जयपुर. सतीश पूनिया ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में लिखा कि सरपंच संघ के जरिए मुझे ज्ञापन भी मिला, जिसमें ग्राम पंचायतों के ब्याज रहित पीडी खाते खोले जाने से ग्राम पंचायतों के वित्तीय अधिकारों में की जा रही कटौती की जानकारी मिली. पूनिया ने कहा कि यह खाते ब्याज रहित व्यवस्था के तहत हैं. ऐसे में ग्राम पंचायतों को संवैधानिक रूप से जो वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त थी वह इससे समाप्त हो जाएगी. वहीं, सरपंच संघ द्वारा भी इसकी विरोध किया जा रहा है.
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भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने अपने पत्र में यह भी ध्यान आकर्षित किया है कि राज्य सरकार द्वारा विगत 2 वर्षों से राज्य वित्त आयोग के तहत ग्राम पंचायतों को बजट आवंटित नहीं किए जाने से भी गांव की सरकार का खजाना खाली पड़ा है, जिससे गांव के विकास कार्य ठप पड़े हैं. पूनिया ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वे इन समस्याओं पर सहानुभूति पूर्वक विचार करके शीघ्र ही समाधान की दिशा में आवश्यक दिशा-निर्देश प्रदान करें.
वहीं, भाजपा के राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर इस मामले में सरकार का ध्यान आकर्षित किया है. मीणा ने अपने पत्र में लिखा कि महुआ ब्लॉक के सरपंच संघ के जिला अध्यक्ष लल्लू लाल मीणा ने उन्हें एक ज्ञापन दिया था, जिसे मैं आप को भिजवा रहा हूं. मीणा के अनुसार सरपंच संघ से जुड़े जनप्रतिनिधियों ने उन्हें बताया कि पिछले 2 वर्षों से पंचायत राज संस्थाओं के वित्तीय हालात बहुत ही खराब हैं और 2 वर्षों से राज्य वित्त आयोग से कोई भी राशि ग्राम पंचायतों को हस्तांतरित नहीं की जा रही.
यहां तक कि राज्य वित्त आयोग पंचम की सिफारिश के अनुसार साल 2019-20 में 4,000 करोड़ रुपये में से एक भी पैसा ग्राम पंचायत को हस्तांतरित नहीं किया गया. किरोड़ी लाल मीणा के अनुसार राज्य वित्त आयोग पंचम की प्रथम किस्त की राशि 1,450 करोड़ में से लगभग 364 करोड़ रुपये पंचायत समिति और जिला परिषदों को अक्टूबर 2019 में हस्तांतरित किए गए, लेकिन ग्राम पंचायतों के हक की राशि 1,086 करोडट रुपये ग्राम पंचायतों को हस्तांतरित करने के लिए 30 अक्टूबर 2019 को स्वीकृति जारी कर दी गई, लेकिन आज तक यह राशि ग्राम पंचायतों के खाते में हस्तांतरित नहीं हुई. किरोड़ी लाल मीणा ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि संवैधानिक वित्तीय अधिकारों में की जा रही कटौती को रुकवाएं, जिससे इन सरपंचों को राहत मिल पाए.