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जयपुर की विरासत : राज परिवार और आम जनता के लिए बना हुआ था अलग-अलग हेरिटेज वॉक वे - यूनेस्को विश्व विरासत जयपुर

जयपुर की चारदीवारी यूनेस्को की विश्व विरास में शुमार हो चुकी है. बुधवार को यूनेस्को की टीम ने शहर का दौरा भी किया. ईटीवी भारत आपको ले जा रहा है जयपुर की 292 साल पुरानी उस विरासत से मिलवाने जिसकी पूरी दुनिया कायल है. इस खास रिपोर्ट में देखिए जयपुर का हेरिटेड वॉक वे...

Jaipur Royal family, जयपुर चार दिवारी विश्व विरासत
heritage walkway of jaipur wall city
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Published : Feb 5, 2020, 6:03 PM IST

जयपुर. गुलाबी नगरी की विरासत में हेरिटेज वॉक वे का भी अपना इतिहास रहा है. जहां छोटी चौपड़ से बड़ी चौपड़ तक त्रिपोलिया बाजार के समकक्ष राज परिवार के लिए वॉक वे बना था. जो अब ईसरलाट के साथ पर्यटन स्थल बना हुआ है. जबकि चौड़ा रास्ता से किशनपोल बाजार के बीच आम जनता के लिए हेरिटेज वॉकवे था. जिसे निखारने की कवायद जारी है.

जानें जयपुर की विरासत के बारे में : हेरिटेज वॉक वे

जयपुर का गौरवशाली अतीत शहर के महलों और किलों में आज भी जीवित है. जिसमें एक शाही परिवार रहा करता था. राजसी किले और हवेलियां, विशाल बगीचे, सुंदर मंदिर, शांत परिदृश्य और समृद्धि ने जयपुर को दुनियाभर के पर्यटकों के लिए एक आदर्श स्थान बना दिया है.

जयपुर के इतिहास के साथ उसकी ये सांस्कृतिक विरासत आज भी यहां देखने को मिलती है. यहां हेरिटेज वॉकवे का भी अपना इतिहास रहा है. इतिहासकारों की मानें तो पुराने समय में महारानियां पर्दे में रहा करती थी. ऐसे में शहर से होने वाले तीज और गणगौर के मेले को देखने के लिए हवामहल के पास जनानी ड्योढ़ी से चीनी की बुर्ज तक सुरंग रास्ता बनाया गया था. और बाकी समारोह हवामहल से देखा करती थी. ये रास्ता वर्तमान में त्रिपोलिया बाजार के समकक्ष देखने को मिलता है.

पढ़ेंः मैं हूं 292 साल से विरासत को संजोए रखने वाला जयपुर...यूं ही नहीं मिल गया वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा

इस हेरिटेज वॉक वे का उल्लेख पूर्व राजमाता गायत्री देवी की किताब प्रिंसेस माय रिमेंबर में भी है. जब पहली बार राजमाता गायत्री देवी जयपुर आई थी, तब नादरों के साथ हेरिटेज वॉक किया था. और तीज की सवारी देखी थी. ये हेरीटेज वॉक वे राज परिवार के काम आया करता था. इतिहासकारों ने बताया कि इसके अलावा आम जनता के लिए भी हेरिटेज वॉक वे बना हुआ था. जो न्यू गेट से शुरू होकर अंदर-अंदर ठठेरों के रास्ते होते हुए मनिहारों के रास्ते तक जाता था. जिसका उपयोग महाराजा आम जनता से मिलने के लिए किया करते थे. धीरे-धीरे उसका उपयोग बंद हो गया.

पढ़ेंः Special : 8 करोड़ रुपए की लागत से करीब 5 महीने में तैयार होगा जयपुर हेरिटेज नगर निगम कार्यालय

हालांकि कुछ साल पहले सरकार ने करीब 1 किलोमीटर का हेरिटेज वॉक वे का काम दोबारा शुरू किया था. जिसमें रियासत कालीन पत्थर गढ़ी की गई. कोबल स्टोन लगाए गए. पुरानी डिजाइन के लैंप लगाए गए. लेकिन वो विरासत का स्वरूप देखने को नहीं मिला, जो शुरूआती दिनों में हुआ करता था.

जयपुर. गुलाबी नगरी की विरासत में हेरिटेज वॉक वे का भी अपना इतिहास रहा है. जहां छोटी चौपड़ से बड़ी चौपड़ तक त्रिपोलिया बाजार के समकक्ष राज परिवार के लिए वॉक वे बना था. जो अब ईसरलाट के साथ पर्यटन स्थल बना हुआ है. जबकि चौड़ा रास्ता से किशनपोल बाजार के बीच आम जनता के लिए हेरिटेज वॉकवे था. जिसे निखारने की कवायद जारी है.

जानें जयपुर की विरासत के बारे में : हेरिटेज वॉक वे

जयपुर का गौरवशाली अतीत शहर के महलों और किलों में आज भी जीवित है. जिसमें एक शाही परिवार रहा करता था. राजसी किले और हवेलियां, विशाल बगीचे, सुंदर मंदिर, शांत परिदृश्य और समृद्धि ने जयपुर को दुनियाभर के पर्यटकों के लिए एक आदर्श स्थान बना दिया है.

