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Shelter Home For Transgenders : ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए राजस्थान में पहला 'गरिमा गृह'...सम्मान की जिंदगी जीने का नया ठिकाना

ट्रांसजेंडर यानी किन्नर समाज के लोग अब सम्मान के साथ जी सकते हैं. राजस्थान में इस समुदाय के लिए गरिमा गृह स्थापित किया गया है. यहां इस समुदाय के लोगों को सुरक्षा तो मिलेगी ही, साथ ही आत्मसम्मान के साथ जीने के लिए आत्मनिर्भर बनने के अवसर भी मिलेंगे.

Shelter Home For Transgenders
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Published : Nov 13, 2021, 6:33 PM IST

Updated : Nov 13, 2021, 9:58 PM IST

जयपुर. समाज में लिंग के आधार पर भेदभाव आमतौर पर देखने को मिलता है. ट्रांसजेंडर समुदाय जिन्हें किन्नर कहा जाता है, उनके लिए समाज की सोच अभी तक सामान्य नहीं है. समाज किन्नरों से दूरी बनाकर रखता है, लिहाजा ये मुख्यधारा में नहीं जुड़ पाए. समाज और समाज में सम्मान इनके लिए भी उतना ही जरूरी है जितना आपके हमारे लिये.

जोधपुर की साइना ब्यूटीशियन बनना चाहती थी. लेकिन साइना को न परिवार का प्यार मिला और न समाज से सम्मान. उसे कदम-कदम पर तिरस्कार झेलना पड़ा. क्योंकि वह ट्रांसजेंडर थी. अब साइना अपने सपनों को पंख दे रही है. वह ब्यूटीशियन के काम के साथ सिलाई भी सीख रही है. साइना के अलावा मीरा, त्रिशा और कई ट्रांसजेंडर सम्मान के साथ अपने सपने साकार कर रही हैं.

ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए गरिमा गृह

इन सभी को जयपुर में सम्मान का ठिकाना मिल गया है. जयपुर में नई भोर संस्था की ओर से किन्नरों के लिए राजस्थान का पहला शेल्टर होम गरिमा गृह शुरू किया गया है. इस शेल्टर होम में अभी 15 ट्रांसजेंडर रह रहे हैं. गरिमा गृह में इन ट्रांसजेंडर्स को स्वरोजगार से भी जोड़ा जा रहा है.

मीरा एक महीने से गरिमा गृह में रह रही है. वह कहती है कि मैंने अपनी पहचान छुपाकर बहुत समय बिता दिया. अब यहां मुझे अपनी पहचान को किसी से छुपाकर नहीं रखना पड़ता. मीरा सिलाई का काम शुरू करना चाहती है. त्रिशा श्रीवास्तव भी जर्नलिज्म के क्षेत्र में भविष्य देख रही है. मीरा और त्रिशा नहीं चाहती कि लोगों को बधाई देकर या नाच गाकर मिले पैसों पर वे जिंदगी बसर करें.

Shelter Home For Transgenders
गरिमा गृह शेल्टर होम

नई भोर संस्था की प्रमुख पुष्पा माई बताती हैं कि वे जुलाई महीने से जयपुर में गरिमा गृह चला रही हैं. इस खास शेल्टर होम में श्रीगंगानगर, सीकर, नागौर, कोटा, भरतपुर जिलों से ट्रांसजेंडर्स आए हैं. यहां सभी के लिए खाने-रहने की निशुल्क व्यवस्था की गई है. ट्रांसजेंडर्स को सिलाई, कुकिंग, ब्यूटीशियन और डांस जैसी स्किल्स सिखाई जा रही हैं.

पढ़ें- Special: संरक्षण से मिलेगी समानता, गहलोत सरकार ट्रांसजेंडर के लिए बनाएगी स्पेशल सेल

पुष्पा कहती हैं कि इस योजना से समाज में बदलाव आना भले ही एक बार के लिए मुश्किल है. लेकिन मुझे एक उम्मीद बंधी है कि हमारी समस्याओं के इतर इस योजना से हमें अपनी पहचान साबित करने में काफी संबल मिलेगा और समुदाय के लोगों को मुख्यधारा में लाने की दिशा में यह पहल एक मील के पत्थर की तरह साबित होगा.

