ETV Bharat / city

SPECIAL : शिक्षा पर कोरोना भारी, पहली से पांचवीं कक्षा तक के 31 हजार स्कूल एक साल से बंद

author img

By

Published : Apr 21, 2021, 2:56 PM IST

कोविड-19 महामारी के बीते एक साल के दौर में शिक्षा के क्षेत्र को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. प्रदेश में पहली से पांचवीं कक्षा की 31 हजार स्कूल एक साल से बंद हैं. ऐसे में करीब 37 लाख बच्चों को इस साल भी बिना परीक्षा ही प्रमोट करने का फैसला लिया गया है. हालांकि, कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों को और 11वीं के बच्चों को प्रमोट कर दिया गया है वहीं, 10वीं और 12वीं की परिक्षाएं फिलहाल स्थगित कर दी गई हैं.

कोरोना के कारण स्कूल बंद,   31 हजार स्कूल बंद, जयपुर समाचार,  Schools up to fifth have been closed for one year,  School closed due to Corona, 31 thousand schools closed
पांचवीं तक के स्कूल एक साल से बंद

जयपुर. महामारी कोविड-19 के खतरे के बीच बीते एक साल में शिक्षा के क्षेत्र को जबरदस्त नुकसान हुआ है. इस दौर में बच्चों की पढ़ाई तो प्रभावित हुई ही है. उनके भविष्य को लेकर अभिभावकों की चिंता भी गहराने लगी है. इस दौर में जहां निजी स्कूल में काम करने वाले हजारों लोगों की आजीविका पर असर हुआ है तो वहीं, स्कूल संचालक भी अनिश्चितता के दौर से गुजर रहे हैं. कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों को और 11वीं के बच्चों को प्रमोट कर दिया गया है वहीं, 10वीं और 12वीं की परिक्षाएं फिलहाल स्थगित कर दी गई हैं.

पांचवीं तक के स्कूल एक साल से बंद

पढ़ेंः कोटा : 1382 नए कोरोना संक्रमित आए सामने, 10 की मौत...चिकित्सा व्यवस्थाएं बदहाल, शहर का हर कोना प्रभावित

कोरोना काल में प्रदेश में पहली से पांचवीं कक्षा तक की स्कूल बीते एक साल से बंद हैं. प्राथमिक स्तर की प्रदेश में करीब 31 हजार स्कूलें ऐसी हैं जिनके बीते एक साल में ताले भी नहीं खुले हैं. जबकि उच्च प्राथमिक स्तर की करीब पांच हजार स्कूलों को कुछ दिन खुलने के बाद एक बार फिर से बंद कर दिया गया है. ऐसे में नौनिहालों की पढ़ाई एक बार फिर मोबाइल, दूरदर्शन और रेडियो के भरोसे है, लेकिन जानकारों का कहना है कि दूरस्थ इलाकों में यह व्यवस्था कारगर साबित नहीं हो पा रही है. वहीं, स्कूल बंद रहने के कारण बच्चों के शैक्षणिक विकास के साथ ही शारीरिक और मानसिक विकास पर भी असर हुआ है. राजस्थान प्राथमिक माध्यमिक शिक्षक संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष विपिन प्रकाश शर्मा का कहना है कि जब एक साल पहले कोरोना का दौर आया तो यह एक नई समस्या लेकर आया. जिसके लिए कोई तैयार नहीं था. एकदम लॉकडाउन लग गया. उसके बाद पिछले साल बच्चों की परीक्षा नहीं हो पाई और नया सत्र भी चालू नहीं हो पाया.

कोरोना के कारण स्कूल बंद,   31 हजार स्कूल बंद, जयपुर समाचार,  Schools up to fifth have been closed for one year,  School closed due to Corona, 31 thousand schools closed
कोरोना के कारण स्कूल बंद

पढ़ेंः कोरोना प्रोटोकाल की पालना के साथ खनन गतिविधियां रहेंगी जारी, श्रमिकों को मिलेगा रोजगार तो राजस्व में होगी बढ़ोतरी: एसीएस माइन्स डाॅ. सुबोध अग्रवाल