जयपुर के इतिहास के साथ उसकी ये सांस्कृतिक विरासत आज भी यहां देखने को मिलती है. यहां हेरिटेज वॉकवे का भी अपना इतिहास रहा है. इतिहासकारों की मानें तो पुराने समय में महारानियां पर्दे में रहा करती थी. ऐसे में शहर से होने वाले तीज और गणगौर के मेले को देखने के लिए हवामहल के पास जनानी ड्योढ़ी से चीनी की बुर्ज तक सुरंग रास्ता बनाया गया था. और बाकी समारोह हवामहल से देखा करती थी. ये रास्ता वर्तमान में त्रिपोलिया बाजार के समकक्ष देखने को मिलता है.

पढ़ेंः मैं हूं 292 साल से विरासत को संजोए रखने वाला जयपुर...यूं ही नहीं मिल गया वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा

इस हेरिटेज वॉक वे का उल्लेख पूर्व राजमाता गायत्री देवी की किताब प्रिंसेस माय रिमेंबर में भी है. जब पहली बार राजमाता गायत्री देवी जयपुर आई थी, तब नादरों के साथ हेरिटेज वॉक किया था. और तीज की सवारी देखी थी. ये हेरीटेज वॉक वे राज परिवार के काम आया करता था. इतिहासकारों ने बताया कि इसके अलावा आम जनता के लिए भी हेरिटेज वॉक वे बना हुआ था. जो न्यू गेट से शुरू होकर अंदर-अंदर ठठेरों के रास्ते होते हुए मनिहारों के रास्ते तक जाता था. जिसका उपयोग महाराजा आम जनता से मिलने के लिए किया करते थे. धीरे-धीरे उसका उपयोग बंद हो गया.

पढ़ेंः Special : 8 करोड़ रुपए की लागत से करीब 5 महीने में तैयार होगा जयपुर हेरिटेज नगर निगम कार्यालय

हालांकि कुछ साल पहले सरकार ने करीब 1 किलोमीटर का हेरिटेज वॉक वे का काम दोबारा शुरू किया था. जिसमें रियासत कालीन पत्थर गढ़ी की गई. कोबल स्टोन लगाए गए. पुरानी डिजाइन के लैंप लगाए गए. लेकिन वो विरासत का स्वरूप देखने को नहीं मिला, जो शुरूआती दिनों में हुआ करता था.

Intro:जयपुर - जयपुर की विरासत में हेरिटेज वॉक वे का भी अपना इतिहास रहा है। जहां छोटी चौपड़ से बड़ी चौपड़ तक त्रिपोलिया बाजार के समकक्ष राज परिवार के लिए वॉक वे बना था। जो अब ईसरलाट के साथ पर्यटन स्थल बना हुआ है। जबकि चौड़ा रास्ता से किशनपोल बाजार के बीच आम जनता के लिए हेरिटेज वॉकवे था। जिसे निखारने की कवायद जारी है।


Body:जयपुर का गौरवशाली अतीत शहर के महलों और किलों में आज भी जीवित है। जिसमें एक शाही परिवार रहा करता था। राजसी किले और हवेलियां, विशाल बगीचे, सुंदर मंदिर, शांत परिदृश्य और समृद्धि ने जयपुर को दुनियाभर के पर्यटकों के लिए एक आदर्श स्थान बना दिया है। जयपुर के इतिहास के साथ उसकी ये सांस्कृतिक विरासत आज भी यहां देखने को मिलती है। यहां हेरिटेज वॉकवे का भी अपना इतिहास रहा है। इतिहासकारों की मानें तो पुराने समय में महारानियां पर्दे में रहा करती थी। ऐसे में शहर से होने वाले तीज और गणगौर के मेले को देखने के लिए हवामहल के पास जनानी ड्योढ़ी से चीनी की बुर्ज तक सुरंग रास्ता बनाया गया था। और बाकी समारोह हवामहल से देखा करती थी। ये रास्ता वर्तमान में त्रिपोलिया बाजार के समकक्ष देखने को मिलता है।
बाईट - सियाशरण लश्करी, इतिहासकार

इस हेरिटेज वॉक वे का उल्लेख पूर्व राजमाता गायत्री देवी की किताब प्रिंसेस माय रिमेंबर में भी है। जब पहली बार राजमाता गायत्री देवी जयपुर आई थी, तब नादरों के साथ हेरिटेज वॉक किया था। और तीज की सवारी देखी थी। ये हेरीटेज वॉक वे राज परिवार के काम आया करता था। इतिहासकारों ने बताया कि इसके अलावा आम जनता के लिए भी हेरिटेज वॉक वे बना हुआ था। जो न्यू गेट से शुरू होकर अंदर अंदर ठठेरों के रास्ते होते हुए मनिहारों के रास्ते तक जाता था। जिसका उपयोग महाराजा आम जनता से मिलने के लिए किया करते थे। धीरे-धीरे उसका उपयोग बंद हो गया।
बाईट - देवेंद्र कुमार भगत, इतिहासकार


Conclusion:हालांकि कुछ साल पहले सरकार ने करीब 1 किलोमीटर का हेरिटेज वॉक वे का काम दोबारा शुरू किया था। जिसमें रियासत कालीन पत्थर गढ़ी की गई। कोबल स्टोन लगाए गए। पुरानी डिजाइन के लैंप लगाए गए। लेकिन वो विरासत का अंदाज देखने को नहीं मिला।
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