जयपुर. पूर्व महापौर शील धाबाई जयपुर नगर निगम ग्रेटर से महापौर पद की प्रमुख दावेदार माने जा रही थीं, लेकिन सियासत में कब किसका टिकट कट जाए, पता नहीं चलता और शील धाबाई के साथ भी यही हुआ. उनकी ही समाज से आने वाली सौम्या गुर्जर पर पार्टी ने विश्वास जताया, जिसके बाद शील धाबाई की आंखें भर आई और नम आंखों से ही बीजेपी मुख्यालय से रवाना हो गईं.
ऐसे में वहां मौजूद उनके समर्थक भड़क गए और नारेबाजी करने लगे. हालांकि, नारेबाजी में उन्होंने यही कहा कि हमारी महापौर कैसी हो धाबाई जैसी हो, लेकिन समर्थकों की आंखों में आक्रोश साफतौर पर नजर आ रहा था.
लाहोटी के साथ भी हुई थी ऐसी ही चोट...
कुछ ऐसी ही चोट पिछले नगर निगम बोर्ड में डॉ. अशोक लाहोटी के साथ भी हुई थी जो सिविल लाइंस विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी के टिकट पर विधायक का चुनाव लड़ चुके थे, लेकिन फिर उन्होंने जयपुर नगर निगम में पार्षद का चुनाव लड़ा. उम्मीद उन्हें भी थी कि पार्टी बोर्ड बनने की स्थिति में उन्हें महापौर बनाएंगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और निर्मल नाहाटा को महापौर बना दिया गया.
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हालांकि, करीब ढाई साल बाद लाहोटी को महापौर पद का मौका मिल पाया, जब नाहटा को पद से हटाकर लाहोटी को महापौर का ताज पहनाया गया था. अब यही स्थिति की शुरुआत इस बार भी दिख रही है. हालांकि पूर्व महापौर का अनुभव होने के बावजूद बीजेपी ने शील धाबाई को महज पार्षद तक ही समेट कर रख दिया और भविष्य में भी सियासी प्रमोशन का आश्वासन फिलहाल धाबाई को नहीं दिया गया.