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भाखड़ा व्यास मैनेजमेंट बोर्ड में हो राजस्थान का प्रतिनिधित्व: सतीश पूनिया - punjab government

राजस्थान भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया ने भाखड़ा व्यास मैनेजमेंट बोर्ड में राजस्थान के प्रतिनिधित्व की मांग उठाई है. पूनिया ने कहा कि राजस्थान का एक भी प्रतिनिधि बोर्ड में न होना अफसोस की बात है.

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भाखड़ा व्यास मैनेजमेंट बोर्ड में हो राजस्थान का प्रतिनिधित्व: सतीश पूनिया
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Published : Jun 18, 2021, 12:43 AM IST

Updated : Jun 18, 2021, 4:44 AM IST

जयपुर. पंजाब से राजस्थान आ रहे दूषित पानी की समस्या के स्थाई समाधान के लिए भाखड़ा व्यास मैनेजमेंट बोर्ड में राजस्थान के प्रतिनिधित्व की मांग बढ़ती जा रही है. दिल्ली में गुरुवार को केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की मौजूदगी में इस गंभीर समस्या को लेकर हुई बैठक में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया सहित तमाम नेताओं ने यह मांग की. बैठक में केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल, कैलाश चौधरी एवं बीकानेर संभाग के सभी सांसद, विधायकों सहित प्रमुख पदाधिकारी मौजूद रहे.

पढ़ें: राजस्थान की नहरों में पंजाब से आ रहा प्रदूषित 'काला' पानी, CM गहलोत ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को लिखा पत्र

बैठक में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने तमाम नेताओं के साथ पंजाब सरकार के प्रतिनिधियों, केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राजस्थान के एसीएस से इस संबंध में विस्तार से चर्चा की. बैठक के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए सतीश पूनिया ने कहा कि श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ सहित करीब 10 जिले सीधे तौर पर दूषित पानी से प्रभावित हैं. अफसोस इस बात का है पंजाब सरकार की इस ओर कोई रुचि नहीं थी, क्योंकि उनके अपने हिस्से का पानी मिल रहा है, लेकिन पंजाब से राजस्थान आ रहे दूषित पानी के कारण राजस्थान में कैंसर जैसी बीमारी के चपेट में काफी संख्या में लोग आ रहे हैं. वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी इस बारे में समाधान को लेकर गंभीर नहीं हैं.

सतीश पूनिया

सतीश पूनिया ने कहा कि, समाधान को लेकर पंजाब सरकार की इसमें रुचि नहीं थी. लेकिन राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के वहां से पिछले दिनों प्रेस नोट जारी हुआ, जिसमें उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने नहरों के सुदृदीकरण के लिये अच्छा कार्य किया है. लेकिन पंजाब से आ रहे दूषित पानी की रोकथाम के संबंध में राजस्थान सरकार की तरफ से कोई एक्शन व प्रगति नहीं होना अफसोसजनक है.

उन्होंने कहा कि, 70 दिन की नहरबंदी के कारण पानी की समस्या तो थी. फसलों के लिए भी बड़ा संकट खड़ा हो गया था. ये काम पहले किया जा सकता था. दूषित पानी को चैनल किया जा सकता था. जो रिपोर्ट पंजाब सरकार की तरफ से आई है. उसमें अफसोसजनक यह है कि जिन एसटीपी का निर्माण होना था, 2014 की पेंडेंसी अभी तक है. 2018 में एनजीटी में जो पिटीशन हुई उसमें 50 करोड़ का जुर्माना एनजीटी ने तय किया. उस जुर्माने के बाद भी पानी को प्रदूषित करने वाली इंडस्ट्रीज बंद नहीं हुई.

भाखड़ा व्यास मैनेजमेंट बोर्ड में राजस्थान को मिले प्रतिनिधित्व

सतीश पूनिया ने कहा कि, बैठक में यह तय हुआ है कि केन्द्रीय प्रदूषण बोर्ड सैंपलिंग का कार्य करेगा. सैंपलिंग से पानी को प्रदूषित करने वाली इंडस्ट्रीज को आइडेंटीफाई कर उचित कार्रवाई करेगा. सभी जनप्रतिनिधियों की मांग थी कि भाखड़ा व्यास मैनेजमेंट बोर्ड में राजस्थान का पानी में 50 प्रतिशत हिस्सा है. उसमें प्रदेश का कोई प्रतिनिधि नहीं है, जो आश्चर्यजनक बात है. इसमें राजस्थान का प्रतिनिधित्व हो, जिससे मुखर तरीके से राजस्थान की बात रखी जा सके.

पंजाब, राजस्थान की कांग्रेस सरकारों पर नैतिक दबाव बढ़ेगा

पूनिया ने कहा कि, इस चर्चा को 15 दिन के बाद फिर रिव्यू करेंगे. काफी अरसे बाद सार्थक दिशा में चर्चा हुई. इससे पहले भी केन्द्र की मोदी सरकार सार्थक प्रयास कर रही है. लेकिन पंजाब सरकार की हठधर्मिता व राजस्थान सरकार की उदासीनता के चलते दूषित पानी से चुनौतीपूर्ण एवं संकट की स्थित बनी हुई है. आज एक शुरुआत हुई है, मुझे पूरी उम्मीद है 15 दिन बाद इसका रिव्यू होगा. उसके बाद जो कार्यवाही शुरू होगी उससे निश्चित रूप से पंजाब, राजस्थान की कांग्रेस सरकारों पर नैतिक रूप से दवाब बढ़ेगा. जिससे करीब 10 जिलों के 2 करोड़ लोगों को दूषित पानी से निजात मिल सकेगी.

