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SDRI ने 1113 करोड़ रुपये की पकड़ी राजस्व चोरी...हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड का मामला

कई वर्षों से कम्पनी मुख्य उत्पाद के रूप में प्राप्त होने वाले लेड एवं जिंक के उत्पादन की सही मात्रा राज्य सरकार को सूचित नहीं कर रही थी. जिससे राज्य सरकार को रॉयल्टी के रूप में लगभग 1113 करोड़ रुपए की राजस्व हानि संभावित है.

एसडीआरआई राजस्व चोरी
एसडीआरआई राजस्व चोरी
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Published : Jul 12, 2021, 9:19 PM IST

Updated : Jul 12, 2021, 9:40 PM IST

जयपुर. एसडीआरआई ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 1113 करोड़ रुपए की राजस्व चोरी पकड़ी है. राज्य के सबसे बड़े खनन उपक्रम हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड से रॉयल्टी अपवंचना की जांच में राज्य राजस्व आसूचना निदेशालय (एसडीआरआई) को एक बड़ी सफलता प्राप्त हुई है.

एसडीआरआई अधिकारियों के मुताबिक हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड राज्य में लेड और जिंक की सबसे बड़ी उत्पादक कम्पनी है. कम्पनी राजस्थान में लेड-जिंक के उत्खनन के लिए रामपुरा, आगुंचा (भीलवाड़ा), सिंदेसर खुर्द, राजपुरा दरीबा (राजसमन्द), जावर (उदयपुर) एवं कायड़ (अजमेर) स्थित खानों का संचालन कर रही है.

जिसमें मुख्य उत्पाद के रूप में लेड-जिंक के अतिरिक्त सिल्वर एवं कैडमियम भी उप-उत्पाद के रूप में प्राप्त होते हैं. एमएमडीआर, 1957 के अधिनियम के अन्तर्गत खननकर्ता कम्पनी को उत्खनन से प्राप्त खनिज और उससे प्राप्त उप-उत्पादों की घोषणा केन्द्र सरकार के विभाग भारतीय खान ब्यूरो, राज्य सरकार के विभाग खान और भू-विज्ञान विभाग को करनी होती है.

पढ़ें- कृष्णा वाल्मीकि हत्याकांड : बीजेपी ने बनाई 3 सदस्यीय जांच समिति...प्रदेश नेतृत्व को सौंपेगी रिपोर्ट

एसडीआरआई के महानिदेशक आनन्द स्वरूप के निर्देशन में स्वप्रेरित प्रकरण दर्ज किया गया. जिसमें डाटा एनालेटिक्स के माध्यम से विस्तृत जांच उपरान्त ज्ञात हुआ कि गत कई वर्षों से कम्पनी मुख्य उत्पाद के रूप में प्राप्त होने वाले लेड एवं जिंक के उत्पादन की सही मात्रा राज्य सरकार को सूचित नहीं कर रही थी. इससे राज्य सरकार को रॉयल्टी के रूप में लगभग 1113 करोड़ रुपए की राजस्व हानि सम्भावित है.

एसडीआरआई की ओर से वर्ष 2013-14 से वर्ष 2018-19 तक के हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड के उत्पादन के आंकड़ें जो भारतीय खान ब्यूरो (आईबीएम) एवं राज्य सरकार के विभाग खान, भू-विज्ञान विभाग को उपलब्ध कराए गए और हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड की स्वयं की वार्षिक रिपोर्ट के आंकड़ों को मिलान करने पर पाया गया कि उक्त आंकड़ों में एकरूपता का अभाव है.

हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड को मुख्य उत्पाद के रूप में प्राप्त होने वाले लेड एवं जिंक के आंकड़ों में व्याप्त अन्तर का विश्लेषण करने पर पाया गया कि हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड की ओर से खान एवं भू-विज्ञान विभाग को जो आंकड़े प्रस्तुत किए गए हैं, वो आईबीएम को प्रस्तुत किए गए आकड़ों से मात्रा में कम हैं.

ज्ञातव्य है कि खान विभाग की ओर से उसको प्रस्तुत किए गए आंकड़ों के आधार पर रॉयल्टी की वसूली की जाती है. इस संबंध में एसडीआरआई की ओर से निदेशालय स्तर पर डाटा एनालेटिक्स किया गया. ऑडिट एवं एनालिसिस विंग की ओर से गहन जांच की गई और आंकड़ों का विस्तृत परीक्षण कर कम्पनी की हेरा-फेरी को उजागर किया गया.

हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड की ओर से उत्खनित खनिजों पर रॉयल्टी राज्य सरकार वसूल करती है. राज्य सरकार को रॉयल्टी के रूप में लेड एवं जिंक से प्राप्त होने वाली राजस्व में भारी हानि हो रही है. राज्य राजस्व आसूचना निदेशालय की ओर से खनिज लेड एवं जिंक के आकड़ों का विश्लेषण करने पर पाया गया कि वर्ष 2013-14 से 2018-19 तक में ही राज्य सरकार को हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड की ओर से लेड एवं जिंक के कम उत्पादन की जानकारी दी गई है. जिस पर राज्य सरकार को 1113 करोड़ रुपए की संभावित हानि का आकलन रिपोर्ट में किया गया है.

