जयपुर. प्रदेश में गर्मी के चलते पानी की समस्या बढ़ती जा रही है. प्रदेश में कई ऐसे इलाके हैं, जहां पानी की कमी ज्यादा है. वहीं जलदाय विभाग के 120 से ज्यादा डिवीजन और सब डिवीजन में इंजीनियरों की कमी चल रही है. इस कमी के चलते जनता की पानी की समस्याओं की सुनवाई नहीं हो पा रही है. सालों से इंजीनियरों के पदों की डीपीसी भी नहीं हुई है, जिसके कारण सैकड़ों पद खाली पड़े हैं.
सूत्रों का कहना है कि विभाग के 200 से ज्यादा इंजीनियरों ने अपनी सिफारिश के चलते विभाग के मुख्यालय और चीफ इंजीनियरों के दफ्तरों में अपनी पोस्टिंग करवा रखी है. विभाग की ओर से दफ्तरों में टीए लगे अधिकारियों को फील्ड में लगाया जा रहा है. विभाग के उच्च अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही इंजीनियरों की डीपीसी की जाएगी और खाली पदों को भरा जाएगा.
पिछले दिनों ऐसे कुछ मामले सामने आए थे कि ऑफिस में बैठे इंजीनियर प्राइवेट कंसलटेंसी फर्म चला रहे हैं. कर्मचारी संगठनों का भी आरोप यही था कि सालों से ये इंजीनियर दफ्तरों में बैठे हैं और परिजनों के नाम से फर्म चलाते हैं. विभाग के प्रोजेक्ट स्कीम की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीसी) बनाने का काम भी इन प्राइवेट फर्म को दे दिया जाता है और इंजीनियर दफ्तरों में बैठकर यह काम करते हैं.
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ग्रेजुएट इंजीनियर एसोसिएशन ऑफ राजस्थान (जीईएआर) के महासचिव भवानी सिंह ने कहा कि विभाग में सहायक अभियंताओं के 1600 पद हैं और इनमें से एक हजार पद खाली पड़े हैं. इनमें से आधे पद आरपीएससी की ओर से भरे जाएंगे और आधे पद डीपीसी से भरे जाएंगे. भवानी सिंह ने कहा कि यदि डीपीसी हो जाती है, तो 180 पदों को तुरंत भरा जा सकता है. वहीं 312 सहायक अभियंताओं का परिणाम भी आरपीएससी ने रोका हुआ है यदि यह परिणाम जारी हो जाए तो 312 सहायक अभियंताओं को पोस्टिंग मिल सकती है.
इस तरह से 500 पद जलदाय विभाग के इंजीनियरों के भरे जा सकते हैं. 180 जेईएन के पदों की भर्ती करने का प्रस्ताव भी भेजा हुआ है. भवानी सिंह ने कहा कि लॉकडाउन के चलते इंजीनियरों की डीपीसी नहीं हो पा रही है. सरकार को भी लिखा गया है कि डीपीसी जल्द से जल्द की जाए ताकि खाली पड़े डिवीजन और सब डिवीजनों में इंजीनियरों के पद भरे जा सकें.