिव्यांग होने पर चाइल्ड केयर लीव का लाभ क्यों नहींः राजस्थान हाईकोर्ट

चिकित्सकों ने बताया, कि मरीज के पैर की हड्डी से करीब 8 किलो की गांठ घुटने तक लटक रही थी. जब इसकी जांच की गई तो यह कैंसर की गांठ निकली. ऐसे में अस्पताल के अधीक्षक डॉ. डीएस मीणा के निर्देश में डॉ. रामकुमार हर्शवाल, डॉ. विक्रम सिंह शेखावत और डॉ. अंकुर की टीम ने इस जटिल ऑपरेशन को अंजाम दिया. डॉक्टरों की टीम ने पैर से लटक रही इस गांठ को अलग किया.

चिकित्सकों ने दावा किया है, कि मेडिकल जनरल में बोन ट्यूमर के अबतक इससे बड़े दो ही केस रजिस्टर्ड हैं, जिसमें ट्यूमर निकालने के लिए मरीज के अंग को भी अलग किया गया है. लेकिन इस केस की खास बात यह रही, कि बिना पैर काटे इस ट्यूमर को निकाला गया और मरीज को नया जीवन दिया गया.

जयपुर. राजधानी के सवाई मानसिंह अस्पताल के चिकित्सकों ने एक दुर्लभ ऑपरेशन को अंजाम दिया है. अस्पताल के चिकित्सकों ने दावा किया है, कि बिना पैर काटे 8 किलो का ट्यूमर निकालने का अब तक का यह पहला मामला है. वहीं, ऑपरेशन के बाद मरीज की हालत स्थिर हैं. ये दुर्लभ ऑपरेशन अस्थि रोग विभाग, रेडियोलॉजी और एनेस्थीसिया विभाग के संयुक्त प्रयास से 61 साल के अलवर निवासी हरिश्चंद्र का किया गया है.

बिना पैर काटे निकाली पेल्विस हड्डी के कैंसर की गांठ

चिकित्सकों ने जानकारी देते हुए बताया, कि मरीज की पिछले 30 सालों से बढ़ रही पेल्विस हड्डी के कैंसर की गांठ निकालकर उसे नया जीवनदान दिया गया है. अस्पताल के अधीक्षक डॉ. डीएस मीणा के निर्देश में इस जटिल ऑपरेशन को अंजाम दिया गया.

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चिकित्सकों ने बताया, कि मरीज के पैर की हड्डी से करीब 8 किलो की गांठ घुटने तक लटक रही थी. जब इसकी जांच की गई तो यह कैंसर की गांठ निकली. ऐसे में अस्पताल के अधीक्षक डॉ. डीएस मीणा के निर्देश में डॉ. रामकुमार हर्शवाल, डॉ. विक्रम सिंह शेखावत और डॉ. अंकुर की टीम ने इस जटिल ऑपरेशन को अंजाम दिया. डॉक्टरों की टीम ने पैर से लटक रही इस गांठ को अलग किया.

चिकित्सकों ने दावा किया है, कि मेडिकल जनरल में बोन ट्यूमर के अबतक इससे बड़े दो ही केस रजिस्टर्ड हैं, जिसमें ट्यूमर निकालने के लिए मरीज के अंग को भी अलग किया गया है. लेकिन इस केस की खास बात यह रही, कि बिना पैर काटे इस ट्यूमर को निकाला गया और मरीज को नया जीवन दिया गया.

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