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Jaipur Literature Festival: पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने नक्सलवाद को पनपने दिया, अगले 5 साल में इससे मुक्त होगा देश- स्मृति ईरानी

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी रविवार को जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल (Smriti Irani in Jaipur Literature Festival) में शामिल हुईं. इस दौरान उन्होंने अपनी किताब लाल सलाम पर चर्चा करते हुए देश में नक्सलवाद पनपने को लेकर कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा.

Smriti Irani in Jaipur Literature Festival
जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल में स्मृति ईरानी
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Published : Mar 13, 2022, 8:46 PM IST

Updated : Mar 13, 2022, 9:08 PM IST

जयपुर. हाल ही में नक्सलवाद पर लिखी अपनी किताब लाल सलाम पर चर्चा के लिए केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी (Smriti Irani in Jaipur Literature Festival) भी रविवार को जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में शामिल हुईं. इस दौरान उन्होंने दावा किया कि आगामी 5 सालों में देश पूरी तरह नक्सलवाद से मुक्त होगा. उन्होंने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर देश में नक्सलवाद को पनपने देने का आरोप लगाया. यह भी कहा कि अब नक्सलवाद का गढ़ कहे जाने वाले राज्य के महज 40 जिलों में ही नक्सली बचे हैं.

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में मॉडरेटर प्रज्ञा तिवारी और श्रोताओं के सवालों का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि 2006, 2009 में जब उनकी सरकार केंद्र में नहीं थी उस वक्त एक रिसर्च में सामने आया था कि तब नक्सलवादियों की जरूरतों को पूरा करते हुए जो व्यवसायीकरण किया गया उसके 316 नेशनल प्रोजेक्ट हिट रहे थे. ये उनकी रिसर्च नहीं, पिछली सरकार की रिसर्च है. इसे लेकर 200 बिलियन खर्च की जो बात की गई वो पिछली सरकार के डॉक्यूमेंटेशन में हैं.

जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल में स्मृति ईरानी

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हालात हो गए थे बदतर
उस दौर में हालात बद से बदतर थे. नक्सलियों की ओर से एक टैक्सेशन सिस्टम पर काम किया गया, औरतों का नक्सल कैम्पस में रेप किया जा रहा था, लेकिन किसी ने आवाज नहीं उठाई. बच्चों की तस्करी हो रही थी, लेकिन तब ये हेडलाइन नहीं बनी. पैरामिलिट्री फोर्स के जवान शहीद हुए लेकिन खामोशी छायी रही. एक डिबेट में एक पर्सन ने 72 सीआरपीएफ जवानों की शहीदी पर ये तक कहा था कि 'वर्दी पहनी है तो इनको पता होना चाहिए कि इनकी मौत होगी, तो इस पर इतना दुखी होने की क्या बात है'. उस वक्त लगा कि जो जवान शहीद हुए हैं उनका कोई घरवाला यदि ये डिबेट देख रहा होगा तो उन्हें कितना बुरा लग रहा होगा जबकि हर फौजी को पूरी रेस्पेक्ट मिलनी चाहिए.

किताब में है नक्सल वॉयलंस का सच
यही वजह है कि उन्होंने अपनी किताब में नक्सल वॉयलंस की धज्जियां उड़ाई हैं. इस दौरान उन्होंने जेंडर थिंकिंग को लेकर कहा कि एक मेल हमेशा मेल के लिए लिखता है और एक फिमेल हमेशा फिमेल के लिए. ये जेंडर रिलेटेड सोच उनकी समझ के परे है. उन्होंने कहा कि स्क्रीन पर ज्यादातर पुलिस, पैरामिल्ट्री ऑफिसर को क्रिमिनल या तमाशे की तरह ही दिखाया जाता है लेकिन अपनी किताब में असली हकीकत बताई है कि किस तरह से वह इन्वेस्टिगेट करते हैं, किस तरह उन्हें लीगल चैलेंजेज झेलने पड़ते हैं.