जयपुर. पंजाब से राजस्थान आ रहे दूषित पानी की समस्या के स्थाई समाधान के लिए भाखड़ा व्यास मैनेजमेंट बोर्ड में राजस्थान के प्रतिनिधित्व की मांग बढ़ती जा रही है. दिल्ली में गुरुवार को केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की मौजूदगी में इस गंभीर समस्या को लेकर हुई बैठक में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया सहित तमाम नेताओं ने यह मांग की. बैठक में केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल, कैलाश चौधरी एवं बीकानेर संभाग के सभी सांसद, विधायकों सहित प्रमुख पदाधिकारी मौजूद रहे.

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बैठक में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने तमाम नेताओं के साथ पंजाब सरकार के प्रतिनिधियों, केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राजस्थान के एसीएस से इस संबंध में विस्तार से चर्चा की. बैठक के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए सतीश पूनिया ने कहा कि श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ सहित करीब 10 जिले सीधे तौर पर दूषित पानी से प्रभावित हैं. अफसोस इस बात का है पंजाब सरकार की इस ओर कोई रुचि नहीं थी, क्योंकि उनके अपने हिस्से का पानी मिल रहा है, लेकिन पंजाब से राजस्थान आ रहे दूषित पानी के कारण राजस्थान में कैंसर जैसी बीमारी के चपेट में काफी संख्या में लोग आ रहे हैं. वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी इस बारे में समाधान को लेकर गंभीर नहीं हैं.

सतीश पूनिया

सतीश पूनिया ने कहा कि, समाधान को लेकर पंजाब सरकार की इसमें रुचि नहीं थी. लेकिन राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के वहां से पिछले दिनों प्रेस नोट जारी हुआ, जिसमें उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने नहरों के सुदृदीकरण के लिये अच्छा कार्य किया है. लेकिन पंजाब से आ रहे दूषित पानी की रोकथाम के संबंध में राजस्थान सरकार की तरफ से कोई एक्शन व प्रगति नहीं होना अफसोसजनक है.

उन्होंने कहा कि, 70 दिन की नहरबंदी के कारण पानी की समस्या तो थी. फसलों के लिए भी बड़ा संकट खड़ा हो गया था. ये काम पहले किया जा सकता था. दूषित पानी को चैनल किया जा सकता था. जो रिपोर्ट पंजाब सरकार की तरफ से आई है. उसमें अफसोसजनक यह है कि जिन एसटीपी का निर्माण होना था, 2014 की पेंडेंसी अभी तक है. 2018 में एनजीटी में जो पिटीशन हुई उसमें 50 करोड़ का जुर्माना एनजीटी ने तय किया. उस जुर्माने के बाद भी पानी को प्रदूषित करने वाली इंडस्ट्रीज बंद नहीं हुई.

भाखड़ा व्यास मैनेजमेंट बोर्ड में राजस्थान को मिले प्रतिनिधित्व

सतीश पूनिया ने कहा कि, बैठक में यह तय हुआ है कि केन्द्रीय प्रदूषण बोर्ड सैंपलिंग का कार्य करेगा. सैंपलिंग से पानी को प्रदूषित करने वाली इंडस्ट्रीज को आइडेंटीफाई कर उचित कार्रवाई करेगा. सभी जनप्रतिनिधियों की मांग थी कि भाखड़ा व्यास मैनेजमेंट बोर्ड में राजस्थान का पानी में 50 प्रतिशत हिस्सा है. उसमें प्रदेश का कोई प्रतिनिधि नहीं है, जो आश्चर्यजनक बात है. इसमें राजस्थान का प्रतिनिधित्व हो, जिससे मुखर तरीके से राजस्थान की बात रखी जा सके.

पंजाब, राजस्थान की कांग्रेस सरकारों पर नैतिक दबाव बढ़ेगा

पूनिया ने कहा कि, इस चर्चा को 15 दिन के बाद फिर रिव्यू करेंगे. काफी अरसे बाद सार्थक दिशा में चर्चा हुई. इससे पहले भी केन्द्र की मोदी सरकार सार्थक प्रयास कर रही है. लेकिन पंजाब सरकार की हठधर्मिता व राजस्थान सरकार की उदासीनता के चलते दूषित पानी से चुनौतीपूर्ण एवं संकट की स्थित बनी हुई है. आज एक शुरुआत हुई है, मुझे पूरी उम्मीद है 15 दिन बाद इसका रिव्यू होगा. उसके बाद जो कार्यवाही शुरू होगी उससे निश्चित रूप से पंजाब, राजस्थान की कांग्रेस सरकारों पर नैतिक रूप से दवाब बढ़ेगा. जिससे करीब 10 जिलों के 2 करोड़ लोगों को दूषित पानी से निजात मिल सकेगी.

Last Updated : Jun 18, 2021, 4:44 AM IST
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