जयपुर. राजस्थान में जारी सियासी संग्राम के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राज्यपाल से 4 बार मुलाकात कर चुके हैं. ऐसे में उनकी मुलाकात को लेकर सियासी चर्चाएं हो रही हैं. खासतौर पर जल्द ही विधानसभा सत्र बुलाए जाने की भी चर्चाएं जोरों पर हैं. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा है कि उन्हें नहीं लगता कि प्रदेश सरकार बहुमत साबित कर सकती है, क्योंकि सरकार के पास संख्या बल नहीं है.
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान सतीश पूनिया ने यह भी कहा कि सत्र आहूत करना राज्यपाल का विशेष अधिकार है, लेकिन उसकी भी एक संवैधानिक प्रक्रिया होती है. पूनिया के अनुसार सत्र बुलाने के लिए 21 दिन का नोटिस देना होता है, लेकिन विशेष परिस्थितियों में राज्यपाल इस संबंध में निर्णय ले सकते हैं.
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पूनिया ने CM गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के बार-बार राज्यपाल से मिलने से कोई विधायकों की संख्या तो नहीं बढ़ जाएगी. राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को 123 वोट पड़े थे लेकिन करीब 20 कांग्रेसी विधायक खिसक गए और तीन निर्दलीय विधायक भी अब कांग्रेस के साथ नहीं है. यहां साफ तौर पर सौ का आंकड़ा तो दिखता है जो बहुमत की बाउंड्री है.
बीटीपी विधायकों का खेमा बदलना भी संदेह में...
भारतीय ट्राइबल पार्टी के 2 विधायकों ने पहले गहलोत सरकार पर उनके क्षेत्र में जाने से रोकने का आरोप लगाया था, जिसका वीडियो भी वायरल हुआ. इस पर पूनिया ने बीटीपी विधायकों द्वारा होटल में कांग्रेसी विधायकों के पास पहुंच कर समर्थन देने की घटनाक्रम पर भी कटाक्ष किया. उन्होंने कहा कि जिस तरह बीटीपी विधायकों ने खेमा बदला, वो भी संदेह पैदा करता है. यह साफ तौर पर दिखता है कि यह सरकार जुगाड़ पर चल रही है.
सरकार बहुमत वाली होती तो बाड़े में नहीं होती...
पूनिया ने कहा कि अब तक जानवरों की बाड़ेबंदी करते हुए तो सुना था, लेकिन इंसानों की अब दिख रही है. यदि प्रदेश की गहलोत सरकार सच्ची, खरी और बहुमत वाली होती तो आज बाड़ेबंदी में नहीं होती. उनके अनुसार वैश्विक महामारी कोरोना के संकट के बीच सरकार जनता को छोड़कर होटल में आराम फरमा रही है. जबकि प्रदेश में लगातार कानून व्यवस्था बिगड़ रही है. वहीं, आम जनता परेशान है और बिजली के बिलों में अतिरिक्त चार्जेस जोड़कर जनता को परेशान भी किया जा रहा है. बावजूद इसके, सरकार का ध्यान जनता की दुख और तकलीफ की तरफ नहीं है.