जयपुर. मानसिक दिक्कत होने पर ग्रामीण इलाकों, यहां तक कि शहरी क्षेत्र में भी कम पढ़े-लिखें लोग तांत्रिक और झाड़फूंक के चक्कर में इलाज का सही समय गवां देते हैं. विज्ञान की भाषा में इसे सिजोफ्रेनिया बीमारी कहते हैं. समय से इलाज न मिलने की वजह से मानसिक स्थिति बिगड़ती (Schizophrenia Awareness Film In Jaipur) जाती है. हालात ऐसे हो जाते हैं कि मरीज अनाप-शनाप हरकतें करने लगता है. विश्व स्किजोफ्रेनिया दिवस के मौके पर जयपुर के विद्याधर नगर के सेक्टर 8 में कच्ची बस्ती के स्कूली छात्रों और आमजन को Schizophrenia बीमारी के बारे में जनजागृति के मकसद से कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस मौके पर मेंटल हेल्थ फाउंडेशन, गौतम हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, यंग साइकेट्रिक सबकमिटी, मीडिया एंड मेंटल हेल्थ सबकमिटी आई.पी.ए की तरफ से विशेषज्ञों ने अपने विचार बताए. वहीं गौतम अस्पताल राजश्री गौतम की बनाई गई Schizophrenia पर आधारित लघु फिल्म-भ्रम जाल दिखाई गई. यह लघु फिल्म अस्पताल में भर्ती 2 मरीजों की वास्तविक कहानी पर आधारित है, ताकि जनसाधारण को जानकारी मिल सके कि Schizophrenia के रोगियों का उपचार और पुनर्स्थापन संभव है.
मीडिया एंड मेंटल हेल्थ सब कमेटी के अध्यक्ष डॉक्टर मनस्वी गौतम ने बताया कि आधुनिक उपचार द्वारा इन रोगियों का ना सिर्फ इलाज संभव है बल्कि रोग दोबारा न हो इसके लिए रोकथाम भी संभव है. उपलब्ध आधुनिक औषधियों के कोई साइड इफेक्ट नहीं हैं. शीघ्र पहचान से बीमारी का सही उपचार होता है और बीमारी से होने वाली अक्षमता को रोका जा सकता है. बस्ती के लोगों ने लघु फिल्म भ्रम जाल (Bhram Jaal film In Jaipur Slum) को देखकर कहा कि यह भ्रांतियों को दूर करने वाली ज्ञानवर्धक मूवी (Awareness film on Schizophrenia in Jaipur) है.
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क्या कहते हैं डॉक्टर?: इस बीमारी में मरीज वास्तविक दुनिया से अलग काल्पनिक जीवन जीने लगता है. भ्रम में रहते हैं. खुद को ताकतवर, अमीर तो कभी बड़ी-बड़ी बातें करने लगते हैं. हालत गंभीर होने पर ये अपनों से खुद को जान का खतरा महसूस करने लगते हैं. ऐसी स्थिति पर मरीज को चिकित्सक को दिखाना जरूरी है. यंग साइकेट्रिक सबकमिटी की अध्यक्ष डॉ अनिता गौतम ने बताया कि यह एक मनोसामाजिक मानसिक रोग है. इसके कारणों में अनुवांशिकता, नशे की लत, वातावरण में हुए परिवर्तन एवं मस्तिष्क में होने वाले रासायनिक परिवर्तन है. जिससे व्यक्ति काल्पनिक भ्रम का शिकार हो जाता है तथा उसे काल्पनिक आवाजें, काल्पनिक लोग एवं काल्पनिक अनुभव महसूस होते हैं. उसके व्यवहार में विकृति आ जाती है.
क्या है स्किजोफ्रेनिया: स्किजोफ्रेनिया मेंटल हेल्थ से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है, जिसका असर व्यक्ति के व्यवहार और भावनाओं पर पड़ता है. इस बीमारी में मरीज अपने मन के भाव चेहरे पर प्रकट नहीं कर पाता है. आंकड़ों के मुताबिक, प्रति एक हजार लोगों में से तीन लोग इस बीमारी के शिकार होते हैं. इसमें व्यक्ति को लगता है कि कोई उसे मारना चाहता है.उसके खिलाफ कोई साजिश चल रही है और सभी लोग मिले हुए हैं.ऐसी ही कई अन्य लक्षण इन मरीजों में मिलते हैं. तनाव की वजह से यह बीमारी होती है. ये अनुवांशिक भी होती है. इसके अलावा वायरल संक्रमण की वजह से बच्चों में भी यह बीमारी हो जाती है. कुपोषण की वजह से बच्चों का मानसिक विकास नहीं होता है इसकी वजह से भी यह बीमारी बच्चों में होती है. जन्म के बाद माता पिता की मौत से भी बच्चा इस बीमारी से ग्रसित हो सकता है.