जयपुर. राज्यसभा चुनाव अब संपन्न हो चुके हैं. प्रदेश में दो सीटों पर कांग्रेस के और एक सीट भारतीय जनता पार्टी की तरफ से खड़े हुए उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है. लेकिन चुनाव के बाद भी राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला अभी थमा नहीं है.
बीते दिन शुक्रवार को सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि बीजेपी ने राज्यसभा चुनाव में प्रत्याशी खड़ाकर दलितों के खिलाफ काम किया है. वहीं शनिवार को बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि मुख्यमंत्री मेरे ख्याल से पैदाइशी सियासी हैं और इंदिरा गांधी के जमाने से नेता रहे हैं. लेकिन मुझे कई बार उनकी अज्ञानता पर अफसोस होता है. उनसे कोई यह पूछे कि इस समय देश में राष्ट्रपति कौन है? निश्चित रूप से जो जानते होंगे, वो यही बताएंगे कि वे दलित समाज से हैं. पूनिया ने कहा कि अगर बीजेपी दलित विरोधी होती तो देश के सिंहासन पर किसी दलित का चेहरा नहीं होता.
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पूनिया ने कहा कि मुख्यमंत्री अपने बेटे की हार और पार्टी में अंतर विरोध से विचलित हैं. यही कारण है कि वो कभी खरीद-फरोख्त का आरोप लगाते हैं तो कभी हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप. लेकिन सच्चाई यह है कि साल 2008 और 2018 में किस तरीके से बीएसपी के विधायकों को मैनेज किया गया, इसके सब साक्षी हैं. वहीं पूनिया ने कांग्रेस पर एक आरोप लगाते हुए कहा कि गहलोत सरकार को कांग्रेस विधायकों की 10 दिन तक बाड़ेबंदी इसलिए करनी पड़ी. क्योंकि 10 दिन में सरकार ने 23 लोगों के साथ डील की है.
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प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि वे कौन लोग हैं, उन्हें भाजपा ने उनकी पहचान की है. आने वाले समय में उन लोगों के नाम सामने लाए जाएंगे, जिनको 10 दिन में खानों का आवंटन हुआ है या रीको में प्लॉट अलाटमेंट किए गए हैं या फिर सीधे उनके खाते में कैश ट्रांसफर हुआ है. पूनिया ने यह भी कहा कि उन लोगों के भी नाम सामने लाए जाएंगे, जिन लोगों ने 10 दिन के अंदर सरकार को फायदा पहुंचाया है.