जयपुर. चैत्र नवरात्र का गुरुवार को अंतिम दिन है. चैत्र नवरात्र के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की आराधना की जाती है. मां दुर्गा का यह स्वरूप सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाला है. साथ ही नवें दिन देवी स्वरूप 9 कन्याओं को भोजन करवा कर उन्हें वस्त्र भेंट कर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए. चैत्र नवरात्र के अंतिम दिन ही राम नवमी भी मनाई जाएगी.
बता दें कि मां सिद्धिदात्री की पूजा करने का शुभ मुहूर्त दोपहर 12.15 बजे का है. इससे पहले स्नानादि कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें. फिर मंदिर की चौकी पर लाल कपड़ा बिछा मां की प्रतिमा स्थापित करें. फिर दीपक रोशन कर हाथों में पुष्प लेकर मां सिद्धिदात्री की आराधना करें. मान्यता है कि सिद्धिदात्री को लाल और पीला रंग पसंद है. इसलिए उनका मनपसंद भोग नारियल, खीर और पंचामृत का भोग लगाएं. वहीं लाल चुनरी ओढ़ाकर श्रृंगार पिटारी अर्पित करें. वहीं नवमी के दिन चंडी हवन करने काफी शुभ माना गया है. सिंह पर सवार मां सिद्धिदात्री का सौम्य स्वरूप बहुत आकर्षक है. चार भुजाओं में मां के एक हाथ में चक्र, एक हाथ में गदा, शंख और एक हाथ में कमल का फूल धारण किए हुए हैं.
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मां की आराधना करने से सभी प्रकार का ज्ञान आसानी से मिल जाता है. मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव ने सिद्धिदात्री की कृपा से ही अनेकों सिद्धियां प्राप्त की थी. मां की कृपा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था. इसी कारण शिव अर्धनारीश्वर नाम से प्रसिद्ध हुए.
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इसीलिए कहा जाता है कि अगर भक्त सच्चे मन से मां सिद्धिदात्री की पूजा करें तो यह सभी सिद्धियां उन्हें भी मिल सकती हैं. साथ ही गुरुवार को रामनवमी भी है. इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने जन्म लिया था लेकिन कोरोना महामारी के चलते कोई शोभायात्राएं नहीं निकाली जाएंगी.