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केसेज में डिस्पोजल नहीं, डिसीजन करें कोर्ट: जस्टिस अजय रस्तोगी - जस्टिस अजय रस्तोगी

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अजय रस्तोगी ने पेंडिंग केसेज को लेकर कहा है कि निचली अदालतों को मामलों को डिस्पोजल करने की जगह डिसीजन करना चाहिए. अगर डिसीजन सही होगा, तो अपील की संख्या भी कम हो (Justice Ajay Rastogi on pending cases) जाएगी. जस्टिस रस्तोगी ने कहा कि हमें समस्याओं और चुनौतियों पर चर्चा के साथ समाधान पर भी बात करनी चाहिए.

Justice Ajay Rastogi suggests case should not be disposed off, court should give decision
केसेज में डिस्पोजल नहीं, डिसीजन करें कोर्ट: जस्टिस रस्तोगी
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Published : Sep 10, 2022, 9:57 PM IST

जयपुर. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अजय रस्तोगी ने केसेज की पेंडेंसी को चुनौती मानते हुए कहा है कि निचली कोर्ट को मामलों में डिस्पोजल की बजाय डिसीजन करना चाहिए. कोर्ट का सही डिसीजन होगा तो उसकी अपील भी कम होंगी. जस्टिस रस्तोगी ने यह विचार शनिवार को सांगानेर न्यायालय के रजत जयंती समारोह में वर्तमान न्याय व्यवस्था चुनौतियां व समाधान विषयक सेमिनार में रखे.

उन्होंने कहा कि 1982 में वे अधिवक्ता बने तब भी पेंडेंसी को लेकर चर्चा होती थी और करीब 40 साल बाद जब सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश हैं तब भी पेंडेंसी को लेकर चर्चा हो रही है. लेकिन हमें केवल समस्याओं व चुनौतियों पर चर्चा करने के साथ ही समाधान पर भी बात करनी चाहिए. हमें पेंडेंसी खत्म करने के लिए डिस्पोजल की बजाय केसेज में डिसीजन करने होंगे. उन्होंने कहा कि आज हम रजत जयंती समारोह मना रहे हैं और कुछ साल बाद स्वर्ण जयंती भी मनाएंगे. लेकिन उस दिन हमारा रोडमैप क्या रहेगा. यह सोचना भी बेहद जरूरी है.

पढ़ें: पांच साल से पेंडिंग जांच को तीन माह में पूरा करने के निर्देश...

वहीं हाईकोर्ट के एक्टिंग सीजे एमएम श्रीवास्तव ने कहा कि कोर्ट में जितने केसेज पेंडिंग हैं, उनमें से 60 फीसदी साधारण प्रकृति के हैं. इन केसेज को आपसी समझाइश व मध्यस्थता सहित अन्य वैकल्पिक तरीकों से हल किया जा सकता है. सभी को मिलकर इस दिशा में काम करना होगा. कार्यक्रम में हाईकोर्ट के जस्टिस सुदेश बंसल, अनूप ढंड, उमाशंकर व्यास सहित अन्य न्यायिक अधिकारी व प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल हुए.

जयपुर. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अजय रस्तोगी ने केसेज की पेंडेंसी को चुनौती मानते हुए कहा है कि निचली कोर्ट को मामलों में डिस्पोजल की बजाय डिसीजन करना चाहिए. कोर्ट का सही डिसीजन होगा तो उसकी अपील भी कम होंगी. जस्टिस रस्तोगी ने यह विचार शनिवार को सांगानेर न्यायालय के रजत जयंती समारोह में वर्तमान न्याय व्यवस्था चुनौतियां व समाधान विषयक सेमिनार में रखे.

उन्होंने कहा कि 1982 में वे अधिवक्ता बने तब भी पेंडेंसी को लेकर चर्चा होती थी और करीब 40 साल बाद जब सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश हैं तब भी पेंडेंसी को लेकर चर्चा हो रही है. लेकिन हमें केवल समस्याओं व चुनौतियों पर चर्चा करने के साथ ही समाधान पर भी बात करनी चाहिए. हमें पेंडेंसी खत्म करने के लिए डिस्पोजल की बजाय केसेज में डिसीजन करने होंगे. उन्होंने कहा कि आज हम रजत जयंती समारोह मना रहे हैं और कुछ साल बाद स्वर्ण जयंती भी मनाएंगे. लेकिन उस दिन हमारा रोडमैप क्या रहेगा. यह सोचना भी बेहद जरूरी है.

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वहीं हाईकोर्ट के एक्टिंग सीजे एमएम श्रीवास्तव ने कहा कि कोर्ट में जितने केसेज पेंडिंग हैं, उनमें से 60 फीसदी साधारण प्रकृति के हैं. इन केसेज को आपसी समझाइश व मध्यस्थता सहित अन्य वैकल्पिक तरीकों से हल किया जा सकता है. सभी को मिलकर इस दिशा में काम करना होगा. कार्यक्रम में हाईकोर्ट के जस्टिस सुदेश बंसल, अनूप ढंड, उमाशंकर व्यास सहित अन्य न्यायिक अधिकारी व प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल हुए.

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