पढ़ें. जेएलएफ में यूपी में जीत पर चर्चा, वक्ता बोले भाजपा ने दिलों पर दस्तक दी, आरएसएस का मिला भरपूर सहयोग

एजुकेशन सिस्टम, स्किल डेवलपमेंट पर चर्चा
इस दौरान उन्होंने देश में एजुकेशन सिस्टम, स्किल डेवलपमेंट और मैन्युफैक्चरिंग को लेकर भी खुलकर चर्चा की. साथ ही बताया कि जब लॉकडाउन में सब कुछ बंद हो गया था उस दौर में महज 3 महीने में पीपीई किट तैयार करने वाली देश में 1100 कंपनी एस्टेब्लिश हुईं. इस दौरान श्रोताओं के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने अपने अभिनय, राजनीतिक सफर और अब बतौर लेखिका होने पर खुशनसीबी व्यक्त की.

पढ़ें. बॉलीवुड में कास्टिंग काउच होता है, लेकिन बाहर ज्यादा...एक मना करती है तो 100 लड़कियां तैयार होती हैं : नीना गुप्ता

यह भी कहा कि उन्हें एक लाइफ मिली है और उसमें जो भी संभव है वह सब काम वो करना चाहती हैं. लाल सलाम किताब पर चर्चा के दौरान उन्होंने अपने अमेठी चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि वहां पहले हारी, लेकिन सोच रखा था कि जब तक यहां से चुनाव नहीं जीतूंगी, तब तक मन से हार नहीं मानूंगी, यही वजह है कि पिछले लोकसभा चुनाव में उन्होंने अमेठी से जीत भी दर्ज की और सामने वाले की जमानत जब्त हुई.

स्मृति ईरानी की किताब 'लाल सलाम' दंतेवाड़ा में अप्रैल 2010 में CRPF के जवानों पर हुए हमले से प्रेरित है. इस हमले में देश के 76 जवान शहीद हो गए थे. ये किताब विक्रम प्रताप सिंह नाम के एक युवा अधिकारी के जीवन पर है. इसमें बताया गया है कि कैसे विक्रम प्रताप सिंह ने राजनीति और भ्रष्टाचार में डूबी व्यवस्था का सामना किया. इस किताब के जरिए नक्सली और माओवादी विद्रोही क्षेत्रों में चुनौतियों का सामना करने वाले अधिकारियों को श्रद्धांजलि दी गई है.

जयपुर. हाल ही में नक्सलवाद पर लिखी अपनी किताब लाल सलाम पर चर्चा के लिए केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी (Smriti Irani in Jaipur Literature Festival) भी रविवार को जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में शामिल हुईं. इस दौरान उन्होंने दावा किया कि आगामी 5 सालों में देश पूरी तरह नक्सलवाद से मुक्त होगा. उन्होंने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर देश में नक्सलवाद को पनपने देने का आरोप लगाया. यह भी कहा कि अब नक्सलवाद का गढ़ कहे जाने वाले राज्य के महज 40 जिलों में ही नक्सली बचे हैं.

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में मॉडरेटर प्रज्ञा तिवारी और श्रोताओं के सवालों का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि 2006, 2009 में जब उनकी सरकार केंद्र में नहीं थी उस वक्त एक रिसर्च में सामने आया था कि तब नक्सलवादियों की जरूरतों को पूरा करते हुए जो व्यवसायीकरण किया गया उसके 316 नेशनल प्रोजेक्ट हिट रहे थे. ये उनकी रिसर्च नहीं, पिछली सरकार की रिसर्च है. इसे लेकर 200 बिलियन खर्च की जो बात की गई वो पिछली सरकार के डॉक्यूमेंटेशन में हैं.

जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल में स्मृति ईरानी

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हालात हो गए थे बदतर
उस दौर में हालात बद से बदतर थे. नक्सलियों की ओर से एक टैक्सेशन सिस्टम पर काम किया गया, औरतों का नक्सल कैम्पस में रेप किया जा रहा था, लेकिन किसी ने आवाज नहीं उठाई. बच्चों की तस्करी हो रही थी, लेकिन तब ये हेडलाइन नहीं बनी. पैरामिलिट्री फोर्स के जवान शहीद हुए लेकिन खामोशी छायी रही. एक डिबेट में एक पर्सन ने 72 सीआरपीएफ जवानों की शहीदी पर ये तक कहा था कि 'वर्दी पहनी है तो इनको पता होना चाहिए कि इनकी मौत होगी, तो इस पर इतना दुखी होने की क्या बात है'. उस वक्त लगा कि जो जवान शहीद हुए हैं उनका कोई घरवाला यदि ये डिबेट देख रहा होगा तो उन्हें कितना बुरा लग रहा होगा जबकि हर फौजी को पूरी रेस्पेक्ट मिलनी चाहिए.

किताब में है नक्सल वॉयलंस का सच
यही वजह है कि उन्होंने अपनी किताब में नक्सल वॉयलंस की धज्जियां उड़ाई हैं. इस दौरान उन्होंने जेंडर थिंकिंग को लेकर कहा कि एक मेल हमेशा मेल के लिए लिखता है और एक फिमेल हमेशा फिमेल के लिए. ये जेंडर रिलेटेड सोच उनकी समझ के परे है. उन्होंने कहा कि स्क्रीन पर ज्यादातर पुलिस, पैरामिल्ट्री ऑफिसर को क्रिमिनल या तमाशे की तरह ही दिखाया जाता है लेकिन अपनी किताब में असली हकीकत बताई है कि किस तरह से वह इन्वेस्टिगेट करते हैं, किस तरह उन्हें लीगल चैलेंजेज झेलने पड़ते हैं.

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एजुकेशन सिस्टम, स्किल डेवलपमेंट पर चर्चा
इस दौरान उन्होंने देश में एजुकेशन सिस्टम, स्किल डेवलपमेंट और मैन्युफैक्चरिंग को लेकर भी खुलकर चर्चा की. साथ ही बताया कि जब लॉकडाउन में सब कुछ बंद हो गया था उस दौर में महज 3 महीने में पीपीई किट तैयार करने वाली देश में 1100 कंपनी एस्टेब्लिश हुईं. इस दौरान श्रोताओं के सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने अपने अभिनय, राजनीतिक सफर और अब बतौर लेखिका होने पर खुशनसीबी व्यक्त की.

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यह भी कहा कि उन्हें एक लाइफ मिली है और उसमें जो भी संभव है वह सब काम वो करना चाहती हैं. लाल सलाम किताब पर चर्चा के दौरान उन्होंने अपने अमेठी चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि वहां पहले हारी, लेकिन सोच रखा था कि जब तक यहां से चुनाव नहीं जीतूंगी, तब तक मन से हार नहीं मानूंगी, यही वजह है कि पिछले लोकसभा चुनाव में उन्होंने अमेठी से जीत भी दर्ज की और सामने वाले की जमानत जब्त हुई.

स्मृति ईरानी की किताब 'लाल सलाम' दंतेवाड़ा में अप्रैल 2010 में CRPF के जवानों पर हुए हमले से प्रेरित है. इस हमले में देश के 76 जवान शहीद हो गए थे. ये किताब विक्रम प्रताप सिंह नाम के एक युवा अधिकारी के जीवन पर है. इसमें बताया गया है कि कैसे विक्रम प्रताप सिंह ने राजनीति और भ्रष्टाचार में डूबी व्यवस्था का सामना किया. इस किताब के जरिए नक्सली और माओवादी विद्रोही क्षेत्रों में चुनौतियों का सामना करने वाले अधिकारियों को श्रद्धांजलि दी गई है.

Last Updated : Mar 13, 2022, 9:08 PM IST
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