आशीर्वाद सबको चाहिए पर मेरे घर में नहीं चाहिए

पुष्पा कहती हैं कि ट्रांसजेंडर से आशीर्वाद तो सब को चाहिए, लेकिन घर में उसे जगह नहीं देंगे. ट्रांसजेंडर भी समाज का हिस्सा हैं. उन्हें शुरुआत से ही घर-परिवार या समाज में घृणा से देखा जाता है. कई ऐसे ट्रांसजेंडर हैं जो अन्य ट्रांसजेंडर की तरह बधाई या मांग कर जीवन नहीं जीना चाहते, वे सम्मान के साथ पढाई करना चाहते हैं. लेकिन समाज में उन्हें समानता का अधिकार नहीं मिलता. कोई मकान में किराये पर भी नहीं रखता. ऐसे ट्रांसजेंडर को गरिमा गृह आश्रय देता है. गरिमा गृह में फिलहाल घरों से निकाले हुए, मानसिक रूप से परेशान और आर्थिक तंगी का सामना करने रहे ट्रांसजेंडर आ रहे हैं. उचित काउंसलिंग करने के बाद उन्हें यहां जगह दी जाती है.

Shelter Home For Transgenders
ताकि ट्रांसजेंडर्स आत्मनिर्भर बनें

कैसे हुई गरिमा गृह की शुरुआत

बीते साल 25 नवंबर को तत्कालीन केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने गुजरात के वडोदरा में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए शेल्टर होम गरिमा गृह योजना का उद्घाटन किया. वहीं ट्रांसजेंडर व्यक्ति को पहचान पत्र के लिए डिजिटल रूप से आवेदन करने की दिशा में ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) नियम, 2020 के तहत एक राष्ट्रीय पोर्टल की भी घोषणा की गई. इस योजना के तहत देश में 13 शेल्टर होम बनाने के लिए 10 शहरों की पहचान की गई जिनमें वडोदरा, नई दिल्ली, पटना, भुवनेश्वर, जयपुर, कोलकाता, मणिपुर, चेन्नई, रायपुर, मुंबई आदि शामिल हैं.

पढ़ें- International Transgender Day of Visibility: 'जब तक समाज की सोच नहीं बदलेगी तब तक समानता की बात बेईमानी'

गरिमा गृह क्या है

गरिमा गृह ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों को आश्रय देने के साथ भोजन, चिकित्सा देखभाल और मनोरंजन जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करवाता है. गरिमा गृह का उद्देश्य ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों में कौशल विकास करने के साथ उन्हें सम्मान का जीवन देने की दिशा में एक कदम है. इस योजना के तहत कोई भी ट्रांसजेंडर महज अपनी पहचान से जुड़े सर्टिफिकेट के साथ यहां दाखिला ले सकता है. वह अपनी पहचान को लेकर ज़िला मजिस्ट्रेट या ब्लॉक स्तर पर आवेदन कर यह सर्टिफिकेट हासिल कर सकता है.

Shelter Home For Transgenders
शेल्टर होम में डांस क्लास

वहीं यदि ट्रांसजेंडर व्यक्ति लिंग परिवर्तन के लिये एक पुरुष या महिला के रूप में किसी चिकित्सकीय सर्जरी से गुजरता है तो ऐसे में वह एक संशोधित पहचान प्रमाण पत्र संबंधित अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक या मुख्य चिकित्सा अधिकारी से जारी करवा सकता है. इसके बाद गरिमा गृह से संपर्क करने के बाद ट्रांसजेंडर की पहचान से जुड़े कागजातों की जांच के बाद संस्था से जुड़े लोग उनकी काउंसलिंग करते हैं और उसकी रूचि के मुताबिक उन्हें यहां काम सिखाया जाता है.

