जयपुर. 'शब्दों और साहित्य का उत्सव' जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का दूसरा दिन शनिवार को फिल्म पर चर्चा से शुरू हुआ. इसके बाद विभिन्न सत्रों में कुकिंग, दंगे, लाइफ स्टाइल और साहित्य पर चर्चा हुई. शनिवार को दिनभर कुल 20 वर्चुअल सेशन हुए, जिसमें 50 स्पीकर्स ने अपनी बात रखी.
'अर्थ का अनर्थ : पटरी से उतरी अर्थव्यवस्था' नाम के एक सेशन में जाने-माने अर्थशास्त्री प्रो. अरुण कुमार ने कहा कि कोरोना के बाद देश की अर्थव्यवस्था ऐसी स्थिति में है जैसी विश्व युद्ध के दौरान भी नहीं होती. उन्होंने कहा कि सरकारी आंकड़ों में बहुत गलतियां होती हैं. उनके आधार पर अर्थव्यवस्था के बारे में सही अनुमान नहीं लगाया जा सकता है.
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अर्थव्यवस्था पर चर्चा के दौरान प्रो. अरुण कुमार के साथ सीए रघुवीर पूनिया और प्रो. बृजेन्द्र उपाध्याय से सुरेश देमन ने चर्चा की. इस चर्चा के दौरान रघुवीर पूनिया ने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी पहले ही अर्थव्यवस्था को पटरी से उतार चुके थे. इसके बाद कोरोना ने भी अर्थव्यवस्था पर कहर बरपाया. उनका यह भी मानना है कि सेंसेक्स से अर्थव्यवस्था को भी नहीं मापा जा सकता है. इस दौरान प्रो. बृजेन्द्र उपाध्याय ने विश्व बैंक के आंकड़ों पर चर्चा करते हुए पिछले दिनों आए बजट पर अपनी राय दी.
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जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन का आगाज पहाड़ी लोकगीतों के साथ हुआ. हिमाली मोऊ लोक संगीत के कलाकारों ने शानदार प्रस्तुति दी. बता दें कि यह जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का 14वां संस्करण है, लेकिन महामारी कोविड-19 के कारण इस साल जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल पहली बार वर्चुअल मोड पर हो रहा है.
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