जयपुर. गहलोत सरकार (Gehlot Sarkar) का राजस्थान में शुद्ध के लिए युद्ध अभियान खानापूर्ति बन गया है. अभियान प्रभावी कार्रवाई की बजाय नमूने लेने तक सीमित रह गया. आलम यह है कि त्योहारी सीजन पर भी चिकित्सा विभाग ने मिलावट के खिलाफ बड़ी कार्रवाई नहीं की है. चिकित्सा विभाग की ओर से शुद्ध के लिए युद्ध अभियान चलाया जा रहा है. लेकिन मिलावट के खिलाफ चिकित्सा विभाग (medical Department) का यह अभियान परवान नहीं चढ़ पा रहा. राजधानी जयपुर में मिलावटखोरों पर कोई अंकुश नहीं लग पा रहा है.
आंकड़ों की बात की जाए तो राजस्थान में तकरीबन 50 लाख कारोबारी खाद्य सामग्री के विक्रेता निर्माण से जुड़े हुए हैं. सिर्फ 73 खाद्य सुरक्षा अधिकारी ही फील्ड में मौजूद है. 98 फूड इंस्पेक्टर की निकाली गई भर्ती आज तक पूरी नहीं हो पाई.
स्टाफ के अभाव में शहर के बाहरी क्षेत्रों में मिलावटखोरों पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं हो पा रही. त्योहारी सीजन से पहले जयपुर में चिकित्सा विभाग की ओर से मिलावट को लेकर कार्रवाई शुरू की गई है. लेकिन अभी तक मिलावट की कोई बड़ी खेप पकड़ में नहीं आई है. जिला प्रशासन और पुलिस की ओर से भी मिलावट को लेकर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है.
हालांकि, चिकित्सा विभाग ने अभियान के तहत 16 अक्टूबर को चिकित्सा विभाग में जयपुर में कार्रवाई को अंजाम दिया. जहां 13000 लीटर मिलावटी घी सीज किया गया. 18 अक्टूबर को चिकित्सा विभाग ने कार्रवाई करते हुए 988 लीटर मिलावटी सरसों का तेल सीज किया. 20 अक्टूबर को विभाग ने कार्रवाई करते हुए 775 किलो काली मिर्च 288 किलो दालचीनी 133 किलो लॉन्ग 75 किलो बिरयानी मसाला सीज किया. इसी प्रकार 25 अक्टूबर को चिकित्सा विभाग ने कार्रवाई करते हुए 3000 लीटर मिलावटी घी सीज किया.
पनीर और मावा में ज्यादा मिलावट
दीपावली के त्योहार के दौरान मिलावटी पनीर और मावा सबसे अधिक पाया जाता है लेकिन अभी तक विभाग की ओर से मिलावटी पनीर और मावा नहीं पकड़ा गया है. हालांकि, चिकित्सा विभाग की टीमों ने जयपुर के कुछ मावा कारोबारियों के यहां से सैंपल जरूर उठाए. लेकिन जब तक मिलावट की रिपोर्ट सामने आएगी तब तक बड़ी मात्रा में मिलावटी पनीर और मावा खपा दिया जाएगा. मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. नरोत्तम शर्मा का कहना है कि मिलावटखोरों के खिलाफ चिकित्सा विभाग किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरत रहा है. मिलावटखोरों पर कार्रवाई की जा रही है.
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अब मिलावट करने पर 7 साल की सजा
खाद्य पदार्थों में मिलावट के लिए विधानसभा में दंड प्रक्रिया संहिता के धारा 272 से 276 में संशोधन किया गया है. जिसके बाद मिलावट करना एक गैर जमानती (adulteration is a non-bailable offense) अपराध माना जाएगा. जिसमें अपराधी को तुरंत गिरफ्तार किया जा सकता है. जिसमें 1 साल से लेकर 7 साल तक की सजा का प्रावधान और जुर्माने की राशि तय की गई है. वही मिलावटी दवाओं को भी इस कानून के दायरे में शामिल किया गया है. दवा में मिलावट करने पर भी कड़ी सजा का प्रावधान इस एक्ट में है.
यदि कोई खाद्य पदार्थ सब्सटेंडर्ड पाया जाता है तो उसमें 1 से 7 साल की सजा और 10 हजार से अधिक जुर्माना होगा तो वही खाने पीने की चीज यदि अनसेफ पाई जाती है तो उसमें 3 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा सुनाई जाएगी और साथ ही 50 हजार जुर्माना भी लगाया जाएगा.