जयपुर में गरिमा गृह की शुरूआत जुलाई महीने में की गई. जहां इस समय 15 ट्रांसजेंडर रह रहे हैं. ट्रांसजेंडर्स को योगा, ब्यूटीशियन, सिलाई के साथ हर वह काम सीखने की आजादी है जिसमें वे अपना भविष्य बनाना चाहते हैं. गरिमा गृह के जरिये उन ट्रांसजेंडर को एक मंच मिला है जो अन्य ट्रांसजेंडर की तरह मांग का जीवन यापन नहीं करना चाहते.

जयपुर. समाज में लिंग के आधार पर भेदभाव आमतौर पर देखने को मिलता है. ट्रांसजेंडर समुदाय जिन्हें किन्नर कहा जाता है, उनके लिए समाज की सोच अभी तक सामान्य नहीं है. समाज किन्नरों से दूरी बनाकर रखता है, लिहाजा ये मुख्यधारा में नहीं जुड़ पाए. समाज और समाज में सम्मान इनके लिए भी उतना ही जरूरी है जितना आपके हमारे लिये.

जोधपुर की साइना ब्यूटीशियन बनना चाहती थी. लेकिन साइना को न परिवार का प्यार मिला और न समाज से सम्मान. उसे कदम-कदम पर तिरस्कार झेलना पड़ा. क्योंकि वह ट्रांसजेंडर थी. अब साइना अपने सपनों को पंख दे रही है. वह ब्यूटीशियन के काम के साथ सिलाई भी सीख रही है. साइना के अलावा मीरा, त्रिशा और कई ट्रांसजेंडर सम्मान के साथ अपने सपने साकार कर रही हैं.

ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए गरिमा गृह

इन सभी को जयपुर में सम्मान का ठिकाना मिल गया है. जयपुर में नई भोर संस्था की ओर से किन्नरों के लिए राजस्थान का पहला शेल्टर होम गरिमा गृह शुरू किया गया है. इस शेल्टर होम में अभी 15 ट्रांसजेंडर रह रहे हैं. गरिमा गृह में इन ट्रांसजेंडर्स को स्वरोजगार से भी जोड़ा जा रहा है.

मीरा एक महीने से गरिमा गृह में रह रही है. वह कहती है कि मैंने अपनी पहचान छुपाकर बहुत समय बिता दिया. अब यहां मुझे अपनी पहचान को किसी से छुपाकर नहीं रखना पड़ता. मीरा सिलाई का काम शुरू करना चाहती है. त्रिशा श्रीवास्तव भी जर्नलिज्म के क्षेत्र में भविष्य देख रही है. मीरा और त्रिशा नहीं चाहती कि लोगों को बधाई देकर या नाच गाकर मिले पैसों पर वे जिंदगी बसर करें.

Shelter Home For Transgenders
गरिमा गृह शेल्टर होम

नई भोर संस्था की प्रमुख पुष्पा माई बताती हैं कि वे जुलाई महीने से जयपुर में गरिमा गृह चला रही हैं. इस खास शेल्टर होम में श्रीगंगानगर, सीकर, नागौर, कोटा, भरतपुर जिलों से ट्रांसजेंडर्स आए हैं. यहां सभी के लिए खाने-रहने की निशुल्क व्यवस्था की गई है. ट्रांसजेंडर्स को सिलाई, कुकिंग, ब्यूटीशियन और डांस जैसी स्किल्स सिखाई जा रही हैं.

पढ़ें- Special: संरक्षण से मिलेगी समानता, गहलोत सरकार ट्रांसजेंडर के लिए बनाएगी स्पेशल सेल

पुष्पा कहती हैं कि इस योजना से समाज में बदलाव आना भले ही एक बार के लिए मुश्किल है. लेकिन मुझे एक उम्मीद बंधी है कि हमारी समस्याओं के इतर इस योजना से हमें अपनी पहचान साबित करने में काफी संबल मिलेगा और समुदाय के लोगों को मुख्यधारा में लाने की दिशा में यह पहल एक मील के पत्थर की तरह साबित होगा.