राज्य राजस्व आसूचना निदेशालय, वित्त भवन, जयपुर की ओर से इस विषय में तैयार की गई विस्तृत रिपोर्ट राज्य सरकार एवं खान विभाग को अग्रिम कार्रवाई के लिए भेजी गई है.

जयपुर. एसडीआरआई ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 1113 करोड़ रुपए की राजस्व चोरी पकड़ी है. राज्य के सबसे बड़े खनन उपक्रम हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड से रॉयल्टी अपवंचना की जांच में राज्य राजस्व आसूचना निदेशालय (एसडीआरआई) को एक बड़ी सफलता प्राप्त हुई है.

एसडीआरआई अधिकारियों के मुताबिक हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड राज्य में लेड और जिंक की सबसे बड़ी उत्पादक कम्पनी है. कम्पनी राजस्थान में लेड-जिंक के उत्खनन के लिए रामपुरा, आगुंचा (भीलवाड़ा), सिंदेसर खुर्द, राजपुरा दरीबा (राजसमन्द), जावर (उदयपुर) एवं कायड़ (अजमेर) स्थित खानों का संचालन कर रही है.

जिसमें मुख्य उत्पाद के रूप में लेड-जिंक के अतिरिक्त सिल्वर एवं कैडमियम भी उप-उत्पाद के रूप में प्राप्त होते हैं. एमएमडीआर, 1957 के अधिनियम के अन्तर्गत खननकर्ता कम्पनी को उत्खनन से प्राप्त खनिज और उससे प्राप्त उप-उत्पादों की घोषणा केन्द्र सरकार के विभाग भारतीय खान ब्यूरो, राज्य सरकार के विभाग खान और भू-विज्ञान विभाग को करनी होती है.

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एसडीआरआई के महानिदेशक आनन्द स्वरूप के निर्देशन में स्वप्रेरित प्रकरण दर्ज किया गया. जिसमें डाटा एनालेटिक्स के माध्यम से विस्तृत जांच उपरान्त ज्ञात हुआ कि गत कई वर्षों से कम्पनी मुख्य उत्पाद के रूप में प्राप्त होने वाले लेड एवं जिंक के उत्पादन की सही मात्रा राज्य सरकार को सूचित नहीं कर रही थी. इससे राज्य सरकार को रॉयल्टी के रूप में लगभग 1113 करोड़ रुपए की राजस्व हानि सम्भावित है.

एसडीआरआई की ओर से वर्ष 2013-14 से वर्ष 2018-19 तक के हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड के उत्पादन के आंकड़ें जो भारतीय खान ब्यूरो (आईबीएम) एवं राज्य सरकार के विभाग खान, भू-विज्ञान विभाग को उपलब्ध कराए गए और हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड की स्वयं की वार्षिक रिपोर्ट के आंकड़ों को मिलान करने पर पाया गया कि उक्त आंकड़ों में एकरूपता का अभाव है.

हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड को मुख्य उत्पाद के रूप में प्राप्त होने वाले लेड एवं जिंक के आंकड़ों में व्याप्त अन्तर का विश्लेषण करने पर पाया गया कि हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड की ओर से खान एवं भू-विज्ञान विभाग को जो आंकड़े प्रस्तुत किए गए हैं, वो आईबीएम को प्रस्तुत किए गए आकड़ों से मात्रा में कम हैं.

ज्ञातव्य है कि खान विभाग की ओर से उसको प्रस्तुत किए गए आंकड़ों के आधार पर रॉयल्टी की वसूली की जाती है. इस संबंध में एसडीआरआई की ओर से निदेशालय स्तर पर डाटा एनालेटिक्स किया गया. ऑडिट एवं एनालिसिस विंग की ओर से गहन जांच की गई और आंकड़ों का विस्तृत परीक्षण कर कम्पनी की हेरा-फेरी को उजागर किया गया.

हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड की ओर से उत्खनित खनिजों पर रॉयल्टी राज्य सरकार वसूल करती है. राज्य सरकार को रॉयल्टी के रूप में लेड एवं जिंक से प्राप्त होने वाली राजस्व में भारी हानि हो रही है. राज्य राजस्व आसूचना निदेशालय की ओर से खनिज लेड एवं जिंक के आकड़ों का विश्लेषण करने पर पाया गया कि वर्ष 2013-14 से 2018-19 तक में ही राज्य सरकार को हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड की ओर से लेड एवं जिंक के कम उत्पादन की जानकारी दी गई है. जिस पर राज्य सरकार को 1113 करोड़ रुपए की संभावित हानि का आकलन रिपोर्ट में किया गया है.

राज्य राजस्व आसूचना निदेशालय, वित्त भवन, जयपुर की ओर से इस विषय में तैयार की गई विस्तृत रिपोर्ट राज्य सरकार एवं खान विभाग को अग्रिम कार्रवाई के लिए भेजी गई है.

Last Updated : Jul 12, 2021, 9:40 PM IST
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