जयपुर. रेल मंत्रालय एक ओर रेलवे में निजीकरण को लागू करने के लिए योजना बना रहा है तो वहीं दूसरी ओर जल्द ही यात्रियों की एक सुविधा में कटौती भी करने जा रहा है. दरअसल रेलवे बोर्ड ने अब ट्रेनों का स्पीड ट्राइल अधिकतम 150 किलोमीटर प्रति घंटे तक करने का निर्णय लिया है.
यह ट्रायल स्पेशल ट्रेनों जिसमें प्रमुख रुप से राजधानी और जल्द शुरू होने वाली शताब्दी एक्सप्रेस श्रेणी की ट्रेनों के जरिए किया जाएगा. वहीं रेलवे बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी से मिली जानकारी के अनुसार 16 अक्टूबर के बाद से दिल्ली मुंबई वाया-कोटा और जयपुर के बीच विभिन्न सेक्टरों में यह ट्रायल होगा.
इस दौरान ट्रेनों की यात्रा में बचने वाले समय को नोट किया जाएगा. साथ ही जीरोबेस टाइम टेबल में उसे जोड़ दिया जाएगा. जिसके बाद नया टाइम टेबल लागू होते ही ट्रेनों के यात्रा समय में कमी कर दी जाएगी और उसकी औपचारिक घोषणा भी हो सकेगी.
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बता दें कि इस ट्रायल के बाद 2023 में जब डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर से मालगाड़ी संचालित होने लगेंगी और वर्तमान में ट्रैक पर ट्रेनों का दबाव कम हो जाएगा. उस समय राजस्थान सहित देशभर के सभी रेल रूट पर ट्रेनों की अधिकतम स्पीड को 130 किलोमीटर प्रतिघंटा कर दिया जाएगा.
मेल-एक्सप्रेस सेटिंग स्लीपर कोच..
बता दें कि इस रफ्तार के बढ़ने से सबसे ज्यादा झटका ट्रेनों की स्लीपर श्रेणी में यात्रा करने वाले मध्यम वर्गीय यात्री को लगेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि रेलवे इस बदलाव को सबसे पहले मेल एक्सप्रेस ट्रेनों से शुरू करेगा. ऐसे में इन ट्रेनों से स्लीपर क्लास कोच को हटा दिया जाएगा. यानी पूरी ट्रेन एसी होगी. यह जानकारी खुद रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वीके यादव ने एक कार्यक्रम में दी थी. वहीं इस बदलाव के लागू होने से देशभर में रोजाना ट्रेनों से यात्रा करने वाले करीब डेढ़ करोड़ यात्रियों को अधिक किराया देकर जाने को मजबूर होना पड़ेगा.