जयपुर. भारत में गरबा और डांडिया गुजरात की सांस्कृतिक पहचान है. अब ये नृत्य कला तेजी से गुजरात के बाहर भी जगह (Garba and Dandiya in Jaipur) बना रही है. बीते 2 दशक में राजस्थान में भी लोगों में गरबा और डांडिया को लेकर रुचि बढ़ी है. हालांकि गुजराती समाज जयपुर की बसावट से लेकर अब तक शारदीय नवरात्र में गरबा डांडिया का आयोजन करता रहा है, लेकिन समय के साथ इसका चलन बढ़ गया है.
राजधानी जयपुर में गुजराती समाज कई पीढ़ियों से नवरात्र में परंपरागत गरबा-डांडिया (Garba in Navratri in Jaipur) करता आ रहा है. जयपुर की धरा पर हर साल नवरात्र में गुजराती रंग बिखरते नजर आते हैं. इसे लेकर गुजराती समाज के अध्यक्ष ज्ञान प्रकाश शर्मा ने बताया कि संवत 1051 में राजा जयसिंह ने जयपुर में अश्वमेध यज्ञ किया था. इसके लिए गुजरात से सभी औदिच्य ब्राह्मणों सहित दूसरे ब्राह्मण वर्गों को बुलाकर यज्ञ किया गया था और उन्हें यहीं बसाया गया. तभी से शारदीय नवरात्र में परंपरागत पूजन, आराधना और गरबा-डांडिया किया जाता है.
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समय के साथ इससे दूसरे समाज भी जुड़ते चले गए. समाज से जुड़े अन्य लोगों ने बताया कि यहां (Gujarati Dandiya in Rajasthan) महिला, पुरुष, बच्चे सभी गुजराती समाज के पारंपरिक परिधान पहन गरबा-डांडिया करने पहुंचते हैं. ये परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है. हालांकि समय के साथ डीजे की गूंज इसका अभिन्न अंग और रंग-मंडप पहचान में शामिल हो गए. बहरहाल, हाथों में डांडिया स्टिक और रंग-बिरंगी पोशाक में झूमते महिला और पुरुष इसी तरह गुलाबी नगरी में हर वर्ष गरबा रास में धूम मचाते दिखते हैं. शारदीय नवरात्र के पहले दिन से शुरू हुआ ये दौर आखिरी दिन तक जारी रहेगा.