जयपुर. प्रदेश की गहलोत सरकार 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी जयंती के दिन प्रशासन गांवों के संग अभियान की शुरुआत करने जा रही है. इस अभियान को सफल बनाने के लिए सरकार शासन और प्रशासन ने जहां पूरी ताकत झोंक रखी है. वहीं दूसरी तरफ मांगें पूरी नहीं होने पर प्रदेश के 11 हजार से ज्यादा सरपंचों ने इस अभियान के बहिष्कार का एलान कर दिया है.
सरपंच संघ के प्रतिनिधिमंडल ने गुरूवार को सचिवालय में ग्रामीण विकास पंचायती राज और नरेगा के अधिकारियों से 15 सितंबर को दिए गए 20 सूत्री मांग पत्र की प्रगति रिपोर्ट के लिए मुलाकात की. सरपंच संघ के प्रदेश प्रवक्ता रफीक पठान ने बताया कि सरपंच संघ लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर सरकार के दर पर बार-बार चक्कर काट रहा है. लेकिन सरकार के अधिकारी हैं कि संघ की मांगों को लेकर गंभीर नहीं हैं. जबकि 15 सितम्बर को 20 बी बिन्दुओं पर सहमति हो चुकी है.
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ऐसे मे प्रतिनिधिमंडल ने निर्णय लिया है कि अगर सरकार सरपंच संघ की मांगों का 27 सितंबर तक समाधान कर आदेश जारी नहीं करती है तो 28 सितंबर को सरपंच संघ का पूर्ण बहिष्कार आंदोलन शुरू हो जाएगा. साथ ही 2 अक्टूबर से शुरू होने वाले प्रशासन गांव के संग अभियान का बहिष्कार किया जाएगा. ग्राम पंचायतों पर पूर्ण रूप से असहयोग आन्दोलन चलाया जाएगा. साथ ही 14 तारीख से चल रहा जल जीवन मिशन से संबंधित सभी कार्यों का विरोध और ऑनलाइन कार्यों का बहिष्कार जारी रहेगा. पठान ने बताया कि मीटिंग में अधिकारियों ने सरपंच संघ को 27 सितंबर तक समाधान का आश्वासन दिया है.
प्रदेश में 11 हजार से ज्यादा सरपंच
प्रदेश में 11 हजार 342 सरपंच हैं. प्रशासन गांव के संघ अभियान में सरपंच महत्वपूर्ण कड़ी होता है. पट्टे जारी करने, भूमि हस्तांतरण आदि कामों में सरपंच की जरूरत पड़ती है. यहां तक कि पंचायत स्तर पर आम लोगों की समस्याओं के निराकरण के मामले में सरपंच महत्वपूर्ण कड़ी है. सरपंच संघ ने साफ कर दिया है कि सरकार समझौता पत्र लागू नहीं करती है तो प्रशासन गांव के संग अभियान का बहिष्कार करेंगे.