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गहलोत के मोदी के नाम लिखी गई चिट्ठी पर पूनिया का तंज, कहा- PM को ज्ञान देने की बजाय किसानों की सुध लें

प्रदेश की सियासत राजनेताओं के बयानों से गरमाई हुई है. ऐसे में आलम यह है कि प्रदेश के मुखिया अशोक गहलोत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखते हैं. लेकिन इसका जवाब देने के लिए मोदी के बजाय बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया आगे आ जाते हैं. पूनिया ने गहलोत के लिखे गए पत्र पर कहा कि वे प्रधानमंत्री को ज्ञान देने की बजाय प्रदेश के किसानों की सुध लें.

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गहलोत द्वारा पीएम मोदी के नाम लिखे गए पत्र पर पूनिया का पलटवार
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Published : Nov 29, 2020, 11:52 PM IST

जयपुर. कोरोना का दंश झेलने के बाद चिकित्सकों के परामर्श पर घर पर ही उपचार करवा रहे सतीश पूनिया ने एक बयान जारी कर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र का जवाब दिया है. पूनिया की ओर से एक विज्ञप्ति जारी कर कहा गया कि सीएम अशोक गहलोत द्वारा किसानों के बारे में प्रधानमंत्री को लिखा गया पत्र केवल रस्म अदायगी जैसा है. क्योंकि उनका किसानों के प्रति चिंतित होना आश्चर्यजनक लगता है.

पूनिया ने लिखा कि वे क्यों भूल जाते हैं कि देश की जनता और किसानों ने कांग्रेस को किसानों के कल्याण के लिए पर्याप्त समय और सत्ता में अधिकार दिया. उसका अब तक क्या हुआ, यह बता दें. वहीं स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू होने से न्यूनतम समर्थन मूल्य तक सब उनके हाथ में था. कृपया वे यह भी बताएं कि कांग्रेस के शासनकाल में किसान आंदोलन को कुचलने के लिए उनकी सरकारों ने क्या-क्या किया था.

यह भी पढ़ें: CM गहलोत ने PM मोदी को लिखा पत्र...अन्नदाता की बात सुनने और कृषि कानूनों पर पुनर्विचार की मांग

पूनिया ने लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने साफतौर पर कहा है कि एमएसपी पर खरीद जारी रहेगी. वहीं कृषि मंडियों में व्यापार भी जारी रहेगा और कांटेक्ट फॉर्मिंग में किसानों के मालिक मालिकाना हक और पैदावार की वाजिब कीमत बरकरार रहेगी. लेकिन मुख्यमंत्री जी यह पत्र सियासी राजनीति का उपक्रम है और यदि गहलोत किसानों के इतने हितैषी हैं, तो यह भी बता दें कि राजस्थान के किसान आत्महत्या करने को क्यों मजबूर हैं. वे किसानों की संपूर्ण कर्ज माफी कब करेंगे, जिसके बारे में उन्होंने 10 दिन में कर्ज माफी का वादा किया था.

जयपुर. कोरोना का दंश झेलने के बाद चिकित्सकों के परामर्श पर घर पर ही उपचार करवा रहे सतीश पूनिया ने एक बयान जारी कर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रधानमंत्री को लिखे गए पत्र का जवाब दिया है. पूनिया की ओर से एक विज्ञप्ति जारी कर कहा गया कि सीएम अशोक गहलोत द्वारा किसानों के बारे में प्रधानमंत्री को लिखा गया पत्र केवल रस्म अदायगी जैसा है. क्योंकि उनका किसानों के प्रति चिंतित होना आश्चर्यजनक लगता है.

पूनिया ने लिखा कि वे क्यों भूल जाते हैं कि देश की जनता और किसानों ने कांग्रेस को किसानों के कल्याण के लिए पर्याप्त समय और सत्ता में अधिकार दिया. उसका अब तक क्या हुआ, यह बता दें. वहीं स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू होने से न्यूनतम समर्थन मूल्य तक सब उनके हाथ में था. कृपया वे यह भी बताएं कि कांग्रेस के शासनकाल में किसान आंदोलन को कुचलने के लिए उनकी सरकारों ने क्या-क्या किया था.

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पूनिया ने लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने साफतौर पर कहा है कि एमएसपी पर खरीद जारी रहेगी. वहीं कृषि मंडियों में व्यापार भी जारी रहेगा और कांटेक्ट फॉर्मिंग में किसानों के मालिक मालिकाना हक और पैदावार की वाजिब कीमत बरकरार रहेगी. लेकिन मुख्यमंत्री जी यह पत्र सियासी राजनीति का उपक्रम है और यदि गहलोत किसानों के इतने हितैषी हैं, तो यह भी बता दें कि राजस्थान के किसान आत्महत्या करने को क्यों मजबूर हैं. वे किसानों की संपूर्ण कर्ज माफी कब करेंगे, जिसके बारे में उन्होंने 10 दिन में कर्ज माफी का वादा किया था.

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