पहली से पांचवीं कक्षा की स्कूल तो एक साल बीतने के बाद भी नहीं खुल पाई हैं. सरकार ने अपने उपलब्ध संसाधनों के आधार पर प्रयास किए और बच्चों को शिक्षण सामग्री ऑनलाइन मुहैया करवाई जाने लगी. बाद में खतरा कम हुआ तो अलग-अलग बच्चों को स्कूल बुलाकर होम वर्क दिया जाने लगा. लेकिन विद्यार्थियों की इतनी बड़ी तादाद होने के कारण यह तमाम व्यवस्थाएं पूरी नहीं पड़ पाई. जहां प्रारंभिक शिक्षा की बात करें तो 37 लाख बच्चे हैं. उनके लिए सरकार की व्यवस्थाएं पर्याप्त साबित नहीं हो पाई हैं. अब नया सत्र चालू होने को है, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर आने के कारण विद्यार्थियों के भविष्य को लेकर संशय अभी भी बरकरार है. उनका कहना है कि निजी स्कूलों में जहां पर्याप्त संसाधन हैं. वहां ऑनलाइन पढ़ाई करवाई जा रही है, लेकिन सरकारी स्कूलों में भी सीमित संसाधनों के बावजूद पढ़ाई करवाई है.

कोरोना के कारण स्कूल बंद,   31 हजार स्कूल बंद, जयपुर समाचार,  Schools up to fifth have been closed for one year,  School closed due to Corona, 31 thousand schools closed
बिना परीक्षा प्रमोट किए गए

बच्चों के शैक्षणिक विकास के सवाल पर उनका कहना है कि अभी तो हालात पूरी तरह असमंजस के बने हुए हैं. ऐसे में कोरोना काल मे बच्चों का शैक्षणिक विकास कितना प्रभावित हुआ है. यह साफ होना अभी बाकी है. उनका कहना है कि जब हालात सामान्य होने पर बच्चे नियमित स्कूल आएंगे तभी यह साफ हो पाएगा कि उनका शैक्षणिक विकास कितना प्रभावित हुआ है. कोरोना काल के इस दौर में बच्चे कितना आगे बढ़े या कितना पीछे गए. उनका कहना है कि फिलहाल तो बच्चों की पढ़ाई को लेकर चुनौतियां हैं ही. लेकिन असल चुनौती अब कुछ सामान्य होने के बाद सामने आएगी.

कोरोना के कारण स्कूल बंद,   31 हजार स्कूल बंद, जयपुर समाचार,  Schools up to fifth have been closed for one year,  School closed due to Corona, 31 thousand schools closed
स्कूलों पर लगे ताले

पढ़ेंः अब 'नो मास्क नो मूवमेंट' पर रहे जोर, स्व-अनुशासन में रहकर निभाएं जीवन रक्षा का फर्ज: सीएम गहलोत

कोरोना काल में बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ने के सवाल पर उनका कहना है कि कोरोना काल में स्कूल बंद रहने के दौरान बच्चों की दिनचर्या निश्चित रूप से बदलाव आया है. दिन भर घर में रहने के कारण एक तरह का दबाव बच्चों पर पड़ा है. स्कूल में पढ़ाई के साथ-साथ सह शैक्षणिक गतिविधियों के कारण बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास भी सुचारू होता था, लेकिन इस दौर में कई अभिभावकों ने बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर परेशानी की बात भी बताई है. दूसरी तरफ अगर बात निजी स्कूलों की करें तो इस दौर में उनकी भी अपनी पीड़ा सामने आई है.

प्रदेश में 50,430 निजी स्कूलों में करीब 91 लाख बच्चे पढ़ रहे हैं. जबकि 11.70 लाख कर्मचारी निजी स्कूलों से जुड़े हैं. निजी स्कूल शिक्षा परिवार के प्रदेशाध्यक्ष अनिल शर्मा का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए सरकार ने शहरी इलाकों में कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों को और 11वीं के बच्चों को प्रमोट कर दिया गया है वहीं, 10वीं और 12वीं की परिक्षाएं फिलहाल स्थगित कर दी गई हैं.

पढ़ेंः कोटा में ऑक्सीजन सप्लाई का प्रेशर कम होने से कोरोना मरीज की मौत

इन स्कूलों में पढ़ाने वाले लाखों शिक्षकों का क्या होगा. सरकार हमें बीमारी से तो बचा रही है, लेकिन भुखमरी से कौन बचाएगा. इसका कोई प्लान सरकार के पास नहीं है. उनका कहना है कि उनके संगठन के पास कई अभिभावकों के फोन आ रहे हैं. उनका कहना है कि बच्चे बड़ी मुश्किल से पढ़ना सीख रहे थे. पहले ही लर्निंग लॉस हो गया है. हमारे पास इतने संसाधन नहीं हैं कि सुचारू रूप से ऑनलाइन पढ़ाई करवाई जा सके. ऐसे में सुरक्षा के पूरे उपाय करके यदि बच्चा स्कूल जाता है तो कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन पता नहीं सरकार को क्या दिक्कत है. उनका कहना है कि अपनी मांगों को लेकर स्कूल शिक्षा परिवार विधायकों के घर के बाहर प्रदर्शन करेंगे और विधायकों का घेराव करेंगे.