आशीर्वाद सबको चाहिए पर मेरे घर में नहीं चाहिए

पुष्पा कहती हैं कि ट्रांसजेंडर से आशीर्वाद तो सब को चाहिए, लेकिन घर में उसे जगह नहीं देंगे. ट्रांसजेंडर भी समाज का हिस्सा हैं. उन्हें शुरुआत से ही घर-परिवार या समाज में घृणा से देखा जाता है. कई ऐसे ट्रांसजेंडर हैं जो अन्य ट्रांसजेंडर की तरह बधाई या मांग कर जीवन नहीं जीना चाहते, वे सम्मान के साथ पढाई करना चाहते हैं. लेकिन समाज में उन्हें समानता का अधिकार नहीं मिलता. कोई मकान में किराये पर भी नहीं रखता. ऐसे ट्रांसजेंडर को गरिमा गृह आश्रय देता है. गरिमा गृह में फिलहाल घरों से निकाले हुए, मानसिक रूप से परेशान और आर्थिक तंगी का सामना करने रहे ट्रांसजेंडर आ रहे हैं. उचित काउंसलिंग करने के बाद उन्हें यहां जगह दी जाती है.

Shelter Home For Transgenders
ताकि ट्रांसजेंडर्स आत्मनिर्भर बनें

कैसे हुई गरिमा गृह की शुरुआत

बीते साल 25 नवंबर को तत्कालीन केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने गुजरात के वडोदरा में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए शेल्टर होम गरिमा गृह योजना का उद्घाटन किया. वहीं ट्रांसजेंडर व्यक्ति को पहचान पत्र के लिए डिजिटल रूप से आवेदन करने की दिशा में ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) नियम, 2020 के तहत एक राष्ट्रीय पोर्टल की भी घोषणा की गई. इस योजना के तहत देश में 13 शेल्टर होम बनाने के लिए 10 शहरों की पहचान की गई जिनमें वडोदरा, नई दिल्ली, पटना, भुवनेश्वर, जयपुर, कोलकाता, मणिपुर, चेन्नई, रायपुर, मुंबई आदि शामिल हैं.

पढ़ें- International Transgender Day of Visibility: 'जब तक समाज की सोच नहीं बदलेगी तब तक समानता की बात बेईमानी'

गरिमा गृह क्या है

गरिमा गृह ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों को आश्रय देने के साथ भोजन, चिकित्सा देखभाल और मनोरंजन जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करवाता है. गरिमा गृह का उद्देश्य ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों में कौशल विकास करने के साथ उन्हें सम्मान का जीवन देने की दिशा में एक कदम है. इस योजना के तहत कोई भी ट्रांसजेंडर महज अपनी पहचान से जुड़े सर्टिफिकेट के साथ यहां दाखिला ले सकता है. वह अपनी पहचान को लेकर ज़िला मजिस्ट्रेट या ब्लॉक स्तर पर आवेदन कर यह सर्टिफिकेट हासिल कर सकता है.

Shelter Home For Transgenders
शेल्टर होम में डांस क्लास

वहीं यदि ट्रांसजेंडर व्यक्ति लिंग परिवर्तन के लिये एक पुरुष या महिला के रूप में किसी चिकित्सकीय सर्जरी से गुजरता है तो ऐसे में वह एक संशोधित पहचान प्रमाण पत्र संबंधित अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक या मुख्य चिकित्सा अधिकारी से जारी करवा सकता है. इसके बाद गरिमा गृह से संपर्क करने के बाद ट्रांसजेंडर की पहचान से जुड़े कागजातों की जांच के बाद संस्था से जुड़े लोग उनकी काउंसलिंग करते हैं और उसकी रूचि के मुताबिक उन्हें यहां काम सिखाया जाता है.

जयपुर में गरिमा गृह की शुरूआत जुलाई महीने में की गई. जहां इस समय 15 ट्रांसजेंडर रह रहे हैं. ट्रांसजेंडर्स को योगा, ब्यूटीशियन, सिलाई के साथ हर वह काम सीखने की आजादी है जिसमें वे अपना भविष्य बनाना चाहते हैं. गरिमा गृह के जरिये उन ट्रांसजेंडर को एक मंच मिला है जो अन्य ट्रांसजेंडर की तरह मांग का जीवन यापन नहीं करना चाहते.

Last Updated : Nov 13, 2021, 9:58 PM IST
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