जयपुर. महामारी कोविड-19 के खतरे के बीच बीते एक साल में शिक्षा के क्षेत्र को जबरदस्त नुकसान हुआ है. इस दौर में बच्चों की पढ़ाई तो प्रभावित हुई ही है. उनके भविष्य को लेकर अभिभावकों की चिंता भी गहराने लगी है. इस दौर में जहां निजी स्कूल में काम करने वाले हजारों लोगों की आजीविका पर असर हुआ है तो वहीं, स्कूल संचालक भी अनिश्चितता के दौर से गुजर रहे हैं. कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों को और 11वीं के बच्चों को प्रमोट कर दिया गया है वहीं, 10वीं और 12वीं की परिक्षाएं फिलहाल स्थगित कर दी गई हैं.

पांचवीं तक के स्कूल एक साल से बंद

पढ़ेंः कोटा : 1382 नए कोरोना संक्रमित आए सामने, 10 की मौत...चिकित्सा व्यवस्थाएं बदहाल, शहर का हर कोना प्रभावित

कोरोना काल में प्रदेश में पहली से पांचवीं कक्षा तक की स्कूल बीते एक साल से बंद हैं. प्राथमिक स्तर की प्रदेश में करीब 31 हजार स्कूलें ऐसी हैं जिनके बीते एक साल में ताले भी नहीं खुले हैं. जबकि उच्च प्राथमिक स्तर की करीब पांच हजार स्कूलों को कुछ दिन खुलने के बाद एक बार फिर से बंद कर दिया गया है. ऐसे में नौनिहालों की पढ़ाई एक बार फिर मोबाइल, दूरदर्शन और रेडियो के भरोसे है, लेकिन जानकारों का कहना है कि दूरस्थ इलाकों में यह व्यवस्था कारगर साबित नहीं हो पा रही है. वहीं, स्कूल बंद रहने के कारण बच्चों के शैक्षणिक विकास के साथ ही शारीरिक और मानसिक विकास पर भी असर हुआ है. राजस्थान प्राथमिक माध्यमिक शिक्षक संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष विपिन प्रकाश शर्मा का कहना है कि जब एक साल पहले कोरोना का दौर आया तो यह एक नई समस्या लेकर आया. जिसके लिए कोई तैयार नहीं था. एकदम लॉकडाउन लग गया. उसके बाद पिछले साल बच्चों की परीक्षा नहीं हो पाई और नया सत्र भी चालू नहीं हो पाया.

कोरोना के कारण स्कूल बंद,   31 हजार स्कूल बंद, जयपुर समाचार,  Schools up to fifth have been closed for one year,  School closed due to Corona, 31 thousand schools closed
कोरोना के कारण स्कूल बंद

पढ़ेंः कोरोना प्रोटोकाल की पालना के साथ खनन गतिविधियां रहेंगी जारी, श्रमिकों को मिलेगा रोजगार तो राजस्व में होगी बढ़ोतरी: एसीएस माइन्स डाॅ. सुबोध अग्रवाल

पहली से पांचवीं कक्षा की स्कूल तो एक साल बीतने के बाद भी नहीं खुल पाई हैं. सरकार ने अपने उपलब्ध संसाधनों के आधार पर प्रयास किए और बच्चों को शिक्षण सामग्री ऑनलाइन मुहैया करवाई जाने लगी. बाद में खतरा कम हुआ तो अलग-अलग बच्चों को स्कूल बुलाकर होम वर्क दिया जाने लगा. लेकिन विद्यार्थियों की इतनी बड़ी तादाद होने के कारण यह तमाम व्यवस्थाएं पूरी नहीं पड़ पाई. जहां प्रारंभिक शिक्षा की बात करें तो 37 लाख बच्चे हैं. उनके लिए सरकार की व्यवस्थाएं पर्याप्त साबित नहीं हो पाई हैं. अब नया सत्र चालू होने को है, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर आने के कारण विद्यार्थियों के भविष्य को लेकर संशय अभी भी बरकरार है. उनका कहना है कि निजी स्कूलों में जहां पर्याप्त संसाधन हैं. वहां ऑनलाइन पढ़ाई करवाई जा रही है, लेकिन सरकारी स्कूलों में भी सीमित संसाधनों के बावजूद पढ़ाई करवाई है.

कोरोना के कारण स्कूल बंद,   31 हजार स्कूल बंद, जयपुर समाचार,  Schools up to fifth have been closed for one year,  School closed due to Corona, 31 thousand schools closed
बिना परीक्षा प्रमोट किए गए

बच्चों के शैक्षणिक विकास के सवाल पर उनका कहना है कि अभी तो हालात पूरी तरह असमंजस के बने हुए हैं. ऐसे में कोरोना काल मे बच्चों का शैक्षणिक विकास कितना प्रभावित हुआ है. यह साफ होना अभी बाकी है. उनका कहना है कि जब हालात सामान्य होने पर बच्चे नियमित स्कूल आएंगे तभी यह साफ हो पाएगा कि उनका शैक्षणिक विकास कितना प्रभावित हुआ है. कोरोना काल के इस दौर में बच्चे कितना आगे बढ़े या कितना पीछे गए. उनका कहना है कि फिलहाल तो बच्चों की पढ़ाई को लेकर चुनौतियां हैं ही. लेकिन असल चुनौती अब कुछ सामान्य होने के बाद सामने आएगी.

कोरोना के कारण स्कूल बंद,   31 हजार स्कूल बंद, जयपुर समाचार,  Schools up to fifth have been closed for one year,  School closed due to Corona, 31 thousand schools closed
स्कूलों पर लगे ताले

पढ़ेंः अब 'नो मास्क नो मूवमेंट' पर रहे जोर, स्व-अनुशासन में रहकर निभाएं जीवन रक्षा का फर्ज: सीएम गहलोत

कोरोना काल में बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ने के सवाल पर उनका कहना है कि कोरोना काल में स्कूल बंद रहने के दौरान बच्चों की दिनचर्या निश्चित रूप से बदलाव आया है. दिन भर घर में रहने के कारण एक तरह का दबाव बच्चों पर पड़ा है. स्कूल में पढ़ाई के साथ-साथ सह शैक्षणिक गतिविधियों के कारण बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास भी सुचारू होता था, लेकिन इस दौर में कई अभिभावकों ने बच्चों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर परेशानी की बात भी बताई है. दूसरी तरफ अगर बात निजी स्कूलों की करें तो इस दौर में उनकी भी अपनी पीड़ा सामने आई है.

प्रदेश में 50,430 निजी स्कूलों में करीब 91 लाख बच्चे पढ़ रहे हैं. जबकि 11.70 लाख कर्मचारी निजी स्कूलों से जुड़े हैं. निजी स्कूल शिक्षा परिवार के प्रदेशाध्यक्ष अनिल शर्मा का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए सरकार ने शहरी इलाकों में कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों को और 11वीं के बच्चों को प्रमोट कर दिया गया है वहीं, 10वीं और 12वीं की परिक्षाएं फिलहाल स्थगित कर दी गई हैं.

पढ़ेंः कोटा में ऑक्सीजन सप्लाई का प्रेशर कम होने से कोरोना मरीज की मौत

इन स्कूलों में पढ़ाने वाले लाखों शिक्षकों का क्या होगा. सरकार हमें बीमारी से तो बचा रही है, लेकिन भुखमरी से कौन बचाएगा. इसका कोई प्लान सरकार के पास नहीं है. उनका कहना है कि उनके संगठन के पास कई अभिभावकों के फोन आ रहे हैं. उनका कहना है कि बच्चे बड़ी मुश्किल से पढ़ना सीख रहे थे. पहले ही लर्निंग लॉस हो गया है. हमारे पास इतने संसाधन नहीं हैं कि सुचारू रूप से ऑनलाइन पढ़ाई करवाई जा सके. ऐसे में सुरक्षा के पूरे उपाय करके यदि बच्चा स्कूल जाता है तो कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन पता नहीं सरकार को क्या दिक्कत है. उनका कहना है कि अपनी मांगों को लेकर स्कूल शिक्षा परिवार विधायकों के घर के बाहर प्रदर्शन करेंगे और विधायकों का घेराव करेंगे.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.